बाबू से बाहरी तक वसूल रहे पैसा
--RTO बनारस में पहले भी कई कर्मचारी गिरफ्तार हुए हैं ARTO आरएस यादव जैसे
-डिपार्टमेंट में बाबू से लेकर कांस्टेबल तक हैं भ्रष्टाचार में लिप्त, मलाईदार विभाग में जमे हैं सालों से -बाबूओं के बल पर आउटसाइडर्स भी करते हैं करोड़ों का वारा न्यारा VARANASIगले में मोटी सोने की चेन, हाथ में लाखों के ब्रेसलेट, ब्रांडेड कपड़े व जूते ये किसी माफिया, बिजनेसमैन या ठेकेदार का नहीं बल्कि आरटीओ में तैनात बाबूओं का ड्रेस कोड है। ऑफिस में इनको देखते ही आप फेर में पड़ जाएंगे कि कुर्सी पर बैठा इंसान ऑफिसर तो नहीं, पर घबराने की जरूरत नहीं, ये बाबू ही हैं। भले ही ऑफिसर रैंक पर चंदौली के एआरटीओ के भ्रष्टाचार का खेल सामने आया हो लेकिन आरटीओ में तैनात इन रंगबाज बाबूओं के काले कारनामे से पर्दा उठना अभी बाकी है। एक-एक कर जांच हो जाए तो हमाम में सभी नंगे नजर आएंगे। इतना ही नहीं विभाग में काम करने वाले आउट साइडर्स का भी यहां सिक्का कम नहीं चलता है।
करोड़ों की है बेनामी संपत्तिबनारस आरटीओ में बाबूओं का अपना अलग साम्राज्य है। डिपार्टमेंट में ऐसे एक दो नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक बाबू हैं जिनके नाम की ऑफिस में तूती बोलती है। ये ऑफिस में रहे न रहें पर इनके नाम पर काम होता रहता है। इसके बदले में इनको मोटी रकम मिलती है। इसके बूते इन्होंने करोड़ों की बेनामी संपत्ति बना ली है। यहां तक कि विभाग में तैनात कई कांस्टेबल करोड़पति हैं। यही नहीं शायद ही कोई बाबू व कांस्टेबल होगा जो विभाग में दस साल से न जमा हो। कई तो इससे भी ज्यादा समय से एक ही जगह पर जमे हैं।
चढ़ाते हैं चढ़ावाआरटीओ बनारस में जूनियर क्लर्क, क्लर्क और सीनियर क्लर्क की ख्भ् से अधिक पोस्ट हैं। इनमें करीब आठ पोस्ट पर तैनात बाबूओं का जलवा ऑफिस के ऑफिसर्स से भी ज्यादा है। आरटीओ, एआरटीओ सहित अन्य ऑफिसर्स अपने सेक्शन में रहें या न रहें लेकिन अगर ये बाबू मौजूद हैं तो काम रुक नहीं सकता। इसके बल पर ये लाखों रुपये का वारा न्यारा करते हैं। यही वजह है कि जब इन बाबूओं से आप मिलेंगे तो आप ये सोचने के लिए मजबूर हो जाएंगे कि ये सरकारी कर्मचारी हैं या कोई करोड़पति। खास बात यह है कि कुछ बाबू व कांस्टेबल तो अपने इन काले कारनामों को छिपाने के लिए बड़े ऑफिसर्स से लेकर मंत्री व विधायक तक के दर पर माथा टेकते हैं। यहां अपनी कमाई से कुछ चढ़ावा भी चढ़ाते हैं।
सरकार का ऑर्डर भी फेल विभाग में ऐसे बाबूओं की संख्या आधा दर्जन से ज्यादा है जिनका या तो ट्रांसफर हो चुका है या उनका प्रमोशन हो चुका है। सोर्सेज के मुतबिक इनमें से तीन का हाल ही में ट्रांसफर हुआ था लेकिन खुद को ऑफिस में ही अटैच कराकर यहीं से काम जारी रखे हुए हैं। बताया जाता है कि कमर्शियल वाहनों के परमिट के रिन्यूवल व ओवरलोडिंग के लिए इन बाबूओं का एक अलग नेक्सेस ही काम करता है। इनमें से कई डिस्ट्रिक्ट के एडमिनिस्ट्रेटिव ऑफिसर्स से साठगांठ कर अपना मायाजाल फैलाए हुए हैं। यही हाल कांट्रैक्ट पर तैनात कर्मचारियों का भी है। जो देखते ही देखते लखपति और करोड़पति बन गए हैं।