- मूंछों के रखरखाव के लिए सिपाहियों को मिलने वाला भत्ता हुआ बंद

- 2011 में आखिरी बार सिगरा थाने के एक सिपाही को मिला था भत्ता

- ड्यूटी के बोझ में दबे जवानों में घटा मूंछ का क्रेज

लंबी-चौड़ी पर्सनालिटी, कड़कदार आवाज और चेहरे पर फैली हुई घनी मूंछें कभी यूपी पुलिस के रौबदार पुलिसकर्मियों की पहचान हुआ करती थी। बाकी सबकुछ तो अब भी गाहे-बगाहे नजर आ जाता है मगर पुलिस की इस पहचान से बस मूंछें गायब हो गई हैं। अब ऐसे पुलिसकर्मी बिरले ही नजर आते हैं जो अपनी मूंछों पर ताव देते हों। यूं कह लें कि अब पुलिस विभाग में ही मूंछों की पूछ घट गई है।

रखना होता था भरपूर ख्याल

अपने दौर में यूपी के तेजतर्रार इंस्पेक्टरों में शुमार रहे डीएसपी डीपी शुक्ला बताते हैं कि मूंछें रखना भी कोई आसान काम नहीं था। जवानों या अधिकारी को इनका पूरा ख्याल रखना पड़ता था। ड्यूटी के दौरान हरदम तनी मूंछों पर कई शौकीन वैक्स तक का इस्तेमाल करते थे तो बालों को मजबूत रखने के लिए वैसी ही डाइट भी होती थी। भगवान सिंह, कुंदन यादव, मो। एजाज जैसे कुछ सिपाही गलमुच्छों के लिए भी मशहूर थे। इनकी मूंछें कान तक पहुंच जाया करती थीं। अब ड्यूटी के बोझ तले दबे जवानों के पास मूंछों की देखभाल करने का वक्त ही नहीं बचता।

आईपीएस को पांच रुपये प्रतिदिन

मूंछों के लिए पुलिस विभाग में पहले 300 रुपये प्रतिमाह का भत्ता भी मिला करता था। मगर यह भी बंद हो गया। भत्ता बंद होने के बाद मूंछों का क्रेज भी धीरे-धीरे खत्म होने लगा। आखिरी बार साल 2011 में तत्कालीन डीआईजी लालजी शुक्ला ने सिगरा थाने के एक सिपाही को तावदार मूंछों पर इनाम दिया था। रामनगर पीएसी के एक सिपाही को 2012 में तत्कालीन एसएसपी और कमांडेंट बीडी पॉल्सन ने कई महीने भत्ता दिया था। पुलिस विभाग में अब केवल आईपीएस अफसरों को पांच रुपये प्रतिदिन का भत्ता देने का प्रावधान है।

फिल्मों से लौटा था क्रेज

सिंहम, दबंग और राउडी राठौर जैसी फिल्मों के साथ पुलिस विभाग में कुछ दिनों तक मूंछों का क्रेज लौटा था। तमाम सिपाही, दरोगा और कुछ इंस्पेक्टर तक सिंहम जैसी लंबी मूंछ रखने लगे थे। वाराणसी में एएसपी और चंदौली के एसपी रहे मुनिराज की मूंछें चर्चित थीं तो वाराणसी के एसएसपी रह चुके आकाश कुलहरि की मूंछें भी काफी पसंद की जाती थीं। मगर फिल्मों के साथ लौटा यह क्रेज कुछ ही दिनों तक बरकरार रहा। हालांकि एसएसपी वाराणसी के मौजूदा पीआरओ शैलेष मिश्र जैसे कुछ पुलिसकर्मी हैं जो मूंछों पर ताव बरकरार रखे हुए हैं।

बयान

यह सच है कि मूंछें व्यक्तित्व को रौबदार बनाती हैं। विभाग में निचले लेवल पर यह भत्ता बंद हो चुका है। हालांकि आईपीएस स्तर पर यह अब भी जारी है।

आरके भारद्वाज, एसएसपी वाराणसी

Posted By: Inextlive