भदोही के कालीन निर्यात पर सरकार से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि बंद होने से मध्यमवर्गीय छोटे व मझोले कालीन निर्यातक हाशिए पर पहुंच गए हैं.

वाराणसी (ब्यूरो)भदोही के कालीन निर्यात पर सरकार से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि बंद होने से मध्यमवर्गीय, छोटे व मझोले कालीन निर्यातक हाशिए पर पहुंच गए हैं। विशेषकर पुरानी कर छूट योजना मर्चेंडाइज एक्सपोर्ट फ्र ाम इंडिया स्कीम (एमईआईएस) बंद होने से निर्यातकों को चार साल में करीब 800 करोड़ से अधिक का नुकसान हो चुका है।

स्कीम के तहत निर्यात करने पर सरकार की ओर से उद्यमियों को पांच से सात प्रतिशत प्रोत्साहन राशि प्रदान की जाती थी। यह स्कीम दिसंबर 2020 से बंद है। इसके स्थान पर एक जनवरी-2021 से संचालित रिमीजन आफ ड्यूटीज एंड टैक्सेज आन इक्सपोर्ट प्रोडक्ट (रोडटेप) स्कीम के तहत महज एक से डेढ़ प्रतिशत प्रोत्साहन दिया जा रहा है। एक करोड़ के निर्यात पर महज एक से डेढ़ लाख रुपये प्रोत्साहन राशि के रूप में मिल रहे हैं जबकि पहले लगभग पांच से सात लाख रुपये मिलते थे। यह राशि छोटे व मझोले उद्यमियों के लिए टानिक का काम करती थी। इसके बंद होने से कालीन परिक्षेत्र के मध्यमवर्गीय उद्यमी परेशान हैं। इसके लिए कालीन निर्यात संवर्धन परिषद ( सीईपीसी) की ओर से सरकार में कई बार पत्राचार किया गया लेकिन कोई लाभ नहीं मिला। पिछले दिनों भदोही आए परिषद के प्रभारी चेयरमैन डा। रोमेश खजूरिया के सामने भी उद्यमियों ने इस समस्या को उठाया था। ऐसे में परिषद की नई समिति के लिए इस समस्या का समाधान कराना बड़ी चुनौती होगी।

तत्कालीन चेयरमैन ने दिया था सुझाव

- एमईआईएस स्कीम बंद करने के बाद सरकार ने रोडटेप की दरें निर्धारित करने के पहले देश के विभिन्न औद्योगिक संगठनों से सुझाव मांगे थे। इस क्रम में कालीन उद्योग का प्रतिनिधित्व करते हुए तत्कालीन सीईपीसी चेयरमैन सिद्धनाथ सिंह ने उद्योग की स्थिति व प्रोत्साहन राशि के महत्व से सरकार को अवगत कराते हुए दरों में वृद्धि करने का सुझाव दिया था। हालांकि उनके सुझाव को दरकिनार कर दिया गया।

प्रोत्साहन राशि से मिलती थी संजीवनी

- एमईआईएस योजना के तहत निर्यातकों को प्रोत्साहन के तौर पर उत्पादों के निर्यात पर पांच से सात फीसद की दर से लाइसेंस दिया जाता था। जो उद्यमियों के लिए संजीवनी का काम करता था। एक तरफ विश्व व्यापी प्रतिस्पर्धा तो दूसरी ओर कच्चे माल की कीमतों में भारी वृद्धि ने उत्पादन कास्ट बढ़ा दिया है। ऐसे में सरकार से मिलने वाली वाली प्रोत्साहन राशि भी नहीं के बराबर हो गई है। इससे संकट उत्पन्न हो गया है।

आलोक कुमार बरनवाल, निर्यातक

प्रोत्साहन राशि से मिलता था सहारा

- कालीन उद्योग में करीब 60 प्रतिशत व्यवसायी औसत दर्जे के हैं। जो अधिक लागत के बाद भी कम लाभांश पर काम करते हैं। सरकार से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि के सहारे ही वे मैदान में डटे रहते थे लेकिन उसमें कटौती कर दी गई। इसके कारण उत्पन्न समस्या को लेकर सीईपीसी व एकमा की ओर से सरकार तक बात पहुंचाई गई। बैठकों में इस मुद्दे को उठाया गया लेकिन निराशा ही हाथ लगी।

एजाज अंसारी, निर्यातक

Posted By: Inextlive