अग्निशमन विभाग ने स्थायी भवन के लिए एडीजी सुरक्षा को लिखा पत्र डेढ़ लाख लीटर का भूमिगत वाटर टैंक बनाया 87 फायर हाईड्रेंट लगाए

वाराणसी (ब्यूरो)श्रीकाशी विश्वनाथ धाम बनने के बाद दर्शन-पूजन करने और इसकी भव्यता निहारने के लिए लाखों श्रद्धालु आ रहे हैं। उनकी सुरक्षा के लिए धाम में कई इंतजाम किए गए हैं, लेकिन अभी तक फायर स्टेशन नहीं बन सका है। इतने विशाल परिसर में इसके लिए कोई स्थान उपलब्ध नहीं हो सका है। इसके चलते अग्नि सुरक्षा के लिए जरूरी संसाधन नहीं लगाए जा पा रहे हैं। वर्तमान समय में अग्निशमन कर्मियों को अस्थायी तौर पर इंतजाम करना पड़ता है। फायर स्टेशन के स्थायी भवन का इंतजाम करने के लिए अग्निशमन विभाग ने स्थानीय अधिकारियों के बाद एडीजी सुरक्षा को पत्र लिखा है.

लगे हैं तीन पंप

विश्वनाथ धाम में करीब डेढ़ लाख लीटर का भूमिगत वाटर टैंक बनाया गया है। टैंक के पास तीन पंप हैं। इनमें से दो 2280 एलपीएम (लीटर प्रति मिनट) के हैं। एक 180 एलपीएम का है। पूरे परिसर में 87 फायर हाइड्रेंट लगे हैं। इसमें एक्सटर्नल 41 और इंटरनल 46 फायर हाइड्रेंट हैं। इनमें होज बाक्स कपङ्क्षलग के साथ हैं। 46 होजरील कार्यशील दशा में हैं.

लगाए गए स्मोक डिटेक्टर

आग लगने की सूचना जल्द से जल्द मिल सके, इसके लिए 494 स्मोक डिटेक्टर लगाए गए हैं। साथ ही 46 हीट डिटेक्टर भी हैं। छोटी आग को तत्काल काबू करने के लिए अलग-अलग तरह के करीब 224 फायर एक्सङ्क्षटग्विशर पूरे परिसर में लगे हैं।

नीलकंठ भवन में बनना था फायर स्टेशन

मुख्य अग्निशमन अधिकारी के अनुसार काशी विश्वनाथ धाम का नीलकंठ पवेलियन भवन को फायर स्टेशन बनाया जाना था। इसके नीचे ही भूमिगत टैंक है। अभी अस्थायी तौर पर दीक्षित भवन में एक कमरा से अग्निशमन केंद्र संचालित हो रहा है। इस कमरे तक मशीनें नहीं पहुंच पाती हैं। इसलिए उन्हें चेतगंज फायर स्टेशन पर रखा गया है.

247 की बचाई जान

फायर ब्रिगेड ने बीते साल श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में 243 रेस्क्यू कार्य से 247 लोगों की जान बचाई। तेज धूप या अन्य वजहों के कई बार उम्रदराज श्रद्धालु धाम में अचेत होकर गिर पड़ते हैं। अग्निशन कर्मी उन्हें रेस्क्यू करके अस्पताल पहुंचाते हैं।

श्रीकाशी विश्वनाथ धाम में आग लगने की वजह से उत्पन्न होने वाली आपात स्थिति से बचाव के लिए उपकरण लगाए गए हैं। आपात स्थिति में उनके उपयोग के लिए स्थायी फायर स्टेशन होना अनिवार्य है। ऐसा न होने से रिस्पांस टाइम बढ़ जाता है। आपात स्थिति में यह खतरनाक है.

आनंद ङ्क्षसह राजपूत, मुख्य अग्निशमन अधिकारी

Posted By: Inextlive