आदेश का अनुपालन करते हुए सभी अधिकारी-कर्मचारी चुपचाप दफ्तर के सामने खड़े हो गए. तीन घंटे बीत जाने के बाद कर्मचारियों और अधिकारियों में आक्रोश पनपने लगा.

वाराणसी (ब्यूरो)मडि़हान राजस्व परिषद के अध्यक्ष रजनीश दुबे ने गुरुवार को मडि़हान तहसील का निरीक्षण किया था। इस दौरान एसडीएम युगांतर त्रिपाठी के कार्यों में शिथिलता मिलने पर उनसे स्पष्टीकरण मांगा था। शुक्रवार की सुबह दफ्तर में पहुंचते ही एसडीएम ने सभी पटल देख रहे कर्मचारियों-अधिकारियों को अपने दफ्तर में तलब किया और फिर उन्हें कार्यालय के बाहर खड़ा रहने का निर्देश दिया। आदेश का अनुपालन करते हुए सभी अधिकारी-कर्मचारी चुपचाप दफ्तर के सामने खड़े हो गए। तीन घंटे बीत जाने के बाद कर्मचारियों और अधिकारियों में आक्रोश पनपने लगा। वे इस्तीफा देने तक की बात करने लगे। एसडीएम ने अपने अर्दली और ड्राइवर तक को भी नहीं छोड़ा। उन्हें भी कतारबद्ध होकर खड़ा रहने को कहा।

एसडीएम के पेशकार सुशील गुप्ता व नाजीर रामप्रसाद का कहना है कि तीन घंटे तक सजा के रूप में सभी को खड़ा कराया गया। इनमें 11 कर्मचारी और दो गार्ड शामिल रहे। इनमें दो कर्मचारी शुगर और बीपी के मरीज थे, जिन्हें काफी दिक्कत हुई। रामप्रीत का कहना था कि कर्मचारियों को एसडीएम ने बिना कोई कारण बताए सुबह 10:30 बजे से 1:30 बजे तक खड़ा करा दिया। तीन घंटे बाद सभी को छोड़ दिया गया। निगरानी के लिए गार्ड भी लगाए गए थे कि कोई बैठने न पाए और दीवार का सहारा भी नहीं लेने दिया.

कक्ष के सामने खड़ा रहने वाले अधिकारियों व कर्मचारियों में रजिस्ट्रार कानूनगो कमला प्रसाद व उमेश तिवारी, माल बाबू उदयकांत चौबे, रामप्रीत, लिपिक राकेश कुमार, नाजिर रामप्रसाद, दैवीय आपदा पटल बाबू जयप्रकाश भारती, एसडीएम का ड्राइवर राजकुमार, एसडीएम का अर्दली प्रभात सिंह, नजारत अनुसेवक इसहाक अली, तहसीलदार के पेशकार राम सहाय सिंह, एसडीएम के पेशकार सुशील गुप्ता व दो होमगार्ड्स शामिल रहे। एसडीएम युगांतर त्रिपाठी ने बताया कि राजस्व परिषद अध्यक्ष के जाने के बाद समीक्षा के लिए सभी अधिकारियों व कर्मियों को बुलाया गया था। सजा देने जैसी कोई बात नहीं थी.

Posted By: Inextlive