उत्तराखंड में हेमकुंड साहिब के कपाट शनिवार को पूरे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए। इस साल 36 दिनों तक चली यात्रा में करीब 8500 श्रद्वालुओं ने हेमकंड साहिब में मत्था टेका। जबकि पिछले वर्ष 2.39 लाख से अधिक श्रद्वालु हेमकुंड साहिब दर्शनों के लिए पहुंचे थे।

देहरादून (ब्यूरो) । सिखों के पवित्र धाम हेमकुंड साहिब के कपाट शनिवार दोपहर डेढ़ बजे शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने के दौरान करीब 1350 श्रद्वालु अंतिम अरदास के साक्षी रहे। हेमकुंड साहिब के कपाट बंद होने की प्रक्रिया शनिवार सुबह से शुरू हो गई थी। सुबह 9.30 बजे पहली अरदास हुईं। इसके बाद 10 बजे सुखमणी का पाठ और 11 बजे शबद कीर्तन हुआ। दोपहर 12.30 बजे इस साल की अंतिम अरदास पढने के बाद गुरू ग्रंथ साहिब को पंच प्यारों की अगुवाई में सचखंड में विराजमान किया गया और दोहपर 1.30 बजे हेमकुंड साहिब के कपाट पूरे विधि विधान के साथ शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए।


36 दिनों में 8500 श्रद्धालुओं ने किए दर्शन
इस वर्ष कोरोना महामारी के चलते हेमकुंड साहिब के कपाट देर से 4 सितंबर को श्रद्वालुओं के लिए खोले गए थे। इस साल 36 दिनों तक चली यात्रा में करीब 8500 श्रद्वालुओं ने हेमकंड साहिब में मत्था टेका। जबकि पिछले वर्ष 2.39 लाख से अधिक श्रद्वालु हेमकुंड साहिब दर्शनों के लिए पहुंचे थे। हेमकुंड साहिब मैनेजमेंट ट्रस्ट के मुख्य प्रबंधक सेवा सिंह ने कहा कि 36 दिनों तक चली इस साल की यात्रा में उन्हें शासन, प्रशासन, पुलिस के साथ ही स्थानीय लोगों का भरपूर सहयोग मिला।


लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी बंद
इसके लिए ट्रस्ट सभी का अभार व्यक्त करता है। बताया कि हेमकुंड साहिब पहुंचे सभी श्रद्वालुओं ने भी कोविड-19 की गाइड लाइन का पूरी तरह से पालन करते हुए ट्रस्ट को पूरा सहयोग दिया है। हेमुकंड साहिब के कपाट बंद होने के अवसर पर ट्रस्ट के जनरल सेक्रेटरी सरदार रविन्द्र सिंह, दिल्ली से संदीप सिंह, पंजाब से गुरमक सिंह के साथ ही पुणे, नागपुर, उत्तराखंड बाजपुर आदि कई जगहों से संगत मौजूद रही। इसके साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हिंदुओं के पवित्र तीर्थ लल्मण मंदिर-लोकपाल के कपाट भी पूरे विधि विधान के साथ शनिवार को शीतकाल के लिए बंद कर दिए गए है।

Posted By: Shweta Mishra