DEHRADUN : आपदा के दौरान सरकारी मदद देने में हुई देरी को लेकर पूरे देश में बदनामी झेल रही उत्तराखंड कांग्रेस सरकार की उत्तराखंड ह्यïूमन राइट्स कमीशन ने भी जमकर क्लास लगाई. सरकार द्वारा किए गए राहत कार्यों के बाबत मांगी गई जानकारी में हैरान करने वाला तथ्य सामने आया कि सरकारी तंत्र में बैठे हुक्मरानों के पास ये जानकारी तक नहीं है कि किस गांव में कितने लोग रहते थे और कितने लापता हुए. इसके साथ ही वीआईपी मूवमेंट पर भी सरकार को लताड़ लगाते हुए इसे तत्काल बंद करने को कहा है.


जानकारी विहीन है सरकार लापता लोगों को लेकर मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कुछ कहते हैैं और आंकड़े कुछ और। इसको लेकर चौतरफा आलोचना का केंद्र बनी सरकार को ह्यïूमन राइट्स ने भी सतर्क हो जाने को कहा। दरअसल, आपदा ग्रस्त क्षेत्र के विषय में मांगी गई जानकारी पर सरकार ने बताया कि 1335 प्रभावित गांव की जनसंख्या के बारे में उन्हें नहीं पता है। जिस पर कमीशन ने जनसंख्या विभाग के साथ ही रेवेन्यू डिपार्टमेंट की मदद लेकर आंकड़ा तैयार करने को कहा। साथ ही प्रभावित लोगों को युद्ध स्तर पर राहत सामग्री पहुंचाने के लिए निर्देश जारी किया गया।चाइल्ड ट्रैफिकिंग पर रहें सतर्क
आपदा के दौरान इस बात पर विशेष चिंता जाहिर की गई कि, कहीं अपनों से बिछड़ गए बच्चे गलत हाथ में न पड़ जाएं। इस बात को मद्देनजर रखते हुए कमीशन ने सरकार को खास तौर पर अलर्ट रहने के निर्देश जारी किए। इसके साथ ही आपदा ग्रस्त क्षेत्र में माननीयों की हवाई यात्रा पर भी रोक लगाने को कहा गया है। गौरतलब है कि, प्रदेश के कई मंत्री व अधिकारी अपनी यात्रा को लेकर मीडिया का केंद्र बन चुके हैैं। आरोप यहां तक लगे कि, पहुंच वाले लोगों को तुरंत मदद दी जा रही है जबकि, जिनके पास कोई जुगाड़ नहीं वे भगवान भरोसे रह गए।

Posted By: Inextlive