Dehradun : यूं तो मेडिकल काफी रिजर्व फील्ड माना जाता है लेकिन डॉक्टर्स का पॉलिटिक्स में इंट्रैस्ट होना बेहद कनट्रास्ट कॉम्बिनेशन है. इतना ही नहीं यंग डॉक्टर्स पॉलिटिक्स में सबसे ज्यादा इंटै्रस्ट ले रहे हैं. हाल ही में पीएमएस प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ की चुनावी घोषणा के बाद यंग डॉक्टर्स के बीच यह चुनाव काफी हॉट ईश्यू बन गया है. जबकि इस इलेक्शन को पहले फेस कर चुके सीनियर डॉक्टर्स उतने उत्साहित नहीं दिख रहे हैं. यंग डॉक्टर्स ने जहां एक तरफ अपने मुद्दों में नयापन लाने की कोशिश की है वहीं दूसरी ओर उनके प्रमोशनल स्टंट भी मोनोटोनस नहीं दिखाई दे रहे.


चुनावी जंग की पूरी तैयारीग्लैमर और क्रिकेट के बाद पॉलिटिक्स ही एक ऐसा फील्ड है जो यूथ को अपनी ओर अट्रैक्ट करता है। ऐसा ही कुछ इन दिनों प्रांतीय चिकित्सा सेवा संघ के चुनाव में देखने को मिल रहा है। जहां युवा डॉक्टर्स ने चुनावी जंग के लिए पूरी तैयारी कर ली है। ईएमओ डॉ। तुहिन कुमार बताते हैं कि पॉलिटिक्स एक  ऐसा जरिया है, जहां आप एक अच्छी टीम का गठन करते हैं और सिस्टम को बेहतर बनाते हैं। मैं इस चुनाव का पार्ट बनने में पहले से ही इंट्रैस्टेड था। मैं इलेक्शन ऑफिसर की भूमिका निभा रहा हूं जो काफी जिम्मेदारी भरा पद है। सिर्फ मैं ही नहीं काफी नए डॉक्टर्स हैं जो इलेक्शन में उतरने के लिए तैयार हैं। Changes in agenda


युवा डॉक्टर्स चुनाव में नई सोच को प्रेजेंट करने जा रहे हैं। आम तौर पर पीएमसी के चुनाव में क्लीनिकल एक्ट की स्योरिटी, डॉक्टर्स की संख्या में बढ़ोत्तरी पर जोर देने का वादा जैसे कई प्वॉइंट्स कॉमन रहते हैं, लेकिन इन युवा डॉक्टर्स ने कुछ अलग और नए मुद्दों को टच करने की बात कही है, जिसमें सिस्टम में होने वाले चेंजेज सबसे ज्यादा हैं.  डॉ। पियूष त्रिपाठी का कहना है कि हमने अपने एजेंडे में कुछ नए चेंजेज किए हैं। जिसमें कुछ नए वाड्र्स, डॉक्टर्स का ड्यूटी मैनेजमेंट, लेटेस्ट मशीन को मंगवाने की डिमांड और पोस्टमार्टम फीस को बढ़ाने की बात सहित कई नई चीजें शामिल हैं। Hightech promotionएक जमाना था जब नेता जन सभाओं या फिर घर-घर में जाकर प्रमोशन कैंपेनिंग करते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है नए डॉक्टर्स के साथ ही अब प्रमोशन भी हाईटेक हो गया है। युवा डॉक्टर्स ने सबसे पहले सोशल साइट्स पर वोटर्स से जुडऩे की कोशिश की है। उसके साथ ही वीडियो कॉफ्रेंसिंग और चैटिंग के जरिए उनसे वोट मांग रहे हैं। सिर्फ इंटरनेट ही नहीं, बल्कि मोबाइल फोन से प्रमोशनल एसएमएस, ऑडियो मैसेज जैसे कई नए स्टंट्स भी हैं। इसके साथ ही फेस-टू-फेस प्रमोशन भी किया जा रहा है।  विवाद में डूबे doctors

भले ही युवा डॉक्टर इस चुनाव को लेकर काफी एक्साइटेड हैं, लेकिन चुनाव से पहले ही डॉक्टर्स के बीच दो फाड़ होते नजर आ रहे हैं। इनमें एक ग्रुप स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स का है, जबकि दूसरा ग्रुप में जनरल डॉक्टर शामिल हैं। दरअसल, टिक्कू समिति द्वारा दोनों डॉक्टर्स की अलग-अलग प्रमोशन पॉलिसी है, जिसमें सुपर स्पेशलिस्ट को देर से भर्ती होने के चलते काफी बेनेफिट है। हाल ही में प्रशासन द्वारा किए जा रहे प्रमोशन में हेल्थ सेक्रेटरी ने इनके आगे जनरल कैटेगरी में मर्ज होने की बात कही है, जिससे सुपर स्पेशलिस्ट का ग्रुप नाराज चल रहा है। वहीं दूसरी ओर जनरल कैटेगरी के डॉक्टर्स इसे बेतुका बता रहे हैं। चुनाव की इस चहल-पहल में इस विवाद का असर साफ देखे जाने की आशंका जताई जा रही है। 'इससे पहले मैं कॉलेज के इलेक्शन में काफी इनवॉल्व रहा हंू। मेरा नजरिया एक टीम फॉर्म करने और करवाने का रहता है। ताकि एक बेहतर सिस्टम मिल सकें.'-डॉ। तुहिन कुमार, इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर'मैं प्रसीडेंटशिप के लिए नॉमिनेशन फाइल कर रहा हूं। डॉक्टरी हमारा प्रोफेशन है और अपने इस प्रोफेशन को एक सही एट्मॉसफियर देने की चाह है.'-डॉ। पंकज शर्मा, ईएनटी सर्जन

Posted By: Inextlive