Varanasi: गंगा की अविरलता को लेकर चल रहा अभियान गंगा में पानी फिर से ला पायेगा यह तो पता नहीं लेकिन इतना तय है कि अगर गंगा लगातार इसी तरह सिकुड़ती रही तो एक दिन बनारस पानी को तरस जायेगा. जी हां यह एक तल्ख हकीकत है. शहर की प्यास बुझाने में गंगा की अहम भूमिका है. सिटी को पानी की सप्लाई देने वाले जलकल विभाग के आंकड़े इस बात की गवाही दे रहे हैं. शहर को डेली सप्लाई देने के लिए जुटाये जाने वाले 326 एमएलडी पानी में से 125 एमलएडी पानी का सोर्स अकेले गंगा है. गंगा के पानी को ही ट्रीट करके शहर की बड़ी आबादी को उसकी सप्लाई की जाती है.


घट रहा है गंगा का पानीगंगा के पानी में घटाव लगातार जारी है। गंगा का पाट लगातार छोटा होता जा रहा है और गंगा लगातार घाटों की सीढिय़ां छोड़ती जा रही है। गंगा के बीच-बीच में उभर आये रेत के टीले इस बात की गवाही दे रहे हैं। गर्मी की शुरुआत में ही गंगा की यह हालत है। मई, जून में स्थिति और भी खराब होगी। जानकार बताते हैं कि गर्मी के दिनों में गंगा का पानी कम हो जाता है लेकिन जैसी स्थिति आजकल दिखाई दे रही है वैसी स्थिति तो पहले कभी नहीं देखी गई। दिनों-दिन स्थिति खराब होती ही जा रही है।


अगर यही स्थिति बनी रही तो दस सालों बाद शहर की 60 परसेंट आबादी पानी को तरस जायेगी। जलकल विभाग गंगा से ही पानी लेकर शहर में सप्लाई कर रहा है। तब वह बंद हो जायेगा और वॉटर रिजार्च में भी भारी कमी आयेगी। उधर स्वामी सानंद और गंगा प्रेमी भिक्षु की अन्न जल त्याग करने की तपस्या चलती रही। गंगा की अविरलता को लेकर सामाजिक संगठनों की ओर से मिल रहे समर्थन का दौर जारी रहा। गंगा प्रेमी भिक्षु और स्वामी सानंद दोनों की तबीयत स्थिर बताई गई है।

प्रो। यूके चौधरी, रिवर एक्सपर्ट, बीएचयू गंगा है रिचार्जर

ङ्क्रक्र्रहृ्रस्ढ्ढ: ग्राउंड वॉटर लेवल रिचार्ज में भी गंगा का महत्वपूर्ण रोल है। नैचरल प्रॉसेस के तहत बाढ़ के समय गंगा का पानी बहुत बड़ी मात्रा में जमीन के अंदर जाता है। वहीं सामान्य दिनों में जमीन के अंदर पानी नदियों में आता है। ये प्रॉसेस लगातार चलता रहता है। लेकिन गंगा में लगातार पानी घटने का सीधा असर ग्राउंड वॉटर लेवल पर भी पड़ रहा है। शहर में वॉटर लेवल में लगातार गिरावट का यह एक मुख्य कारण है। ये है सोर्स-शहर को कुल पानी की जरूरत है 276 एमलडी -गंगा नदी से लिया जाने वाला पानी-125 एमएलडी-नलकूपों के जरिये लिया जाने वाला पानी 201 एमएलडी -कुल पानी में से व्यय हो जाता है 98 एमलडी पानी नोट-आंकड़े शहर की 16 लाख आबादी के आधार पर अनुमानित हैं एक को हटाओगे, दूसरा बैठ जायेगा
गंगा की अविरलता को लेकर तपस्या की कड़ी टूटेगी नहीं। एक को हटाओगे तो दूसरा तपस्या पर बैठ जायेगा। शासन प्रशासन को कड़ी चुनौती देते हुए गंगा सेवा अभियानम् के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने गुरुवार को पत्रकारों से यह बात कही। शंकराचार्य घाट पर उन्होंने कहा कि संतों और लोगों की तपस्या का भी सरकार पर कोई असर नहीं दिख रहा है। सरकार को स्वामी सानंद की जान की भी परवाह नहीं है। गंगा रिवर बेसिन अथॉरिटी की पिछले दिनों हुई निरर्थक बैठक और स्वामी सानंद द्वारा पीएम को वार्ता के लिए दी गई समय सीमा का खत्म हो जाना इस बात का उदाहरण है। उन्होंने कहा कि इतना सब होने के बावजूद तपस्वी गंंगा के लिए लड़ते रहेंगे। अगर प्रशासन हमारी तपस्या में खलल डालने की कोशिशों के तहत किसी तपस्वी को हॉस्पिटल या फिर दिल्ली ले जायेगा तो तुरंत उनकी जगह पर दूसरा तपस्वी अन्न जल त्याग कर तपस्या शुरू कर देगा। आंदोलन सरकार को पड़ेगा भारी पत्रकारों से बातचीत में जल पुरुष राजेन्द्र सिंह ने कहा कि गंगा को लेकर सरकार का यह रवैया ठीक नहीं है। सरकार अगर अब भी गंगा की अविरलता को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाती है तो 20 मई के बाद हम अपने संकल्प को पूरा करने के लिए बाध्य होंगे। यह सरकार के लिए बहुत भारी साबित होगा। कल्कि पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी प्रमोद कृष्णन ने कहा कि 21 मई को वाराणसी में देश भर के संत समाज के लोग जुटेंगे और यहां से गंगा मुक्ति महासंग्राम का शंखनाद होगा। प्रेसवार्ता में स्वामी सानंद के अलावा अन्य तपस्वी और कार्यकर्ता मौजूद थे।चलती रही तपस्या
Report By: Himanshu Sharma

Posted By: Inextlive