मस्जिद कमेटी अंजुमन इंतजामिया की याचिका पर सुनवाई 20 अक्टूबर तक टली कोर्ट पहले सुनवाई योग्यता पर वाराणसी के जिला जज के फैसले को जानेगी

वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में सर्वे के लिए कमिश्नर नियुक्त करने के आदेश को चुनौती देने वाली मस्जिद कमेटी अंजुमन इंतजामिया की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई 20 अक्टूबर तक के लिए टाली दी। सुप्रीम कोर्ट मुकदमे की सुनवाई योग्यता पर वाराणसी के जिला जज के फैसले का इंतजार करेगा।

मस्जिद कमेटी ने ज्ञानवापी मामले में हिन्दू पक्ष की ओर से दाखिल किए गए मुकदमे पर सीपीसी के आदेश-सात नियम-11 के तहत आपत्ति उठाई है और मुकदमे पर सुनवाई किए जाने को गलत बताया है। मुस्लिम पक्ष का कहना है कि पूजा स्थल कानून को देखते हुए हिन्दू पक्ष के मुकदमे पर विचार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वाराणसी के जिला जज मुस्लिम पक्ष की सुनवाई योग्यता पर सवाल उठाने वाली अर्जी पर आजकल सुनवाई कर रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ही मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए केस जिला जज की अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। इसके अलावा मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर रखी है जिसमें ज्ञानवापी के सर्वे के लिए कमिश्नर नियुक्त करने के सिविल जज के आदेश को चुनौती दी है। हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद मस्जिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में यह विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई पर मामले को महत्वपूर्ण मानते हुए मामला सिविल जज की अदालत से ट्रांसफर करके जिला जज की अदालत में भेजा था और जिला जज को मुस्लिम पक्ष द्वारा दाखिल की गई सुनवाई योग्यता पर सवाल उठाने वाली अर्जी का प्राथमिकता के आधार पर निस्तारण करने को कहा था।

मस्जिद कमेटी का मुकदमा गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, सूर्यकांत और पीएस नरसिम्हा की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए लगा था। कोर्ट ने पूछा कि जिला जज की अदालत में लंबित सुनवाई की क्या स्थिति है। कोर्ट को बताया गया कि सुनवाई अभी चल रही है। पीठ ने कहा कि सारा कुछ मस्जिद कमेटी की अर्जी पर आने वाले फैसले पर निर्भर करेगा। ऐसे में बेहतर होगा कि जिला जज के फैसले का इंतजार कर लिया जाए। मस्जिद कमेटी के वकील हुजेफा अहमदी ने सहमति जताई।

इससे पहले पीठ ने अहमदी से यह भी कहा था कि इस याचिका का निपटारा किया जा सकता है क्योंकि जिला जज की अदालत से उनकी अर्जी पर आने वाले फैसले पर ही सारा कुछ निर्भर करेगा। लेकिन अहमदी याचिका के निपटारे के लिए राजी नहीं हुए। उन्होंने कहा कि उन्हें सर्वे के लिए कमिश्नर नियुक्त किए जाने के आदेश पर आपत्ति है। कमिश्नर नियुक्त करने और सर्वे के बाद से उस धार्मिक स्थल की यथास्थिति में बदलाव हो गया है जो कि पिछले सौ सालों से कायम थी। कोर्ट को पूजा स्थल कानून को देखते हुए इस पर विचार करना चाहिए। अगर आगे जाकर कोर्ट, कमिश्नर रिपोर्ट में कही गई बातों पर भरोसा करती है तो क्या होगा या हिन्दू पक्ष उस पर भरोसा करता है तो क्या होगा। इस पर पीठ ने कहा कि कानून के मुताबिक आपको कमिश्नर की रिपोर्ट पर आपत्ति उठाने का अधिकार है। लेकिन अहमदी याचिका के निस्तारण के लिए राजी नहीं हुए उन्होंने कहा कि ये एक मामला नहीं है। वे ऐसे सभी मामलों की बात कर रहे हैं। उनकी दलीलों पर हिन्दू पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने आपत्ति उठाते हुए कहा कि अहमदी ऐसे बहस कर रहे हैं जैसे यह जनहित याचिका हो जबकि यह विशेष अनुमति याचिका है। अहमदी ने कहा कि हाई कोर्ट का आदेश रद किया जाए। इसके बाद पीठ ने कहा कि वह जिला जज के फैसले का इंतजार करेंगे और मामले की सुनवाई 20 अक्टूबर तक के लिए टाल दी.

Posted By: Inextlive