मोदी मैजिक ने ममता-अखिलेश का तोड़ दिया साझा सपना राहुल गांधी पहले ही गए फिडबैक मिलने के बाद रोड शो में नहीं आईं प्रियंका वाड्रा

वाराणसी (ब्यूरो)बनारस को भाजपा का गढ़ माना जाता है, जो एक बार फिर आठ सीट पर क्लीन स्वीप के साथ साबित हो गया है। हालांकि 2017 में भी भाजपा ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। यही वजह है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने बनारस को अपना संसदीय क्षेत्र चुना। उन्होनें भी 2014 व 2019 में ऐतिहासिक जीत दर्ज की थी। इसके पहले भी इस सीट पर भाजपा को जीत मिलती रही है। शहर की दक्षिणी, कैंट व उत्तरी विधानसभा सीट भी लंबे समय से भाजपा के खाते में जाती रही है, लेकिन इस बार सीटिंग विधायकों को लेकर जबर्दस्त नाराजगी थी। फिर भी भाजपा ने दोबारा मैदान में उतारा था। लगातार सोशल मीडिया पर विरोध भी दिख रहा था। चट्टी, चौराहों और अडिय़ों पर भी चर्चाएं खूब होती थीं। भाजपा के गढ़ में सेंधमारी के लिए ममता बनर्जी, अखिलेश यादव, प्रियंका वाड्रा, राहुल गांधी, मायावती ने बनारस में डेरा भी डाला। भीड़ दिखाकर दक्षिणी सीट पर सपा की एंट्री का संकेत भी दिया। मतगणना के दौरान आ रहे रुझान से एक बार यह साबित होता भी दिखा, लेकिन अंत में मोदी मैजिक ने सब साफ कर दिया। नीलकंठ की जीत के साथ भाजपा के गढ़ बनारस में सपा की दखल का सपना अधूरा रह गया।

दिग्गजों ने डाला डेरा

तमाम विरोध और कयासबाजी को दरकिनार करते हुए भाजपा हाईकमान ने बनारस की दक्षिणी सीट से नीलकंठ तिवारी, उत्तरी से रविंद्र जायसवाल, कैंटोनमेंट से सौरभ श्रीवास्तव, शिवपुर से अनिल राजभर, सेवापुरी से नीलरतन सिंह पटेल, अजगरा से टीराम, पिंडरा से डॉ। अवधेश सिंह और रोहनियां से अपना दल एस के डॉ। राजेश पटेल को प्रत्याशी बनाया गया। नामांकन के बाद प्रदेश प्रभारी धमेंद्र प्रधान ने बनारस में ही डेरा डाल लिया। इसके अलावा अमित शाह तीन बार बनारस आए। जेपी नड्डा, स्मृति ईरानी, अनुराग ठाकुर समेत कई केंद्रीय मंत्रियों का आना-जाना लगा रहा।

चलता रहा मान-मनौव्वल

भाजपा के दिग्गजों ने शहर के पांच सितारा होटलों में डेरा डाला था। फिडबैक के अनुसार जो भी बड़े नेता या कार्यकर्ता नाराज थे, उन्हें होटलों में आमंत्रित किया जाता था। इनके साथ दिग्गज नेता लंच या डिनर करते थे। बातचीत से नाराजगी दूर करने का सिलसिला अंतिम दौर तक चलता रहा। इसी कड़ी में 27 फरवरी को खुद पीएम नरेंद्र मोदी बनारस आए थे। उन्होंने सिर्फ कार्यकर्ताओं से संवाद किया था। करीब 20 हजार नाराज कार्यकर्ताओं को मनाकर चुनाव में लगने का मंत्र दिया था। अंत में 4 मार्च को रोड शो के जरिए नाराज बनारस की जनता का मनमोहा। दूसरे दिन 5 पांच मार्च को सीधा संवाद कर प्रबुद्धजनों की नाराजगी दूर की। खजुरी की सभा के जरिए ग्रामीणों की नाराजगी काफी हद तक दूर की।

सेंध नहीं लगा पाई सपा

भाजपा की घेराबंदी को तोडऩे के लिए सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ममता बनर्जी का साथ मांगा। अखिलेश की प्लानिंग के तहत 2 मार्च को ममता बनर्जी बनारस पहुंच गयी। घाट जाते ही ममता को काला झंडा दिखाया गया, जो खूब सुर्खियों में रहा। दूसरे दिन तीन मार्च को ममता ने दक्षिणी में रोड शो किया। ऐढ़े में अखिलेश व ममता के साथ ओमप्रकाश राजभर, शिवपाल यादव, रामगोपाल यादव, संजय चौहान ने संयुक्त रैली की। रैली की भीड़ ने भाजपा खेमे में खलबली मचा दी। प्रिंयका गांधी व ममता बनर्जी ने बनारस में डेरा ही डाल लिया। प्रिंयका-राहुल गांधी ने पैदल ही श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में जाकर दर्शन किया। प्रियंका ने रोड शो किया, लेकिन चार मार्च को मोदी के रोड शो में उमड़ी भीड़ से विपक्ष में हड़कम्प मच गया। हालांकि इसी के बाद शहर में अखिलेश यादव ने भी रोड शो किया। जबर्दस्त भीड़ दिखी। एक बार तो लगा कि इस बार दक्षिणी में सपा ही। अगले दिन फीडबैक मिलते ही ममता बनर्जी कोलकाता लौट गयी। प्रियंका गांधी भी जौनपुर से बनारस नहीं आयी। बनारस की सभी सीटों पर भाजपा की जीत ने बताया दिया कि यहां सिर्फ चलता है मोदी मैजिक.

Posted By: Inextlive