-पाक में हुए आतंकी हमले में मारे गए मासूमों को facebook व Whats App पर लोगों ने दी श्रद्धांजलि

VARANASI : माथा चूमकर सुबह जगाया था उसे। स्कूल का यूनिफॉर्म पहनाया था उसे। बस्ते में टिफिन रखकर बस तक पहुचाया था उसे। क्या पता था, वो हाथ आखिरी बार उठा था अलविदा के लिए। सुना है दहशतगर्दो ने बच्चों को मार डाला खुदा के लिए पाकिस्तान के पेशावर में मंगलवार को आर्मी स्कूल में हुए आतंकी हमले के गम में हर आंख कुछ इसी अंदाज में नम दिखी। बेगुनाह मासूमों पर जब कायर आतंकवाद ने पीठ पीछे से गोलियां बरसाई तो जज्बात व संवेदनाएं फूट पड़ीं। जिसकी एक बानगी सोशल साइट्स पर भी देखी गई। मासूमों की मौत के गम में डूबे लोगों की ओर से पेशावर में हुई इस वारदात के बाद दुख भरे अल्फाज बुधवार को फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर देखने को मिले।

सब हुए एकजुट

फूलों के शहर पेशावर में जब फूल से मासूमों पर गोलियां बरसाकर आतंकवाद ने उन्हें मुरझा दिया तो इस घटना के बाद हर कोई एकजुट दिखा। हर धर्म और समुदाय के लोग दु:ख की इस घड़ी में मारे गए मासूमों व उनके परिजनों के प्रति सहानुभूति व संवेदनाएं व्यक्त करते दिखे। फेसबुक वॉल पर पाकिस्तान के गुनाहगारों को सजा देने की मांग भी उठी और हमले में मारे गए बच्चों के परिवारों को हर संभव मदद देने वालों की भी भीड़ सोशल साइट्स पर देखने को मिली। हर कोई अपने लेवल पर गमजदा परिवारों के साथ इस दु:ख की घड़ी में साथ खड़ा दिखा।

सोशल प्लेटफॉर्म पर कुछ यूं आये मैसेजेज

- 'आज कुछ बच्चे घर नहीं जाएंगे, वो 26/11 था, आज 16/12 है। कल धरती हमारी थी, हथियार तुम्हारे थे। आज धरती भी तुम्हारी है, हथियार भी तुम्हारे हैं'

- 'मां दरवाजा ही ताकती रही और बच्चे स्कूल से सीधे जन्नत निकल गए'

- ''RIP my dear little angles of Peshawar Pakistan.'

- 'हमें दुख कल भी था, हमें दुख आज भी है.'

- 'कैसी होगी उस मां की हालत, जिसके बच्चे ने कहा होगा कि मैं आज स्कूल नहीं जाउंगा और मां ने उसे डांट डपटकर जबरदस्ती स्कूल भेज दिया होगा.'

- 'ये क्या और क्यों है? क्या यही जेहाद है? अगर यही जेहाद है तो पूरी दुनिया की ये जिम्मेदारी है कि किसी भी कीमत पर इस जेहाद का खात्मा करना चाहिए। मासूम बच्चों को इस दर्दनाक तरीके से मार देने पर क्या गुजरी होगी उन माता-पिता पर जिन्होंने अपने बच्चों की लाशों को अपनी गोद में ले जाकर दफनाया होगा.'

- 'माथा चूमकर सुबह जगाया था उसे स्कूल का यूनिफॉर्म पहनाया था उसे बस्ते में टिफिन रखकर बस तक पहुचाया था उसे। क्या पता था वो हाथ आखरी बार उठा था अलविदा के लिए। सुना है दहशतगर्दो ने बच्चों को मार डाला खुदा के लिए '

'उन मासूमों का क्या कसूर था। अभी दुनिया को जिन्होंने समझा भी ना था उनकी आँख में गोलियां मारकर तुमने उन सपनों को भी मार दिया जिन्हें उनकी माँओं ने कोख में रखकर देखा था.'

- 'क्या साबित हो गया आखिर इन बच्चों की जान लेकर। अब तुम्हारी बुझदिली भी सरेआम हो गयी'

Posted By: Inextlive