DEHRADUN : क्या यह महज संयोग है या कुछ और. एक ही जगह पर हर साल गिद्दों की मौत ने कई सवाल पैदा कर दिए हैं. मौत के कारणों पर अगर गौर किया जाए तो स्पष्ट है कि बिजली के झटकों ने इन्हें मौत की नींद सुला दिया है. डॉल्फिन इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नेचुरल साइंस के फॉरेस्ट्री डिपार्टमेंट के स्टूडेंट्स सुद्दोवाला एरिया में गिद्दों पर अध्ययन कर रहे हैं.


पिछले साल भी हुई थी मौतबीएससी फॉरेस्ट्री सेकेंड इयर के स्टूडेंट जावेद इंद्रेश बताते हैं कि हमारी टीम इन गिद्दों पर नजर रख रही है। आश्चर्यजनक रूप से इस एरिया में गिद्दों की संख्या में पिछले साल से बढ़ोतरी हुई है। पिछले साल जहां करीब सौ गिद्दों की गणना की गई थी, वहीं इस साल इनकी संख्या डेढ़ सौ तक पहुंच चुकी है। इस एरिया का क्लाइमेट गिद्दों के प्रजनन के लिए काफी उपयुक्त है यही कारण है यहां गिद्दों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। वहीं सबसे बड़ी चिंता इनके असमय मौत को लेकर है। हर साल इस एरिया में प्रजनन के माइग्रेटेड गिद्द आते हैं। पिछले साल भी इस एरिया में गिद्दों की मौत हुई थी। कारणों की खोज की गई तो सबसे बड़ा कारण बिजली के तार सामने आए।संरक्षित करने की जरूरत
पूरे विश्व में गिद्दों के संरक्षण के लिए जहां बड़े-बड़े अभियान चलाए जा रहे हैं, वहीं अपने उत्तराखंड में इसके लिए कोई ठोस पहल नहीं हुई है। अब जबकि स्पष्ट है कि अपने देहरादून में ही गिद्दों को बेहतर क्लाइमेट मिल रहा है और वे यहां प्रजनन भी कर रहे हैं। गवर्नमेंट को इनके संरक्षण के लिए ठोस उपाय करने की जरूरत है।

Posted By: Inextlive