कोरोना काल में रोडवेज मालामाल
-पिछले कई सालों से नुकसान झेल रहे रोडवेज को संक्रमण काल के बीच हुआ जबरदस्त फायदा
-फेस्टिवल और वेडिंग सीजन के चलते रोडवेज को करोड़ों का इनकम, लोकल ट्रेन न चलने से भी मिली संजीवनी - अनलॉक होते ही रोडवेज में आने जाने वालों की भीड़ बढ़ गयी, बसें फूल होकर खुल रही थीं :::: प्वाइंटर :::: 16665.59 लाख रुपये अक्टूबर महीने तक रोडवेज ने कलेक्ट कियाकोरोना काल में जहां लगभग सभी सेक्टर को भारी नुकसान उठाना पड़ा है, वहीं वाराणसी रोडवेज ने कमाई का रिकार्ड बनाया है। वाराणसी रीजन ने कमाई में यूपी में टॉप किया है। केवल अक्तूबर महीने में लक्ष्य के सापेक्ष रिकार्ड 110.76 परसेंट इनकम हुई है। इस उपलब्धि के साथ ही सूबे में वाराणसी रोडवेज को पहला स्थान मिला है। अक्टूबर महीने तक रोडवेज ने 16665.59 लाख रुपये कलेक्ट किया है। जिसमें वाराणसी परिक्षेत्र को अक्टूबर में 55.84 लाख, नवंबर में 303 करोड़ व दिसंबर में 332 करोड़ रुपये का फायदा हुआ है।
कई सालों से रहा घाटे मेंबताते चलें कि लॉकडाउन के पहले हमेशा घाटे में रहने का रिकार्ड वाराणसी रीजन के नाम रहा है। लेकिन कोरोना ने मानों संजीवनी दे दी है। रोडवेज वाराणसी रीजन ने एक ओर जहां कोरोना काल में यात्रियों को उनके घरों तक पहुंचाया, वहीं अपनी आय में भी जबरदस्त बढ़ोतरी की है। जून 2020 महीने में जब रोडवेज बसों के संचालन की शुरुआत हुई तब से इनकम के मुद्दे पर भी रीजन उत्तरोत्तर सुधार करता चला गया। हालांकि अगस्त और सितंबर महीने में रोडवेज इनकम में पीछे रहा, लेकिन अक्टूबर, नवंबर व दिसंबर में रिकार्ड कमाई किया।
तीन महीने तक दबदबा अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार केवल अक्टूबर महीने में लक्ष्य के सापेक्ष 110.76 परसेंट इनकम हुई है। इस महीने से यात्री सुविधाओं में बढ़ोतरी भी हुई। जिससे पैसेंजर का रुझान रोडवेज बसों की ओर बढ़ता चला गया। यह सिलसिला नवंबर व दिसंबर में भी जारी रहा। बताया कि प्रदेश में पहला स्थान मिलने से हौसला और उत्साह बढ़ा है। वाराणसी रोडवेज के बेड़े में 538 बसें शामिल हैं। आठ डिपो वाले रीजन में कोरोना संक्रमण से बचाव के साथ बसों का संचालन किया जा रहा है। त्योहार व लगन ने लगाया पंखदीपावली, धनतेरस व छठ पूजा के अलावा वेडिंग सीजन ने रोडवेज की कमाई को पंख लगा दिया। इस बीच रोडवेज की ओर से एक्स्ट्रा बसें चलाईं गयीं। इसमें यात्रियों ने भारी संख्या में सफर किया। सामान भी भेजे गए। धनतेरस और दीपावली पर अपने घरों को जाने वाले यात्रियों ने रोडवेज बसों को ही सहारा बनाया। इसके बाद लगन के दौरान हजारों लोग कैंट बस स्टेशन से यहां से गए और आए। इस बीच डाला छठ की शुरूआत हो गई। दिल्ली से आने और दिल्ली जाने वाली बसों पर यात्रियों का भारी प्रेशर रहा है। यहां से गोरखपुर, मऊ, गाजीपुर व बलिया आदि आसपास के जिलों से यात्री आए और गए। अब भी बसें भरी चल रही हैं। इन सब को लेकर रोडवेज की अच्छी कमाई हुई।
प्रोत्साहन योजना ने दी ऊर्जा रोडवेज की कमाई में एक और फंडा अपनाया गया जो कारगर रहा। इस बीच निगम द्वारा चलाई गई प्रोत्साहन योजना से भी कर्मचारियों को नया उत्साह मिला। उन्होंने बिना अवकाश लिए पर्व के सीजन में लगातार काम किया, इससे यात्रियों को लगातार बस सेवा मिली है और रोडवेज की कमाई हुई। लोकल ट्रेन न चलने का मिला फायदारोडवेज की कमायी में अन्य वजहों में लोकल ट्रेन न चलना भी है। वाराणसी जंक्शन से 22 मार्च के पहले ही लोकल ट्रेनों का अंतिम संचालन हुआ था। इसके छह महीने बाद भी वही हाल है। आसपास के शहरों के लिए ट्रेंस का संचालन न होने से पैसेंजर्स का लोड बसेस पर ट्रांसफर हो गया है। इसका भरपूर फायदा रोडवेज को मिला। इसके चलते अनलॉक होते ही रोडवेज में आने जाने वालों की भीड़ बढ़ गयी।
2020 के अंतिम तीन माह का इनकम -अक्टूबर 55.84 लाख रुपये -नवंबर 303.00 करोड़ रुपये -दिसंबर 332.00 करोड़ रुपये 2019 के अंतिम तीन माह का नुकसान -अक्टूबर 287.37 करोड़ रुपये -नवंबर 249.44 करोड़ रुपये -दिसंबर 373.04 करोड़ रुपये कोट::: पिछले कई सालों में रोडवेज, वाराणसी रीजन घाटे में ही चल रहा था। लेकिन इस साल करोड़ों का फायदा हुआ है। इसके पीछे लोकल ट्रेन का न चलना है, तो रोडवेज की ओर से पैसेंजर्स को दी गयी सुविधा बड़ी वजह है। -एसके राय, आरएम रोडवेज वाराणसी रीजन