DEHRADUN : केदारनाथ में आई तबाही के बाद अब छन-छन कर इसकी असलियत सामने आ रही है. चश्मदीदों का कहना है कि 17 जून की सुबह केदारनाथ में आई त्रासदी से पहले 16 जून की रात से ही केदारपुरी में तबाही का मंजर शुरू हो गया था. करीब 15 सालों तक केदारनाथ में पुरोहित रह चुके और वर्तमान समय में जिला पंचायत सदस्य केशव तिवारी का कहना है कि केदारपुरी में तबाही के तांडव की शुरुआत 16 जून की शाम से ही शुरू हो गई थी. रात में ही बह गया था समाधि स्थल इस दिन तेज बारिश के कारण मंदाकिनी ने अपना रौद्र रूप दिखाना शुरू किया तो 16 जून की शाम करीब आठ बजे भारत सेवा आश्रम केदारनाथ मंदिर के ठीक पीछे साधु का भंडारा जल संस्थान और शंकराचार्य समाधि स्थल तेज बहाव में बह गए. जिसमें कई लोग भी बह गए. रात में भारी बारिश की वजह से सभी श्रद्धालु स्थानीय लोग होटलों धर्मशालाओं में जल्दी ही घुस गए. फिर क्या था किसी की नजर रात को ही बह गए लोगों व आश्रम पर नहीं पहुंची.


काश, कोई बता देता तो
गुप्तकाशी से पुरोहित केशव तिवारी ने बताया कि रात में मूसलाधार बारिश व बह गए इन लोगों व आश्रमों के बारे में कोई बता देता या फिर पता चल गया होता तो शायद 17 की काली सुबह हुए जानमाल के नुकसान से बचा जा सकता। सैकड़ों लोग केदारनाथ में मरने से बच गए होते। केशव तिवारी कहते हैं कि वे खुद वहां उस रात व सुबह बांबे हाउस में सो रहे थे। 16 जून की रात में जो आश्रम, श्रद्धालु व साधु बहे, उनके बारे में 17 जून की सुबह तक पता नहीं चल पाया। केशव कहते हैं कि 17 को आए महा जलप्रलय में जो लोग मलबे में बह रहे थे, उनके सीधे कपड़े भी फट रहे थे। मलबे से जान बचाकर सलामत रहने वाले लोग कह रहे थे कि मलबे में बहने के दौरान ऐसा महसूस हो रहा था कि किसी कैमिकल से उनके कपड़े फट रहे हो।

Posted By: Inextlive