पानी ने आग लगायी
बढ़े रेट से चटनी बन गयी सब्जी
भोजन की थाली को न जाने किसकी नजर लग गयी है। हाल फिलहाल में वह कभी पूरी भर ही नहीं पा रही है। रोटी-दाल का इंतजाम जैसे-तैसे हो जाए लेकिन सब्जी तो थाली से बाहर ही होती जा रही है। महंगाई की मार के साथ जमाखोरी ने रेट में जबरदस्त इजाफा किया है। रही सही कसर तूफान ने पूरी कर दी। फेलिन की वजह से पिछले कई दिनों तक हुई बारिश से पूरे देश में सब्जियों की फसल को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है। इसका असर शहर की मंडियों पर भी पड़ा है। डिमांड के अनुसार कम सब्जियां पहुंचने से रेट में आग लगी हुई है। पिछले एक सप्ताह में इसके रेट में जबरदस्त इजाफा हुआ है। सब्जी व्यापारी इस मौका का फायदा उठाने से चूक नहीं रहे हैं। कस्टमर्स से जमकर रुपये ऐंठ रहे हैं। फेस्टिवल सीजन में सब्जियों के बढ़े रेट से कस्टमर्स खासे परेशान हैं।तूफान के साथ आयी बारिश
12 अक्टूबर को तूफान फेलिन भारत में आया। इसका प्रवेश आंध्र प्रदेश और उड़ीसा से हुआ। आगे बढ़ते हुए तूफान कमजोर पड़ गया लेकिन इसका प्रभाव काफी दिनों तक बरसात और तेज हवा के रूप में देश के बड़े हिस्से में बरकरार रहा। छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश तूफान से खास तौर पर प्रभावित रहे। इसके अलावा महाराष्ट्र, कर्नाटक आदि देश के हिस्से भी प्रभावित रहे। तूफान के साथ आयी बारिश ने बड़े इलाके को चार से पांच दिनों तक सराबोर किया।फसल का हुआ सत्यानाशबारिश से खेत पानी में डूब गए। लगातार बरसात की वजह से किसान खेत से पानी निकालने का इंतजाम नहीं कर पाए। फसल को भारी नुकसान हुआ। खासकर सब्जियों को। वह खेत में सडऩे लगीं। बारिश के साथ तेजी से गिरे टेम्परेचर ने इसमें बड़ा योगदान दिया। इस बरसात ने आलू-मटर, चना, सरसों, गोभी, बैगन, मिर्चा, टमाटर, प्याज, धनिया समेत हरी सब्जियों का सत्यानाश कर दिया। सिर्फ यही नहीं किसान और व्यापारी जिन जगहों पर आलू, प्याज, टमाटर आदि को जहां स्टॉक किए थे वहां भी पानी पहुंच गया। उनके स्टॉक को भी नुकसान हुआ।कम हो गयी आवक
देश के कई इलाकों के साथ पूर्वांचल के किसानों की सब्जी की खेत का सत्यानाश हो गया। इसकी वजह से बनारस की मंडियों में सब्जी की आवक कम हो गयी। बनारस की पहडिय़ा मंडी, राजातालाब, पिंडरा पंचक्रोशी, लालपुर, चंदुआ, सुंदरपुर सब्जी मंडी समेत कई अन्य मंडियां शहर के साथ आसपास के बड़े एरिया में सब्जी की जरूरत को पूरी करती हैं। डिमांड के अनुसार आवक कम होने से सब्जी का रेट बढ़ गए हैं। मंडियों में लगभग हर सब्जी पर 15 से 20 परसेंट तक बढोत्तरी हो गयी।खुदरा में खूब हो रही लूटखसोटसिटी के ज्यादातर घरों में सब्जी खुदरा व्यापारियों के जरिए पहुंचती है। कालोनी, मोहल्लों के बाजारों में छोटे-छोटे समूह में जमा होने वाले सब्जी व्यापारी जरूरत की हर सब्जी मुहैया कराते हैं। इन बाजारों से दूर दराज गलियों में ठेले वाले पहुंचते हैं। कम आवक के इस मौके का फायदा उठाते हुए खुदरा मार्केट में सब्जियों के रेट में 40 से 50 परसेंट तक का इजाफा हो गया है। रेट को लेकर किचकिच भी हो रही है। पहले जहां खुदरा व्यापारी रुपये-दो रुपये कम कर देते थे। अब तो कम आवक का हवाला देते हुए कीमत कम करने को तैयार ही नहीं होते हैं।पूरी नहीं हो रही पसंद
सब्जी का रेट क्या बढ़ा घरों में किचकिच शुरू हो गयी है। हर किसी पसंद की सब्जी नहीं बन पा रही है। अगर किसी को सब्जी में प्याज और टमाटर अधिक पसंद है तो उसे कुछ दिनों तक मनपसंद सब्जी नहीं मिलने वाली है। किसी को डॉक्टर ने हरी सब्जी खाने का सजेशन दिया है तो वह भी अब रेट कम होने का इंतजार कर रहा है। जिन घरों की इनकम कम है उनमें तो एक वक्त ही सब्जी बना रही है। दिन में दाल और अचार से ही काम चलाना पड़ रहा है। बच्चों के टिफिन में भी सब्जी कुछ कम हो गयी है। सब्जी का रेट रुपये प्रति किलोसब्जी वर्तमान पूर्व प्याज 90-100 60-70टमाटर 75-80 40-50आलू 25-30 12-15पत्ता गोभी 40-45 25-30करैला 35-40 28-30नेनुआ 40-50 30-35परवल 60-70 40-45भिण्डी 35-40 20-25बैगन 40-50 20-30पालक 30-35 15-20लौकी 40-45 15-20कोहड़ा 30-35 10-15बोड़ा 60-65 30-40हरी धनिया 150-170 70-80अदरक 100-120 70-80 यहां से आती हैं सब्जी-महाराष्ट्र के पूना और सतारा से बड़ी मात्रा में आलू मंडियों में आता है। पंजाब से भी आलू की बड़ी खेप आती है।-आंध्र प्रदेश और कर्नाटक प्याज की बड़ा उत्पादन करते हैं लेकिन महाराष्ट्र के नासिक से प्याज की बड़ी मात्रा में सप्लाई पूर्वांचल में होती है।-बिहार, बंगाल, उड़ीसा से टमाटर अपने शहर में आता है। हरी सब्जियों की पूर्वांचल में अच्छी पैदावार है।-भदोही, गाजीपुर, मिर्जापुर, बलिया समेत कई जिलों से हरी सब्जियां बनारस की मंडियों में आती हैं।