अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ एकमा की मांग पर दो साल पहले वाराणसी के सिल्क एक्सचेंज परिसर में कर्नाटक सिल्क मार्केटिंग बोर्ड लिमिटेड द्वारा विक्रय केंद्र खोला गया था लेकिन अब तक धागों की बिक्री प्रारंभ नहीं हो सकी. इसके चलते निर्यातकों को राहत नहीं मिल सकी.

वाराणसी (ब्यूरो)भदोही कालीन बुनाई में प्रयुक्त होने वाले सिल्क धागों की कीमत में उछाल ने कालीन उद्यमियों की चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका, जर्मनी, आस्ट्रेलिया सहित विश्व के कई देशों में इन दिनों सिल्क निर्मित कालीनों की अधिक मांग है। ऐसे में भदोही के 80 प्रतिशत निर्यातक कालीन उत्पादन में सिल्क धागों का उपयोग कर रहे हैं। अखिल भारतीय कालीन निर्माता संघ (एकमा) की मांग पर दो साल पहले वाराणसी के सिल्क एक्सचेंज परिसर में कर्नाटक सिल्क मार्केटिंग बोर्ड लिमिटेड द्वारा विक्रय केंद्र खोला गया था, लेकिन अब तक धागों की बिक्री प्रारंभ नहीं हो सकी। इसके चलते निर्यातकों को राहत नहीं मिल सकी। आज भी सिल्क धागों की खरीदारी कर्नाटक से करने के लिए लोग विवश हैं।

निर्यातकों का कहना है कि देश में जो कच्चा सिल्क आ रहा है, उसका धागा कर्नाटक में तैयार होता है। कच्चा माल कम आने और डिमांड बढऩे से इसकी कीमत बढ़ गई है। पहले टेक्सटाइल उद्योग में इसकी मांग ज्यादा थी, पर अब विश्व बाजार में वूल कारपेट के साथ सिल्क धागों से बने कालीनों की मांग बढ़ी है। इसलिए टेक्सटाइल उद्योग के साथ कारपेट उत्पादन में भी इसका उपयोग किया जा रहा है। निर्यातकों का कहना है कि वाराणसी में स्थापित केंद्र से बिक्री प्रारंभ होने से काफी मिल सकती है।

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चीन व तुर्किए हैं सिल्क के बाजार

देश में नेपाल, चीन और तुर्किए से कच्चा सिल्क आयात होता है। चीन और टर्की विभिन्न देशों से सिल्क का आयात कर भंडारण करते हैं और उसे अन्य देशों को बेचते हैं। सिल्क का बड़ा बाजार यही दोनों देश हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद खाड़ी देशों में मची उथल पुथल के कारण वैश्विक मंदी का असर तो है ही जर्मनी, फ्र ांस, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड से सिल्क का आयात काफी कम हो गया है।

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सौ से डेढ़ सौ प्रतिशत की हुई वृद्धि

प्रमुख कालीन निर्यात संजय गुप्ता का कहना है कि कालीन उत्पादों में आम तौर पर सिल्क, वीस्कोस, बंबू सिल्क, केला सिल्क व पैट यार्न की सर्वाधिक खपत है। पिछले दो साल में इनकी कीमतों में सौ से डेढ़ सौ प्रतिशत की वृद्धि हो गई है। मशीन मेड कालीनों में इसका अत्यधिक उपयोग किया जाता है। विशेषकर सिल्क धागों से बनी कालीन अमेरिका में काफी पंसद की जाती है। कीमत में वृद्धि होने से उत्पादन कास्ट में उछाल आ गया है।

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कंपनी से किया जा रहा है पत्राचार: सहायक निदेशक

कर्नाटका सिल्क मार्केटिंग बोर्ड के अधिकारियों के साथ जीएसटी संबंधी कुछ प्रक्रिया चल रही थी। जिसे पूरा कर लिया गया है। बावजूद इसके कंपनी की ओर से पहल नहीं की जा रही है। इस संबंध में विभाग की ओर से कंपनी को पत्राचार भी किया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही वाराणसी क्रय केंद्र से सिल्क धागों की आपूर्ति प्रारंभ कर दी जाएगी।

नागेंद्र राम, सहायक निदेशक रेशम (वाराणसी परिक्षेत्र)

Posted By: Inextlive