उत्तराखंड के जंगलों में आग अनकंट्रोल होती जा रही है। आग बुझाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हैं। यहां तक कि एमआई-17 हेलीकॉप्टर की भी मदद ली जा रही है। लेकिन फिर भी स्थिति चिंताजनक बनी हुई है। आग की वर्तमान स्थिति को लेकर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोल का आयोजन किया गया। जिसमें लोगों ने खुलकर अपनी प्रतिक्रियाएं जाहिर की हैं।

देहरादून (ब्यूरो) राज्य के 70 परसेंट लोगों ने कहा है कि इसके लिए आम लोग जिम्मेदार हैं। जबकि, 25 परसेंट लोगों ने जंगलों में आग के लिए वन विभाग के ऊपर ठीकरा फोड़ा है। ऐसे ही 17 परसेंट लोगों ने राज्य सरकार के लचर रवैए को जिम्मेदार बताया है। ऐसे ही 67 परसेंट लोगों ने कहा है कि जब गत वर्षो में भी जंगलों में आग लगने की घटनाएं सामने आती रही हैं तो डिपार्टमेंट ने पहले से अपनी तैयारियां क्यों नहीं की। हालांकि 22 परसेंट लोगों ने ये भी कहा है कि विभाग के पास संसाधन नहीं हैं। ऐसे में आग पर नियंत्रण नहीं पाया जा सक रहा है।

कानूनी कार्रवाई सही कदम
45 परसेंट लोगों ने अपनी बात रखते हुए कहा है कि सरकार की ओर से आग लगाने वालों के खिलाफ जो कार्रवाई की जा रही है, वह बिल्कुल ठीक है। इस पर ऐसे ही कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। वहीं, 45 परसेंट लोगों का ये भी कहना है कि आग बुझाने के लिए पारंपरिक नहीं, फॉरेन की तर्ज पर टेक्नोलॉजी का यूज किया जाना चाहिए। तभी हर साल तबाह होने वाली उत्तराखंड की बायोडाइवर्सिटी का बचाया जा सकता है।

सोशल मीडिया पर पब्लिक रिएक्शंस
उत्तराखंड के जंगलों में आग बेकाबू है, जंगल धू-धू कर जल रहे हैं। ऐसा वाकया पहली बार नहीं, हर साल सामने आते हैं। कौन हैं इसका जिम्मेदार।
राज्य सरकार- 17 परसेंट
वन विभाग- 25 परसेंट
षडय़ंत्रकारी- 8 परसेंट
आम लोग- 50 परसेंट

क्या इसके लिए विभाग की प्लानिंग नाकाफी है। या फिर काफी है। क्या उत्तराखंड फॉरेस्ट को पहले से होमवर्क करना चाहिए था।
विभाग के होमवर्क में कमी- 67 परसेंट
जनवरी से प्लानिंग हो- 11 परसेंट
विभाग के पास संशाधन नहीं- 22 परसेंट
कुछ नहीं- 0 परसेंट

अब सरकार आग लगाने वालों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट व संपत्ति कुर्क जैसी कड़ी कार्रवाई की बात कर रही है। क्या ये सही है।
बिल्कुल सही है- 45 परसेंट
पहले हो जाना चाहिए था- 18 परसेंट
इससे भी ज्यादा मजबूत कार्रवाई हो- 18 परसेंट
कुछ नहीं- 18 परसेंट

हर साल ऐसे ही जंगलों में आग सामने आ रही है। ऐसे में सरकार को क्या करना चाहिए।
मजबूत कानून बने- 9 परसेंट
एसी वाले अफसर बाहर निकले- 36 परसेंट
जनता को विमस को लें- 9 परसेंट
टेक्नोलॉजी का यूज हो- 45 परसेंट

फॉरेस्ट फायर हाईलाइट्स
-अब तक वन संरक्षण एक्ट व फॉरेस्ट क्राइम में 383 केस दर्ज
-इसमें 315 केस अज्ञात व 59 केस ज्ञात के खिलाफ।
-अब तक जंगलों में आग लगाने पर 60 लोगों को किया गया अरेस्ट।
-फॉरेस्ट हेडक्वार्टर में आग पर नियंत्रण पाने को कंट्रोल सेंटर बनाया गया।

यहां दें आग की सूचना
-180018041441, 0135-2744558 पर करें कॉल
-वाट्सएप नंबर 9389337488 व 7668304788
-स्टेट आपदा कंट्रोल सेंटर 955744486 व 112 पर दें सूचना।

वन मंत्री से मांगा इस्तीफा
राज्य के जंगलों में आग पर अब कई संगठन भी आगे आने लगे हैं। इसी क्रम में दून स्थित संयुक्त नागरिक संगठन दून से सीएम धामी को मेल लिखा है। कहा है कि राज्य में करीब 1100 हेक्टेयर से ज्यादा राख बन चुके हैं। आग को रोकने में नाकाम विभाग के मंत्री सुबोध उनियाल को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। बैक इंप्लाइज यूनियन दून के पूर्व अध्यक्ष जगमोहन मेंदीरत्ता व संयुक्त नागरिक संगठन के सचिव सुशील त्यागी ने कहा है कि उत्तराखंड के धधकते जंगलों में आग से लाखों करोड़ों का नुकसान हो गया है। वाइल्ड लाइफ के साथ वन्य जीव जलकर राख हो गए हैं। हिल एरियाज में रहने वाले ग्रामीणों को सांस में खतरा पैदा हो गया है। ऐसे में वन मंत्री को अपने पद से नैतिकता के आधार पर त्यागपत्र दे देना चाहिए।

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Posted By: Inextlive