- हेली कंपनियों को केदारनाथ प्रतिबंधित वन क्षेत्र में नियमानुसार भरनी होगी उड़ान

- प्रतिबंधित वन क्षेत्र में 600 मीटर से नीचे उड़ान भरना वन्य जीवों के हित में नहीं

RUDRAPRAYAG: केदारनाथ के लिए उड़ान भरने वाली हेली कंपनियों को राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के नियमानुसार ही प्रतिबंधित वन क्षेत्र में उड़ान भरनी होगी। इसके लिए वन विभाग की ओर से हेली कंपनियों के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी। कंपनियां नियमों का पालन कर रही हैं या नहीं, इस पर निगरानी रखने के लिए लिनचोली के अलावा लिनचोली और भीमबली के बीच विभाग की टीम दो स्थानों पर मॉनीट¨रग करेगी।

विभाग की टीम करेगी मॉनीटरिंग

केदारनाथ के लिए वर्ष 2003 से हेली सेवाओं का संचालन शुरू हुआ था। लेकिन, इनका क्रेज बढ़ा वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा के बाद। तब से हर साल केदारघाटी में स्थित विभिन्न हेलीपैड से एक साथ कई हेलीकॉप्टर धाम के लिए उड़ान भरते हैं। वर्तमान में धाम के लिए प्रतिदिन नौ हेली कंपनियों की 210 शटल सेवा संचालित हो रही हैं। लेकिन, उड़ान के दौरान अक्सर शिकायतें आती हैं कि हेली कपंनियां एनजीटी समेत नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के दिशा-निर्देशों का पालन कर रही हैं। केदारनाथ क्षेत्र प्रतिबंधित वन क्षेत्र में आता है। यहां दुर्लभ प्रजाति के जीव-जंतुओं का वास है, जिन पर हेलीकॉप्टर का कानफोड़ू शोर विपरीत प्रभाव डालता है। इसी को देखते हुए वन विभाग समय-समय पर हेली कंपनियों को दिशा-निर्देश जारी करता रहता है। बावजूद इसके कंपनियां इस ओर कोई ध्यान नहीं देतीं। जबकि, प्रतिबंधित वन क्षेत्र में कम से कम 600 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भरी जानी चाहिए। केदारनाथ वन्य जीव प्रभाग के डीएफओ अमित कंवर कहते हैं कि 600 मीटर से नीचे उड़ान भरने पर वन्य जीवन खतरे में पड़ सकता है। इसी को देखते हुए केदारनाथ के लिए उड़ान भरने वाली कंपनियों के लिए गाइडलाइन जारी की जा रही है। इसके बाद भी यदि कोई कंपनी नियमों का उल्लंघन करती है तो उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

Posted By: Inextlive