विश्वनाथ धाम बनने के बाद डोमेस्टिक टूरिस्टों के फ्लो ने इंडस्ट्री में फूंक दी जान एक साल में करीब सात करोड़ से अधिक टूरिस्टों ने किया काशी भ्रमण

वाराणसी (ब्यूरो)तीन साल पहले काशी की टूरिज्म इंडस्ट्री फॉरेनर्स के फ्लों से बूम पर थी, लेकिन 2020 जनवरी से इस इंडस्ट्री को कोरोना का ऐसा ग्रहण लगा कि यह इंडस्ट्री आज तक उबर नहीं पाई। विश्वनाथ धाम बनने के बाद डोमेस्टिक टूरिस्टों ने इस इंडस्ट्री में जान जरूर फूंक दी, लेकिन इधर बीच कोरोना के नए वेरिएंट की आहट से पयर्टन उद्योग फिर सहम उठा है। इस सेक्टर से जुड़े लोग फिर से टेंशन में आ गए हैं। फिलहाल उनका कहना है कि अगर ऐसे ही कोरोना महामारी का प्रकोप हर साल बढ़ता रहा तो इस सेक्टर को पटरी पर लाना मुश्किल होगा.

बढ़ गई है टूरिस्टों की संख्या

पिछले साल 13 दिसंबर को विश्वनाथ धाम का लोकार्पण होने के बाद काशी में डोमेस्टिक टूरिस्टों की बाढ़ सी आ गई। इसके पहले 2020 से टूरिज्म इंडस्ट्री को कोरोना ने ऐसा झटका दिया था कि कई होटल, लॉज, रेस्टोरेंट संचालकों के आगे रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया था। कई होटल्स बंदी के कगार पर पहुंच गए थे। कोरोना के भय से विदेशी ही नहीं देशी पर्यटकों ने भी आना बंद कर दिया था.

अभी भी कम आ रहे फारेनर्स टूरिस्ट

जब से विश्व में कोरोना फैला है तब से काशी में फारेनर्स टूरिस्टों की संख्या काफी कम हो गई है। 2020 के पहले विदेशी पर्यटकों के आगमन से हर होटल्स बुक रहते थे। कोरोना महामारी ने ऐसा प्रकोप फैलाया कि डोमेस्टिक टूरिस्ट के रेसियो में फारेनर्स टूरिस्टों का आगमन करीब 10 फीसदी ही रह गया है।

डोमेस्टिक टूरिस्टों ने की भरपाई

कोरोना काल के दौरान ठप पड़ी इंडस्ट्री को बूस्ट देने का काम डोमेस्टिक टूरिस्टों ने किया। विश्वनाथ धाम बनने के बाद कर्नाटक, मद्रास, कोलकाता, उड़ीसा समेत पूरे देश से डोमेस्टिक टूरिस्ट विश्वनाथ धाम की भव्यता को निहारने के लिए आने लगे। 2022 के एंड तक रिकॉर्डतोड़ टूरिस्ट आए। विभाग के अनुसार अब तक करीब सात करोड़ से अधिक टूरिस्टों ने काशी में भ्रमण किया। डामेस्टिक टूरिस्टों के काशी आगमन से शहर के सारे होटल्स, लॉज, गेस्ट हाउस संचालकों को जो नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई हो गई.

कोरोना ने किया सैलानियों की संख्या को जीरो

आंकड़ों की बात करें तो 2019 में काशी में विदेशी सैलानियों की संख्या लगभग चार लाख के करीब थी, लेकिन कोरोना काल ने इस आंकड़े को जीरो में तब्दील कर दिया। इसके बाद नवंबर 2021 से अंतरराष्ट्रीय फ्लाइटों की शुरुआत हुई। इसके बाद यहां के पर्यटन उद्योग ने रफ्तार पकड़ी। घाट से लेकर बनारस की गलियां विदेशी पर्यटकों से गुलजार होने लगी। इसके बाद जिस रेसियो में विदेशी पर्यटकों को आना चाहिए था, इसकी अपेक्षा काफी कम आए.

2021 में सिर्फ 25 सौ फारेनर्स आए

वर्ष 2021 में पूरे साल जहां विदेशी मेहमानों की संख्या लगभग 2500 थी, वहीं इस साल यह संख्या दो लाख से ऊपर आंकी जा रही है.

अभी अन्य देशों की तुलना में यहां के पर्यटक उद्योग पर कोरोना का असर नहीं है लेकिन कोरोना के नए वेरिएंट की आहट ने टेंशन में जरूर डाल दिया है.

राहुल मेहता, अध्यक्ष, टीडब्ल्यू

कई देशों में कोरोना की बिगड़ती स्थिति से पर्यटन उद्यमियों में चिंता जरूर है, लेकिन भारत में हुए व्यापक वैक्सिनेशन से हमें विश्वास है कि अगर सावधानी बरती जाए तो पहले जैसी दिक्कत नहीं होगी.

संतोष सिंह, कोषाध्यक्ष, टीडब्ल्यू

लगता है कि आगामी दिनों में विदेशी यात्रियों के लिए कोरोना प्रोटोकाल आ सकता है। जानकारी मिली है कि दिल्ली एयरपोर्ट पर कुछ देशों के पर्यटकों की कोरोना जांच की जा रही है.

उत्कर्ष बख्शी, ट्रैवल एक्सपर्ट

Posted By: Inextlive