कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट का परीक्षा पैटर्न अलग-अलग होने से छात्रों को हो रही प्राब्लम एक ही कोर्स में दाखिले के लिए अलग-अलग सिलेबस भी ट्विटर कैंपेन चलाकर छात्रों ने सरकार से मामले में हस्तक्षेप की मांग की

वाराणसी (ब्यूरो)शिक्षा मंत्रालय की नई नीति के तहत इस वर्ष से देश के सभी सेंट्रल समेत कई यूनिवर्सिटी में एडमिशन के लिए कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (सीयूईटी) का आयोजन हो रहा है। एक ओर जहां परीक्षा की सूचना सिर्फ तीन महीने पहले दी गई, वहीं सभी यूनिवर्सिटी एक ही कोर्स में दाखिले के लिए अलग-अलग सिलेबस जारी किए हुए हैं। विशेषकर दिल्ली विश्वविद्यालय की ओर से सीयूईटी में विषयों के चुनाव को प्रतिबंधित किए जाने को लेकर छात्रों में काफी नाराजगी है। इसके अलावा बीएचयू और इलाहाबाद यूनिवर्सिटी समेत अन्य यूनिवर्सिटी में भी आवेदन करने वाले छात्रों में पशोपेश की स्थिति हो रही है। वहीं अब सेलेबस को लेकर कंफ्यूजन में पडऩे वाले छात्रों ने ट्विटर कैंपेन चलाकर सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है.

किस तरह की आ रही समस्या

दिल्ली यूनिवर्सिटी के ब्रोशर में कहा गया है कि एक छात्र केवल उन्हीं विषयों को चुन सकता है, जिन्हें उसने 12वीं कक्षा में पास किया है। अब यहां समस्या यह आ रही है कि यदि कोई छात्र पीसीएम बैकग्राउंड से है और बीए करना चाहता है, तो उसे बीए में एडमिशन के लिए भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित की परीक्षा देनी होगी। दिल्ली विश्वविद्यालय इकलौता ऐसा विश्वविद्यालय है, जिसने यह नियम लागू किया है। ध्यान देने वाली बात ये है कि उसी छात्र को अगर बीएचयू और अन्य विश्वविद्यालय में बीए करनी है तो फिर उसे जनरल टेस्ट के साथ भाषा और अन्य विश्वविद्यालय के लिए इतिहास, भूगोल व राजनीति विज्ञान जैसे विषयों की परीक्षा देनी होगी। अब सवाल ये उठता है कि एक छात्र इतने विषयों की तैयारी कैसे करेगा? इतना ही नहीं जो छात्र बीएससी की तैयारी कर रहा है, उनको इसमें वरीयता मिलेगी, क्योंकि वैसे छात्र एक ही परीक्षा से बीए, बीएससी दोनों ही कोर्स के लिए इलीजिबल हो जाएंगे।

तो छोड़ दें अन्य विवि की तैयारी

सीयूईटी की तैयारी कराने वाले मालवीय अकेडमी के संस्थापक और शिक्षा विशेषज्ञ सूरज कुमार का कहना है कि छात्र अगर दिल्ली विश्वविद्यालय के हिसाब से तैयारी करेंगे तो अन्य सभी विश्वविद्यालय की तैयारी वह नहीं कर पाएंगे, क्योंकि वहां मानविकी विषय का परीक्षा देना है। अब ऐसी स्थिति में उनके पास केवल यही विकल्प बचता है कि वो या तो सिर्फ दिल्ली विश्वविद्यालय की तैयारी करें और सभी विश्वविद्यालय को छोड़ दें। इसके इतर छात्र बीएचयू समेत अन्य विश्वविद्यालयों की तैयारी करें तो दिल्ली विश्वविद्यालय छूट जाएगा। छात्रों के लिए यह संभव नहीं है कि वो सभी विषय को एक साथ पढ़ सकें। दिल्ली विश्वविद्यालय के नियम के हिसाब से जो बच्चे नीट और जेई की तैयारी कर रहे हैं, उनको बीए के कोर्स में दाखिले के लिए भी लाभ मिल जाएगा।

वेबसाइट पर अलग-अलग जानकारी

राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी की वेबसाइट पर यह जानकारी दी गई है कि छात्र दिल्ली विश्वविद्यालय से बीए करना चाहते हैं तो किसी भी डोमेन में परीक्षा दे सकते हैं, जो बी1 और बी2 में है। वहीं, दिल्ली विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर यह लिखा है कि छात्र केवल उन्हीं विषय में परीक्षा देंगे, जो उन्होंने 12वीं में ली है। छात्रों का कहना है कि जब वे अपनी पसंद के विषय में परीक्षा देने के लिए तैयार हैं तो डीयू उन्हें सीमित करने का प्रयास क्यों कर रहा है।

एक साल ड्राप के बाद तैयारी

कई छात्र अच्छे विश्वविद्यालय में एडमिशन न मिल पाने के कारण एक साल गैप लेकर तैयारी कर रहे हैैं। वो हर विश्वविद्यालय के पुराने नियम के हिसाब से इतिहास, भूगोल और राजनीति विज्ञान जैसे विषयों की तैयारी कर रहे थे। अब ऐसे में एक साल बाद उन्हें दोबारा भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित की परीक्षा देने के लिए कोई कहेगा तो यह कभी भी संभव नहीं होगा और उनका कैरियर बर्बाद हो जाएगा.

छात्र ने पीएमओ से की शिकायत

सिलेबस को लेकर हो रही परेशानी को लेकर छात्र मृगंक सिंह ने पीएमओ को एक पत्र लिखकर समस्याओं से अवगत कराया है। पीएमओ ने इस मामले को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के एक अधिकारी का संपर्क नंबर उस छात्र से साझा किया, लेकिन अधिकारी ने खुद न बात करके किसी और का नंबर छात्र को उपलब्ध करा दिया। छात्र ने फिर से अपनी शिकायत पीएमओ को भेजी है.

ट्विटर पर चल रहा बड़ा आंदोलन

सीयूईटीडीयूपॉलिसीचेंज के नाम से छात्र हजारों की संख्या में ट्वीट कर चुके हैं, जिसमें कई छात्र वाराणसी के भी शामिल हैं। कार्ड और वीडियो के जरिए छात्र अपनी बात लगातार पीएमओ और शिक्षा मंत्री तक पहुंचा रहे हैं, ताकि उनकी समस्या को समय रहते सुना जा सके.

Posted By: Inextlive