बनारस में विश्वनाथ धाम का नव्य-भव्य स्वरूप सामने आने के बाद श्रद्धालुओं में वृद्धि सिख जैन व बौद्ध धर्म के पवित्र स्थल को भव्य स्वरूप देने की तैयारी शुरू

वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी देश की सांस्कृतिक ही नहीं, बल्कि सर्व विद्या की भी राजधानी है। काशी को मिनी भारत भी कहा जाता है। यही वजह है कि यहां हिंदू ही नहीं, बल्कि सिख, जैन और बौद्ध धर्म के पवित्र स्थल हैं। इसके अलावा संत कबीर, रविदास, कीनाराम, अवधूत राम का जन्मस्थान भी है। श्री काशी विश्वनाथ धाम का नव्य-भव्य स्वरूप सामने आने के बाद वाराणसी आने वालों की संख्या में जबर्दस्त वृद्धि हुई है। इसी को देखते हुए पर्यटन विभाग ने बौद्ध धर्म के पवित्र स्थल सारनाथ, जैन तीर्थंकरों के जन्मस्थली, नीचीबाग स्थित गुरुद्वारा, कबीर प्राकट्य स्थल लहरतारा को भव्य स्वरूप देने की तैयारी शुरू कर दी है।

72 करोड़ से संवेरगा सारनाथ

धर्म ग्रंथों के अनुसार भारत के सात शहरों में सबसे प्राचीन और पवित्र शहर है बनारस। गंगा नदी के तट पर बसे इस शहर को केवल हिंदुओं की पवित्र नगरी ही नहीं कहा जा सकता, बल्कि वाराणसी बौद्ध धर्म के लिए भी बहुत पवित्र मानी जाती है। बौद्ध धर्म के प्रवर्तक महात्मा बुद्ध ने सारनाथ में सबसे पहले अपने पांच अनुयायियों को एक वृक्ष के नीचे सत्य का उपदेश दिया था। विश्वनाथ धाम की तर्ज पर सारनाथ को विकसित करने के लिए सरकार 72 करोड़ रुपये खर्च करेगी.

जैन तीर्थकरों की जन्मस्थली का होगा विकास

जैनियों के 23वें तीर्थंकर पाश्र्वनाथ की जन्मस्थली भेलूपुर में है। यह मंदिर अपने नाम के अनुरूप तीर्थंकर की जन्मस्थली का स्मरण कराता है। भदैनी स्थित जैन घाट पर भगवान सुपाश्र्वनाथ की जन्मस्थली, कैथी स्थित चंद्रावती गांव में भगवान चंदा प्रभु की जन्मस्थली, 11वें तीर्थंकर की जन्मस्थली सारनाथ में धमेख स्तूप के ठीक बगल में स्थित है। पर्यटन विभाग ने इन सभी स्थानों का सौंदर्यीकरण कराने की कवायद शुरू कर दी है। राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने सारनाथ के डीपीआर में इसे भी शामिल करने का निर्देश दिया है.

जन्मस्थली लहरतारा में मनेगा कबीर महोत्सव

काशी के संत शिरोमणि कबीर को कौन नहीं जानता। संत की जन्मस्थली लहरतारा इन दिनों एक बार फिर से चर्चा में है। मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास पूर्णिमा को कबीर जयंती मनाई जाती है। इस वर्ष 14 जून से तीन दिवसीय कबीर महोत्सव मनाया जाएगा। इसे लेकर जन्मस्थली लहरतारा में तैयारियां शुरू हो गई हैं। इसके अलावा पर्यटन विभाग की ओर से कबीर की जन्मस्थली को भव्य-नव्य स्वरूप देने की कवायद शुरू हो गई है। हालांकि पिछले साल 50 लाख रुपये से जन्मस्थान का विकास कराया गया था। कबीर आश्रम के महंत गोविंद दास के अनुसार कबीर महोत्सव का प्रपोजल लेकर बहुत जल्द ही सीएम के पास जाएंगे। जन्मस्थली लहरतारा के सौंदर्यीकरण पर सरकार ने काफी काम किया है। बहुत जल्द ही सरकार की मदद से जन्मस्थली का भव्य-नव्य स्वरूप सामने आएगा.

नीचीबाग गुरुद्वारे का होगा कायाकल्प

सिख इतिहास का बेशकीमती दस्तावेज है गुरुद्वारा बड़ी संगत नीचीबाग। इस प्राचीन गुरुद्वारे का वर्तमान जितना खूबसूरत है उतनी ही दिलचस्प इसके निर्माण की कहानी भी। गुरुद्वारे से जहां दसवें गुरु गोविंद सिंह महाराज की यादें जुड़ी हैं, वहीं उनके पिता 9वें गुरु तेगबहादुर सिंह ने यहां तप किया था। सिख दस्तावेजों के अनुसार सन 1600 ईस्वी में भाई कल्याणजी के मकान के गर्भगृह में गुरु तेग बहादुर साहिब ने सात महीना 13 दिन तक तप किया था। इस तपोस्थली गुरुद्वारे को भव्य रूप देने की कवायद शुरू की है।

वाराणसी में सभी धर्मों के तीर्थ स्थल व संतों की जन्मस्थली का सौंदर्यीकरण कराने की योजना है। पहले फेज में 72 करोड़ रुपये से सारनाथ का विकास होगा। इसके बाद कई फेज में अन्य पवित्र स्थलों का जीर्णाेद्वार कराया जाएगा.

-कौशलराज शर्मा, डीएम

Posted By: Inextlive