Varanasi : सफर के दौरान ठण्डा खाना खाने की इच्छा है तो रोडवेज बस की सवारी कीजिए. बसें बिल्कुल तंदूर जैसी गर्म रहती हैं. यह जरूर है कि इसमें आप भी अच्छे खासे भुनेंगे. अरे नहीं बसों में ऐसा कोई एक्यूपमेंट नहीं लगाया गया है जिससे वह गर्म रहें. उसमें खिड़की-दरवाजे ही गायब हैं. 44-45 डिग्र्री सेल्सियस तापमान पर बसें रोड पर दौड़ेंगी तो तंदूर जैसा ही एहसास कराएंगी. बसों की हालत लम्बे अरसे से है. जिन्हें इनकी आदत है वह तो सफर के दौरान खुद को बचाने का इंतजाम करके चलते हैं. जो नये-नवेले पैसेंजर हैं वह उनकी तो सफर में शामत रहती है.

बस भी कर रही अब बस

 

-कैंट रीजन से चार सौ बसें अलग-अलग रूट पर दौड़ती हैं

-इनमें से 40 परसेंट की हालत खराब है

-कई बसें एक से डेढ़ दशक पुरानी हैं

-उनके इंजन बॉडी की बात छोड़ दें तो उनके खिड़की-दरवाजे तक गायब हैं

-वर्कशॉप की हालत भी अच्छी नहीं होने की वजह से बसों की मरम्मत समय पर नहीं हो पाती है

-इन बदहाल बसों में पैसेंजर को सवारी करना मजबूरी होता है

 -वर्कशॉप की कमी की वजह से ही बनारस से एसी बसों का संचालन नहीं होता है

 

हर रूट का यही हाल

 

-टे्रंस के बाद सबसे अधिक रोडवेज बस के पैसेंजर हैं

-नार्मल डेज में डेली लगभग पांच से छह हजार पैसेंजर रोडवेज बसों में सफर करते हैं

-इनकी दिनों इनकी संख्या दो गुना है

-बनारस रीजन से इलाहाबाद, लखनऊ, मिर्जापुर, सोनभद्र, गाजीपुर, मऊ, जौनपुर, भदोही, चंदौली समेत आसपास के कई डिस्ट्रिक्ट तक पहुंचती हैं

-लगभग सभी रूट पर बदहाल बसें को आना-जाना है

-इन बसों में दिन के सफर के दौरान बदन जलाने वाली धूप और लू के थपेड़ों का सामाना करना पड़ता है

-इस हालत से खुद को बचाने के लिए पैसेंजर गमछा-आदि से खुद को ढक करके रखते हैं

Posted By: Inextlive