42 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा अधिकतम तापमान शहर के कई इलाकों में सजे बाजार पसीने से तर-बतर फिर भी रोजेदारों के जोश में कमी नही काम-धाम का टाइमिंग हो गया चेंज

वाराणसी (ब्यूरो)बनारस में रोजा को लेकर सहरियों में उत्साह का माहौल है। शहर में पड़ रही भीषम गर्मी से जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। तपते सूरज ने रोजा के शुरुआत से रोजेदारों का म्तिहान ले रहा है। शनिवार को दिन में 42 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान और रात में 25 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहे पारे ने रोजेदारों के लिए कड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है। इसके बाद भी उनके जोश में कोई कमी नहीं आई है। गर्मी और हीट वेव के थपेड़ों से सहकर रोजेदार अपने अल्हाह की इबादत को कंटीन्यू किए हुए हैैं। रोजेदार पाचों वक्त नमाज में शामिल हुए और फिर पूरे दिन रुटीन का काम निबटा रहे हैैं।

रोजेदारो के लिए सजी दुकानें

शहर में रोजे के दिनों में पांचों वक्त की नमाज अदा करने वाले रोजेदारों को गर्मी का मार झेलनी पड़ रही थी। दोपहर में कार्यलय, कारखाने, बाजार और सड़कों पर सन्नाटा दिख रहा है। सुबह और शाम की शिफ्ट में रोजेदार कर्मचारी और काम-धंधे वाले लोग अपने काम निबटाने में लगे हैैं। नई सड़क, लंका, मलदहिया, दुर्गाकुंड, कमच्छा, गोदौलिया, दालमंडी समेत शहर के अधिकांश मार्केट में रोज़ेदारों के लिए दुकानें सजी हैैं। दिन ढ़लने और शाम को रोजा खोलने के बाद लोग खरीदारी के लिए घर से निकल रहे हैैं.

बढ़ गई महिलाओं की जिम्मेदारी

रोजा महिलाएं भी उतनी ही शिद्दत से रखती हैं जितना पुरुष। उनके लिए भी प्राथमिकता में है। रोजे के चलते उन पर जिम्मेदारी बढ़ गई है। घर की जिम्मेदारियां और मौसम की मार को सहते हुए महिला रोजेदारों को अपने काम व रोजा से सामंजस्य बनाना पड़ रहा है। फिर भी उनके जोश और उत्साह में कोई कमी नहीं आ रही है। शहरी (रोजा) के लिए आसपास होने से महिलाओं को जल्दी उठना और रोजा शुरू करने से पहले कुछ इंतजाम करना और शाम को इफ्तार का समय सात बजे के आसपास होने से शाम से ही तैयारियों में जुटना। करीब 12 घंटे तक रोजा रखकर इतने काम निबटाना रोजेदारों के लिए किसी बड़ी इम्तेहान से कम नहीं है। फिर भी रोजदार पूरी शिद्दत से इस परीक्षा के लिए तैयार दिखे। काम पर रोजा रखकर निकली महिलाओं को प्यास बुझाने की तलब तो है पर अल्लाह को राज़ी करने का जोश उससे ज्यादा दिखा.

इफ्तारी की अपनी फरमाइशें

रमजान के चलते रोजमर्रा के कामों का समय भी बदल गया है। महिलाएं अल सुबह उठकर सेहरी की तैयारी कर सभी घर वालों के साथ मिलकर खुशी से खाने-पीने के बाद अल्लाह की इबादत में लग जाती हैैं। रोजमर्रा के कामों के साथ ही इफ्तारी की तैयारी शुरू हो गई। घर में बच्चों से लेकर बुढ़ो की इफ्तारी की अपनी फरमाइशें हैैं। किसी को फुलोरी तो किसी को छोले कटलेट और गुलगुले पसंद आ रहे हैैं.

माह-ए-रमजान सुकून महीना होता है। गर्मी तो पड़ रही है, लेकिन अल्लाह की इबादत तो रहमत का सबब है। अल्लाह साल मे एक बार इम्तेहान लेता है कैसे ना दें हम?

शाहिल खान, रोजेदार

रोजा रखकर माशा अल्लाह मजा आ रहा है। घूप की वजह से थोड़ी दिक्कत है पर रोजा रखने की खुशी ज्यादा बड़ी है। रोजे की रौनक अलग ही होती है.

नादिया खान, रोजेदार

मौसम तो पहले रोजे से ही इम्तहान ले रहा है। इतनी खुशी है। इतना जोश है की हमारे जोश के आगे हीट वेव और गर्मी की तपिश फीकी पड गई.

सिंकदर खान, रोजेदार

सुबह तो कोई खास दिक्कत नहीं हो रही। दोपहर कहीं आने-जाने में दिक्कत हो रही है। सभी लोग मजे से रोजा रख रहे हैैं। अल्लाह की इबादत में जोश कम नहीं होगा। .

मोनशीम, रोजेदार

रमजान के शुरुआती में थोड़ी दिक्कत में आती है। फिर आदत बन जाती है। दिन भर रोजा तो शाम को तराबी में चले जाते हैं। रोज़ा भी रखा है। अल्लाह सबर देता है.

वसीम, रोजेदार

अल्लाह की इबातद का पाक महीने में चाहे कितनी भी गर्मी और हीट वेव चले। लेकिन वह हमारे हौसले को डिगा नहीं सकती है। हम लोग बहुत तफ्सीली से रोजा रख रहे हैैं।

आजम खान, रोजेदार

रमजान अल्लाह की इबादत का पाक महीना है। गर्मी जरूर परेशान कर रही है, लेकिन मौसम और इबादत से सामंजस्य बनाकर रोजा कांटिन्यू है। हम उत्साह से लबरेज हैं.

अदीबा खान, रोजेदार

Posted By: Inextlive