हे 'प्रभु' , हमने चाहा मौका, आपने दिया धोखा
- रेल बजट में पीएम के संसदीय क्षेत्र बनारस को एक बार फिर किया गया इग्नोर
-रेल मिनिस्टर सुरेश प्रभु ने तमाम उम्मीदों को दिया तगड़ा झटका, पुराने डिमांड्स की भी नहीं हुई कोई सुनवाई VARANASI: पीएम नरेंद्र मोदी के रेल मिनिस्टर ने भी बनारस के संग वही खेल किया, जो पिछले कई रेल बजट से होता चला आ रहा है। लास्ट इयर की तरह इस बार भी रेल बजट में बनारस के खाते में केवल झुनझुना ही आया है। नये सौगात की आस लगाए बनारसियों की झोली फिर खाली की खाली है। जो थोड़ा सा मिला भी है, उसका आम आदमी से सीधा सरोकार नहीं है। यानि कि नयी गवर्नमेंट ने भी लोगों की डिमांड को पूरा नहीं किया। निराशाजनक रहा बजटगुरुवार को घोषित हुए रेल बजट में बनारस के बीएचयू में स्थापित होने वाले मालवीय पीठ को छोड़ दें तो पूरा बजट किसी छलावा से कम नहीं है। कम से कम बनारस के लिए तो बेहद ही निराशाजनक रहा। पिछले कई सालों से नयी दिल्ली, बंगलुरु, मुंबई, गुवाहाटी सहित कोलकाता के लिए यहां से नयी ट्रेन चलाने की मांग की जा रही है। इस मांग को नये रेल मिनिस्टर सुरेश प्रभाकर प्रभु ने भी इग्नोर ही किया। उसे कोई तवज्जो ही नहीं दी गई। यहां तक कि पीएम नरेंद्र मोदी और रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा का भी ख्याल नहीं रखा गया।
इनको भी नहीं दिया भाव रेल मिनिस्टर ने कैंट स्टेशन को इंटरनेशनल लेवल का बनाने, मंडुआडीह व सिटी स्टेशन को टर्मिनल के रूप में डेवलप करने सहित आसपास के स्टेशंस पर पैसेंजर्स एमेनिटीज बढ़ाने की याद भी नहीं आयी। पिछले बजट में कैंट स्टेशन पर बजट होटल, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स समेत मंडुआडीह में रेलवे की जमीन पर आम पब्लिक के लिए हॉस्पिटल और पॉलिटेक्निक कॉलेज बनाने की घोषणा भी हकीकत में नहीं उतर पायी। पांच साल बाद भी सपनावाराणसी कैंट स्टेशन को इंटरनेशनल लेवल का बनाने की आस एक बार फिर हकीकत में तब्दील नहीं हो पायी। रेल मिनिस्टर लालू प्रसाद यादव ने अपने रेल बजट में कैंट स्टेशन को वर्ल्ड लेवल का बनाने की घोषणा की थी। इस घोषणा के लगभग पांच साल बीत गए। प्रोजेक्ट अब भी हवा में फर्राटे भर रहा है। बता दें कि तत्कालीन रेल मिनिस्टर ने देश के भ्0 स्टेशंस को वर्ल्ड क्लास का बनाने की घोषणा की थी। इसमें बनारस का भी नाम था लेकिन तब से लेकर अब तक कई रेल मिनिस्टर्स ने रेल बजट पेश किया और प्रोजेक्ट कागज पर भी उतर नहीं पाया। इस रेल बजट से लोगों को बहुत उम्मीद थी लेकिन यह भी उन्हें निराश कर गया।
ये मांगें हुई नजरअंदाज = वाराणसी से बंगलुरु के बीच नहीं मिली कोई नई ट्रेन। = गुवाहाटी व कोलकाता के लिए भी कोई नई ट्रेन नहीं। = दक्षिण भारतीय सैलानियों के अलावा बनारस में रह रहे साउथ इंडियंस की उम्मीद पर फिरा पानी। =कैंट स्टेशन से नई दिल्ली के बीच भी नहीं मिली कोई नयी ट्रेन। यहां भी हाथ लगी मायूसी = स्टेशन पर पैसेंजर्स को पीने के साफ पानी, टॉयलेट व बैठने की व्यवस्था के लिए कोई इंतजाम का ऐलान नहीं। = इंक्वॉयरी की हालत में सुधार के लिए नहीं हुई कोई घोषणा। = देश के सबसे बड़े टूरिस्ट सेंटर में से एक बनारस कैंट स्टेशन को तवज्जो नहीं। = पीएम के संसदीय क्षेत्र लिए नहीं हुई कोई खास घोषणा। टूरिस्ट्स पर भी रहम नहींदुनिया भर से हेरिटेज सिटी बनारस पहुंचने वाले टूरिस्ट्स के लिए कैंट स्टेशन पर कोई सुविधा नहीं है। टूरिस्ट्स के लिए न तो अलग से वेटिंग रूम है न ही रिटायरिंग रूम। सैलानी यहां जमीन पर बैठने को मजबूर हैं। इस बार उम्मीद थी कि उनके लिए कोई खास घोषणा होगी। लेकिन रेल मिनिस्टर के पिटारे से इनके लिए कुछ नहीं निकला। यही नहीं लास्ट बजट में की गयी घोषणा पर भी अब तक काम स्टार्ट नहीं हो पाया है।
बजट ख्0क्क्-क्ख् की घोषणाएं = मल्टी फंक्शनल कॉम्पलेक्स वाराणसी में = न्यू कोचिंग टर्मिनल = पॉलीटेक्निक कॉलेज = कैंट स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में बजट होटल = कैंट स्टेशन को वर्ल्ड लेवल का दर्जा = कैंट स्टेशन के यार्ड की रीमॉडलिंग = शिवपुर स्टेशन पर पार्सल साइडिंग = कैंट स्टेशन का डेवलपमेंट बजट ख्0क्ख्-क्फ् की घोषणाएं = कैंट स्टेशन कैंपस में बजट होटल =कैंट स्टेशन के सर्कुलेटिंग एरिया में शॉपिंग कॉम्प्लेक्स = पॉलीटेक्निक कॉलेज, हॉस्पिटल = कैंट स्टेशन के यार्ड की रीमॉडलिंग = बनारस में बेस किचन = वाराणसी-औडि़हार रूट का दोहरीकरण = मंडुआडीह-माधोसिंह-इलाहाबाद सेक्शन का इलेक्ट्रिेफिकेशन