धरना प्रदर्शनों को लेकर सभी का अपना-अपना अलग मकसद

- मांगों को मनवाने के लिए लिया जा रहा धरना प्रदर्शन का सहारा

DEHRADUN: राज्य गठन के क्म् साल बाद भी सूबे में आंदोलनों का दौर जारी है। यह अलग बात है कि तब उत्तराखंड के लोगों का एक ही मकसद था कि अलग राज्य बनेगा तो सबको रोजगार मिलेगा व राज्य का विकास होगा। लेकिन आज प्रदेशभर में जो आंदोलनों का दौर जारी है, उसके पीछे हर संगठन व हर आदमी का अलग-अलग मकसद है। इसकी बानगी रोजाना परेड ग्राउंड में देखने को मिलती है। जहां कई संगठन अपनी-अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करते हैं। इसी मुद्दे को लेकर कि आखिर क्यों मजबूर हैं उत्तराखंड के कई संगठन प्रदर्शन करने को। या फिर आंदोलन का रास्ता ही अपनी मांगों को मनवाने का एक मात्र रास्ता है। सड़कों पर उतरे आंदोलनकारी संगठन अपनी मांगों को जायज बताते हुए राजनीतिक भूमिका को कमजोर व प्रशासनिक भूमिका को हावी बता रहे हैं। आईनेक्स्ट ने इस मुद्दे पर आपकी बात की। जिसमें पीटीए शिक्षक संघ, बैकलॉग संघर्ष संघ, बीएड-टीईटी महासंघ व आयुष आयुर्वेद प्रशिक्षित फार्मासिस्ट महासंघ के पदाधिकारियों ने शिरकत की।

आज उत्तराखंड में क्9 कॉलेज हैं। जिनसे हर साल छात्र पास आउट हो रहे हैं। लेकिन उनके लिए रोजगार को कोई संशाधन सरकार की तरफ ने नहीं हैं। अकेले प्रशिक्षित बेरोजगारों की संख्या देखी जाए तो पांच हजार के पार हो चुकी है। बेरोजगारों को रोजगार देने के लिए राजनीति दिशाहीन महसूस होती है।

विजयपाल पयाल, प्रदेश अध्यक्ष, आयुष्ा महासंघ।

पीटीए शिक्षक की संख्या भ्90 में से ब्म्क् रह गई है। सूबे में नियुक्तियां खुल गई हैं तो जिला शिक्षाअधिकारी बजट का रोना रो रहे हैं। इस दिशा में हमें बाहर कर दिया जा रहा है। हालांकि सरकार ने कैबिनेट में मामला लाने का भरोसा दिया है। हालांकि जब स्कूलों में परीक्षाएं एक अक्टूबर से हो रही हैं। हमने बच्चों के भविष्य को देखते हुए कुछ आंदोलनरत शिक्षकों को स्कूलों में भेज दिया है।

संदीप रावत, प्रदेश अध्यक्ष, पीटीए श्िाक्षक संघ।

सूबे में एसटी, एससी व ओबीसी में बैकलॉग के हजारों पद खाली हैं। आरक्षण के तहत वैसे भी पदों का बंटवारा है। चार साल बीत गए हैं, संविधान का अपमान किया जा रहा है। प्रदेश में यह भी देखने को मिला है कि हर भर्ती का मामला कोर्ट में पहुंचा है। हाल में ग्रुप सी की भर्ती में क्00 प्रश्नों में से ख्क् प्रश्न एक कोचिंग की पत्रिका के पाए गए।

कलेश भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष बैकलॉग संघ।

बीएड-टीईटी प्रशिक्षित महासंघ पिछले डेढ़ हफ्ते से शिक्षा निदेशालय पर आंदोलनरत है। महासंघ की केवल एक मांग है कि फ्क् मार्च ख्0ख्0 तक एनीसीटीई से एक्टेंशन लिया जाए। एनसीटीई का एक्सटेंशन प्रदेश में ख्0क्म् तक ही वैलिड था, अब ऐसा न होने के हजारों प्रशिक्षित बेरोजगार हो चुके हैं। वहीं प्रदेश में करीब फ्ख्00 पद प्राइमरी स्कूलों में खाली हैं। सरकार कह रह रही है कि डीएलएड करो। जबकि डीएलएड ख्0क्8 में आएगा, जो संभव नही है।

विवेक नैनवाल, प्रदेश मीडिया प्रभारी, बीएड-टीईटी प्रशिक्षित महासंघ।

प्रदेश सरकार दिब्यांगजन की भी सुनने का नाम नहीं ले रही है। सूचना के अधिकार में हैंडीकैप्ट के ब्भ्0 पद खाली होने की सूचना प्राप्त हुई है। वहीं तीन प्रतिशत रिजर्वेशन का भी प्रदेश में अनुपालन नहीं हो पा रहा है। यही वजह है कि अब बीएडी-टीईटी में दिब्यांगजन आंदोलन के लिए मजबूर हो रहे हैं।

सुशील डंगवाल, बीएडी-टीईटी हैंडीकैप्ड।

Posted By: Inextlive