ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में मंदिर पक्ष की चार वादियों ने की मांग एक वादी और मस्जिद पक्ष ने किया विरोध कहा- आयु निर्धारण के लिए जांच आवश्यक नहीं

वाराणसी (ब्यूरो)ज्ञानवापी-शृंगार गौरी प्रकरण में जिला अदालत में गुरुवार को ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवङ्क्षलग के आयु निर्धारण (कार्बन डेङ्क्षटग) कराने पर बहस हुई। मंदिर पक्ष की चार वादियों मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक और सीता साहू की ओर से शिवङ्क्षलग की प्राचीनता जानने के लिए कार्बन डेङ्क्षटग कराने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्र पर उनके अधिवक्ता हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवङ्क्षलग की कार्बन डेङ्क्षटग या अन्य वैज्ञानिक विधि (ग्राउंड पेनेट्रेङ्क्षटग रडार) के जरिये जांच की जाए, ताकि उसकी प्राचीनता, उसमें प्रयुक्त धातु व विशेषता आदि का पता लगाया जा सके। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के विशेषज्ञों की टीम बनाई जाए जो ज्यादा तार्किक-वैज्ञानिक तरीके से शिवङ्क्षलग की पुरातनता की जांच करे।

फैसला रखा सुरक्षित

अदालत ने सभी पक्षों के तर्क सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है। अगली सुनवाई सात अक्टूबर को होगी। राखी ङ्क्षसह समेत पांच महिलाओं की ओर से शृंगार गौरी के नियमित दर्शन-पूजन समेत अन्य मांगों को लेकर दाखिल याचिका की सुनवाई दोपहर बाद तीन बजे जिला जज की अदालत में शुरू हुई। मंदिर पक्ष की मंजू व्यास, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक और सीता साहू की ओर से उनके वकील हरिशंकर जैन व विष्णु शंकर जैन ने शिवङ्क्षलग के वैज्ञानिक परीक्षण के पक्ष में दलील दी।

शिव हैैं अविनाशी

मंदिर पक्ष की ही वादी राखी ङ्क्षसह के वकीलों मान बहादुर ङ्क्षसह व अनुपम द्विवेदी ने इसका विरोध किया। उनका तर्क था कि शिव अविनाशी हैं। उनके आयु निर्धारण के लिए कार्बन डेङ्क्षटग की आवश्यकता नहीं है। मानबहादुर ङ्क्षसह ने कहा कि कार्बन डेङ्क्षटग की प्रक्रिया में शिवङ्क्षलग के कुछ हिस्सों को खुरचकर जांच करनी होगी। ऐसे में शिवङ्क्षलग खंडित हो जाएगा। सनातन मान्यता के अनुसार खंडित शिवङ्क्षलग की पूजा नहीं हो सकती। कहा कि यह मूल मुकदमे का विषय नहीं है। इसे मुकदमे में शामिल करने से मूल मुकदमा प्रभावित होगा।

सुप्रीम कोर्ट का हवाला

मस्जिद पक्ष के वकील मेराजुद्दीन सिद्दीकी ने भी कार्बन डेङ्क्षटग का विरोध किया। कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने उक्त स्थान को सील करने के साथ वहां किसी तरह की छेड़छाड़ न करने का आदेश दिया है। ऐसे में वहां किसी तरह की जांच की मांग सुप्रीम कोर्ट में ही की जा सकती है। जिसे मंदिर पक्ष शिवङ्क्षलग बताकर उसके आयु निर्धारण की बात कह रहा है, वह एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई के दौरान मिला था। अभी तक अदालत ने एडवोकेट कमिश्नर की कार्रवाई की रिपोर्ट स्वीकार नहीं की है। ऐसे में इस तरह की मांग नहीं की जा सकती। अदालत इस मामले में पक्षकार बनने के लिए दिए गए प्रार्थना पत्रों व वादी राखी ङ्क्षसह की ओर से करमाइकल लाइब्रेरी की खोदाई में मिली गणेश-लक्ष्मी की मूर्ति को सुरक्षित रखने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई सात अक्टूबर को करेगी.

Posted By: Inextlive