Varanasi:आरटीओ ऑफिस मतलब दलालों की सैरगाह. यहां छोटे से छोटे काम में भी दलालों की दखल आम बात है. ऑफिस में एंट्री करते ही दलाल चंगुल में फंसाने के लिए एक्टिव. यहां आये लोगों का काम हो न हो लेकिन दलाल अपना काम जरूर कर लेते हैं. इससे न केवल डिपार्टमेंट आजिज है बल्कि पब्लिक भी परेशान है. इससे निजात दिलाने का पिछले दिनों दावा किया गया था. कहा गया था कि ड्राइविंग लाइसेंस सेक्शन के कंप्यूटराइज्ड होने के बाद अब यहां दलाल फटक नहीं पायेंगे. उनकी दाल नहीं गलेगी. इसका कुछ दिनों तक तो असर दिखा लेकिन हालात फिर जस के तस हो गये हैं. ऑफिस में दलालों की ही चल रही है.


कर रहे मोटी कमायी आरटीओ ऑफिस के लाइसेंस सेक्शन के कंप्यूटराइजेशन होने के कुछ दिनों बाद तक शांत रहने वाले दलाल अब फिर से पब्लिक की जेब काटने लगे हैं। उनसे अनाप शनाप पैसे ऐंठना स्टार्ट कर दिये हैं। डीएल के लिए फॉर्म भरवाने, फीस जमा करने, लाइन लगाने से छूट दिलाने के अलावा जल्द से जल्द डीएल घर भेजवाने का वो ठेका ले ले रहे हैं। इसके बदले में वो मोटी कमायी कर रहे हैं। जबकि इससे निजात दिलाने के लिए ही सेक्शन को पूरी तरह से कंप्यूटराइज्ड किया गया है। लेकिन सब बेमानी साबित हो रहा है। बेकार साबित हो रही साइट  
डिपार्टमेंट ने स्मार्ट डीएल की शुरुआत के बाद ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन का नायाब तोहफा पब्लिक को दिया था। इसके तहत डिपार्टमेंट की वेबसाइट पर रिलेटेड व्यक्ति को डीएल के लिए फॉर्म भरना होता है। इसके बाद उसे टोकन नंबर के साथ ही एक डेट दे दी जा रही है। उस डेट पर संबंधित व्यक्ति को आरटीओ पहुंचकर वेबकैम के थू्र अपनी फोटो व बायोमीट्रिक मशीन पर अपना थंब इम्प्रेशन देना होता है। इसके बाद डीएल संबंधित एड्रेस पर पहुंचा देने का प्लैन बना था। यह सब बस कुछ दिनों की बात रही। अब तो वेबसाइट बस नाम की रह गई है। कई बार क्लिक करने के बाद भी ओपेन हो जाए तो अपना भाग्य समझिये। "डीएल सेक्शन में दलालों के फिर से एक्टिव होने की कंप्लेन अभी तक किसी ने की नहीं है। फिर भी इसकी जांच की जाएगी। बृजेश सिंह, आरटीओ "

Posted By: Inextlive