ये ट्रामा है या ड्रामा सेंटर
-डीडीयू हॉस्पिटल कैंपस के ट्रामा सेंटर में मरीजों को नहीं मिल रहीं पर्याप्त चिकित्सा सुविधा
-रात में पहुंचने वाले केस अधिकतर होते हैं रेफर -एक्सरे रिपोर्ट नहीं आती साफ, सिटी स्कैन के लिए बाहर की दौड़ लगाते हैं पेशेंट VARANASIगवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में भले ही लाख सुविधाएं बढ़ जाएं लेकिन मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। पांडेयपुर के दीनदयाल डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के ट्रामा सेंटर में मरीजों का दर्द कम करने के बजाय बढ़ाया जा रहा है। या यूं कह लें कि इलाज में ड्रामा किया जा रहा है। दिन में तो किसी तरह इलाज संभव हो पाता है लेकिन रात में पहुंचने वाले केस को रेफर कर दिया जा रहा है। छह बेड के इस ट्रामा सेंटर में एक्सरे रिपोर्ट तक क्लीयर नहीं आ पा रही है। जबकि डीडीयू हॉस्पिटल में सिटी स्कैन मशीन आएदिन खराब होने के कारण ट्रामा सेंटर में एडमिट होने वाले पेशेंट सिटी स्कैन के लिए बाहर का रुख करते हैं।
ऑन काल डॉक्टर्स की सुविधाट्रामा सेंटर में मरीजों का बेहतर इलाज हो सके इसके लिए बाहर से स्पशेलिस्ट डॉक्टर्स को भी ऑनकाल बुलाने की फैसिलिटी है। हर मर्ज के स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स को ऑनकॉल बुलाया भी जाता है। स्टार्टिग में तो ऑनकॉल डॉक्टर्स आते भी थे लेकिन धीरे-धीरे अब वह भी बंद हो गया है। रात में पहुंचने वाले केस इसलिए भी रेफर होते हैं कि स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स समय पर नहीं पहुंचते हैं और मरीज को बेहतर इलाज के लिए बीएचयू स्थित ट्रॉमा सेंटर या फिर नजदीक के प्राइवेट हॉस्पिटल्स में रेफर कर दिया जा रहा है।
न्यूरो पेशेंट्स को अब मिलेगी राहत बीएचयू को यदि छोड़ दिया जाए तो शहर के गवर्नमेंट हॉस्पिटल्स में न्यूरो सर्जन की पिछले कई सालों से कमी थी। हालांकि अब डीडीयू के ट्रॉमा सेंटर में चार दिनों पूर्व न्यूरो सर्जन की तैनाती कर दी गई है। उम्मीद है कि अब न्यूरो के मरीजों को प्राइवेट हॉस्पिटल्स में चेकअप के लिए जाना होगा। ट्रामा सेंटर का दावा -नौ डॉक्टर व फार्मासिस्ट की सेवा ख्ब् घंटे रहती है उपलब्ध -इमरजेंसी, एक्सरे, ब्लड टेस्ट, एंबुलेंस सहित ऑन काल सर्जन की सेवा ख्ब् घंटे -ट्रामा सेंटर में नहीं है सिटी स्कैन मशीन -भ्0 से म्0 मरीज पहुंचते हैं डेली -छह बेड का है ट्रामा सेंटर दावा है फ्लॉप -ट्रामा सेंटर में ख्ब् घंटे डॉक्टर्स व फार्मासिस्ट नहीं होते है अवेलेबल -अक्सर रात की ड्यूटी से गायब रहते हैं डॉक्टर्स -ऑनकाल डॉक्टर्स आने में करते हैं देरी -ब्लड के लिए अक्सर होती है किचकिच-एक्सरे रिपोर्ट में आती है गड़बडि़यां
-सिटी स्कैन के लिए मरीजों को जाना पड़ता है बाहर
-मरीजों को अधिकतर दवाएं लेनी होती हैं बाहर से -वॉर्ड ब्वाय व नर्सेज इलाज में करते है हीलाहवाली -क्08 एंबुलेंस का भी हाल है बुरा शुरू से रहा विवाद में ट्रामा सेंटर का शिलान्यास ख्008 में किया गया था। इसके लिए जरूरी उपकरण भी खरीद लिए गए। इनमें से ज्यादातर ख्0क्क् में बिल्डिंग तैयार होने से पहले गुम भी हो गई थी। जिसकी जांच अब भी चल रही है। लगभग ख्0 बार ट्रामा सेंटर की इनॉगरेशन की योजना भी बनी थी। डेढ़ करोड़ रुपये की डिजिटल एक्सरे मशीन हैं लेकिन जांच रिपोर्ट क्लीयर नहीं आ पाती है। ट्रामा सेंटर में मरीजों को बेहतर चिकित्सा सुविधाएं मिल रही हैं। बेड फुल होने के बाद ही मरीजों को रेफर किया जाता है। ऑन काल डॉक्टर्स अपनी सेवाएं ईमानदारी पूर्वक दे रहे हैं। एक्सरे रिपोर्ट साफ न आने पर मरीज सीधे मुझसे कम्प्लेन कर सकते हैं। डॉ। एसके उपाध्याय, सीएमएस डीडीयू हॉस्पिटल पांडेयपुर रात में अक्सर ऐसा होता है कि सीरियस कंडीशन में पहुंचने वाले पेशेंट्स को ट्रामा सेंटर से बीएचयू के लिए रेफर कर दिया जाता है। अंशुमान सिंह, खजुरीसिटी स्कैन मशीन कई दिनों से खराब पड़ी है। सीएमएस से कम्प्लेन भी की गई है लेकिन अभी तक नहीं बन सकी। पेशेंट्स बाहर से सिटी स्कैन करा रहे हैं।
रोहित मिश्रा, आशापुर ऑन काल डॉक्टर को बुलाया जाता है। जब तक डॉक्टर आते हैं तब तक मरीज दूसरे हॉस्पिटल के लिए निकल लेते हैं। कई बार खुद वॉर्ड ब्वॉय कहते हैं प्राइवेट हॉस्पिटल में दिखाइए। अरुण तिवारी, पांडेयपुर