स्कूल कॉलेज और अस्पताल के बाहर भी कम नहीं है गाडिय़ों का शोर स्मार्ट सिटी वाराणसी में जहां सबसे कम नॉइज पॉल्युशन होना चाहिए. वहां पर सबसे ज्यादा प्रदूषण


वाराणसी (ब्यूरो)नॉइज पॉल्युशन से जुड़ी एक चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की इंवेस्टिगेशन के मुताबिक स्मार्ट सिटी वाराणसी में जहां सबसे कम नॉइज पॉल्युशन होना चाहिए। वहां पर सबसे ज्यादा प्रदूषण हो रहा है। यह वो इलाके हैं जो साइलेंट जोन घोषित हैं। यह वो इलाके हैं, जहां स्कूल-कॉलेज और अस्पताल हैं। इसका असर पब्लिक की सेहत और जीवन की गुणवत्ता पर पड़ रहा है। एक्सपट्र्स के अनुसार बढ़ती गाडिय़ों और उनके शोरगुल के चलते अब ये एरिया भी पूरी तरह से नॉइज पॉल्यूशन की जद में हैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के जर्नलिस्ट अजय गुप्ता और प्राची मिश्रा ने कुछ साइलेंट जोन एरिया की पड़ताल की तो अधिकांश जगह नॉइज पॉल्युशन लेवल मानक से अधिक मिला।

स्पॉट-1: एडीजी ऑफिस में 69.6 डीबी टाइम-12:47 बजे

कैंटोनमेंट स्थित एडीजी ऑफिस साइलेंट जोन में है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने शनिवार को 12.47 बजे यहां नॉइज पॉल्युशन मीटर से नॉइज लेवल चेक किया तो यह 69.6 डेसीबल मिला, जा मानक से 19.6 डेसीबल ज्यादा रहा.

स्पॉट-2: जेपी मेहता इंटर कॉलेज के पास 75 डीबी

कचहरी स्थित जेपी मेहता इंटर कॉलेज के पास की स्थिति और भी खराब थी। नॉइज पॉल्युशन मीटर से जांच यहां शोरगुल 75 डेसीबल से भी ऊपर रहा। स्कूल में हजारों छात्र पढ़ते हैं.

स्पॉट-3: वीडीए के समीप 72 डीबी

वाराणसी विकास प्राधिकरण के ऑफिस के बाहर नॉइज पॉल्युशन मीटर से मापने पर यहां मीटर लगाते ही कांटा भागने लगा। मीटर का काटा मानक से कहीं ज्यादा 72 डेसीबल तक पहुंच गया.

स्पॉट-4: डीएम ऑफिस के पास 64 डीबी

डीएम ऑफिस के बाहर गाडिय़ों का आवागम बहुत ज्यादा तो नहीं रहता, लेकिन जब मीटर से वहां पॉल्यूशन लेवल चेक किया गया तो यह 64 डेसीबल से ज्यादा पाया गया.

स्पॉट-5: डीडीयू अस्पताल के पास 82 डीबी

आईनेक्स्ट टीम दोपहर 1:48 बजे पांडेयपुर स्थित डीडीयू हॉस्पिटल और ईएसआईसी हॉस्पिटल के पास पहुंची। ईएसआईसी के पास पॉल्यूशन इंडेक्स 70 के पार तो डीडीयू के पास यह 82 डेसीबल के करीब पाया गया। यहां बड़ी संख्या में पेशेंट एडमिट रहते हैं.

ये होती है प्रॉब्लम

- अधिक नॉइज पॉल्यूशन से दिमागी तनाव, नींद की कमी, श्रवण गड़बड़ी और शारीरिक समस्याएं होती हैं।

- नॉइज पॉल्यूशन के कारण लोगों में चिड़चिड़ापन होता और मनोबल में कमी का अनुभव करवाता है.

साइलेंट जोन में नॉइज पॉल्युशन के मानक

पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड के मानकों के मुताबिक साइलेंट जोन में ध्वनि का लेवल दिन में 50 तो रात में 40 डेसिबल तक होना चाहिए।

इस नंबर पर करें कंप्लेन

नॉइज पॉल्युशन संबंधी या किसी भी अन्य शिकायत को लिखकर यूपी 112 के नंबर 7570000100 पर व्हाट्सएप करें। अगर कोई शिकायतकर्ता अपनी पहचान गुप्त रखना चाहता है तो अंत में लिखे, कृपया मेरे नंबर, नाम और पहचान को गुप्त रखा जाये.

एरिया वाइज नॉइज पॉल्युशन (डेसीबल में)

100 रोडवेज

90 कचहरी

87 भोजूबीर तिराहा

92 पांडेयपुर

77 चौकाघाट

75 लहुरावीर

88 कबीरचौरा अस्पताल

89 मैदागिन

81 काशी विश्वनाथ मंदिर गेट-4

ज्यादा शोर से सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। यह हमारे तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है। 100 डेसीबल से ज्यादा आवाज सुनने की क्षमता को प्रभावित करती है। मानक से ज्यादा नॉइज पॉल्यूशन दिमाग की कोशिका को प्रभावित करता है। ज्यादा समय तक तेज आवाज वाले एरिया में रहने वाले लोगों को ऊंची आवाज में सुनने, चिड़चिड़ापन, नींद न आने जैसी समस्याएं होने लगती हैं.

डॉडीडी दुबे, फिजिशियन

नो डाउट सिटी में पहले से कही ज्यादा शोर बढ़ा है। जिस तरह से बनारस में टूरिज्म बढ़ा है। उसी रफ्तार से यहां गाडिय़ों की संख्या भी बढ़ी है। ये गाडिय़ां न सिर्फ एयर पॉल्यूशन बल्कि तेज हार्न से न्वॉयज पॉल्यूशन भी फैला रहे हैं। इस कर कानून तो है, लेकिन सख्ती नहीं की जा रही है। यह स्वास्थ्य के लिए लिहाज से काफी हार्मफुल है। सड़कों पर स्पीड लिमिट की तरह हार्न बजाने की लिमिट वाली कहीं कोई साइनेज नहीं दिखाई देती। अब सख्ती की जरूरत है।

सानिया अनवर, एक्सपर्ट, एयर फॉर केयर-द क्लाइमेट एजेंडा

Posted By: Inextlive