Dehradun : इंसान के हौसले किसी भी परेशानी को मात दे सकते हैं. ये परेशानी भले ही कुदरत की दी हुई क्यों न हो. ऐसे ही हौसले का नाम है इंद्रजीत डंग. बचपन में पोलियो की एक खुराक ने इंद्रजीत के शरीर को कमजोर कर दिया इतना कमजोर कि वह अपने पैरों पर खड़ा नहीं हो पाया. हाथ से खाना नहीं खा सकते थे लेकिन आज इंद्रजीत किसी के मोहताज नहीं हैं. अपने बूते न केवल खुद काम करते हैं बल्कि इंटरनेट और डिजायनिंग के जरिए फैमिली की आजिविका भी चलाते हैं. इंद्रजीत का मानना है कि अपंगता को कमजोरी मानकर दूसरों पर बोझ बनने से बेहतर है कि इसे अपनी ताकत बनाएं और साबित करें कि हम किसी से कम नहीं हैं.


पूरी बॉडी हो गई Paralyzedअजबपुर कलां एरिया के टिहरी नगर में रहने वाले इंद्रजीत डंग आज लगभग 25 साल के हैं। वे बताते हैं कि महज आठ महीने की उम्र में उन्हें बचपन में पिलाई जाने वाली दवा की गलत खुराक दे दी गई। इससे उनकी पूरी बॉडी पैरालाइज्ड हो गई। पांच साल की उम्र तक उनकी गर्दन के अलावा बॉडी का कोई पार्ट काम नहीं करता था। उन्हें देश के कई बड़े हॉस्पिटल्स में भी दिखाया गया लेकिन कोई फायदा नहीं हो पाया। इसके बाद फैमिली के कंटीन्यू एफट्र्स और दवाओं से बॉडी का अपर पोर्शन थोड़ा काम करने लगा। फिलहाल अब भी बॉडी का ऊपरी हिस्सा 85 फीसदी काम करता है, जबकि नीचे का शरीर बिल्कुल काम नहीं करता। Internet पर बनाई पकड़
जैसे-जैसे उम्र बढ़ी और वक्त गुजरा तो लोगों को देखकर कई बार निराशा भी हुई, लेकिन धीरे-धीरे समझ में आया कि हिम्मत हारने से कुछ नहीं होगा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग से ट्वेल्थ तक पढ़ाई की, इसके साथ ही इंटरनेट पर भी पकड़ बनाई। अब इसमें महारथ हासिल हो गई है तो ऑनलाइन काम करने लगा। इससे खर्च लायक पैसे आने लगे। साथ ही ले-आउट डिजाइनिंग पर हाथ आजमाया। ऑनलाइन ही डिजायनिंग सीखी। अब ऑनलाइन काम और डिजायनिंग से 20-25 हजार रुपए प्रति माह तक कमा लेते हैं।

Posted By: Inextlive