48 हाईटेक कैमरे, दर्जनों कार्मिक व 24 घंटे की निगहबानी
-डीएससीएल का इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर कोरोनाकाल में बना हुआ मददगार
-जहां से हाईटेक कैमरों के जरिए रखी जा रही पूरे शहर के चौक-चौराहों पर नजर देहरादून, कोरोना को मात देने के लिए कोरोना वॉरियर्स लेकर हर कोई दिन-रात जी-जान से जुटा हुआ है। लेकिन दून में एक ऐसा भी सेंटर है। जिसके जरिए पूरे शहर की निगहबानी की जा रही है। इसके जरिए बाकायदा इस बात का पूरा ख्याल रखा जा रहा है कि कहीं कोरोना कंट्रोल के लिए बने एसओपी का उल्लंघन तो नहीं हो रहा है। शहर के चौक-चौराहों पर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का वॉयलेशन तो नहीं कर रहे हैं। या फिर ऐसे कोरोना संक्रमित, जिनको अस्पतालों में ओपीडी, बेड व मेडिसिन की सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। इन सवालों के जवाब व समस्याओं के समाधान सब कुछ इस सेंटर से मिल पा रहे हैं। जिसकी है हर तरफ नजरजी हां, बात हो रही है देहरादून स्मार्ट सिटी लिमिटेड (डीएससीएलल) के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर (डी-आई ट्रिपल-सी) की। सहस्रधारा रोड स्थित डी-आई-ट्रिपल-सी कोरोनाकाल में सबसे बड़े ब्रह्मास्त्र के तौर पर काम कर रहा है। हाई डिजिटल कैमरों से लैस इस सेंटर को आजकल कंट्रोल रूम के तौर पर यूज किया जा रहा है। हालांकि, गत वर्ष भी इस सेंटर का कोरोनाकाल में यूज किया गया था। लेकिन, अब एक वर्ष के बाद ये कंट्रोल रूम पूरी तक और अधिक हाईटेक हो चुका है। आंकड़े इस बात की तस्दीक करने के लिए काफी हैं कि पूरे दून शहर से जरूरतमंदों, पीडि़तों के रोजाना 500-600 फोन कॉल्स रिसीव हो रहे हैं। इनमें से अधिकतर समस्याओं को सही वक्त पर समाधान हो रहा है।
24 घंटे कर रहा काम करीब 10 दिनों से अधिक का वक्त हो गया है। शहर में बढ़ रहे कोरोना के मामलों को देखते हुए अचानक कंट्रोल रूम को दोबारा चालू किया गया। हालांकि गत वर्ष भी इस कंट्रोल रूम की खासी भूमिका रही। लेकिन अबकी बार 24 घंटे कर्मचारियों, पुलिस व डॉक्टरों की तैनाती रहा करती है। करीब डेढ़ दर्जन डॉक्टरों की टीम मुस्तैद है। क्या काम करता है कंट्रोल रूम -होम आइसोलेट पेशेंट्स सीधे डॉक्टरों से कर रहे संवाद। -कोरोना किट का कैसे यूज हो, पूछ रहे मरीज। -ऑक्सीजन लेवल के बारे में ले रहे जानकारी। -मेडिसिन के भी आ रहे हैं सवाल। -सिमटम्स डेवलेप होने पर डाइग्नोसिस की मिल रही जानकारी। -चौक-चौराहों पर भीड़ पर पुलिस को दी जा रही सूचनाएं। -व्हीकल्स मूवमेंट किस चौराहे पर ज्यादा, मिल रही सूचना।-सिटी से बाहर जाने के लिए पास व्यवस्था भी।
-हास्पिटल व बेड की उपलब्धता की भी जानकारी चौक-चौराहों व व्हीकल्स मूवमेंट पर नजर कंट्रोल रूम का सबसे बड़ा यूज पुलिस के लिए मददगार साबित हो रहा है। जहां से पुलिस के कर्मी चौहारों पर व्हीकल्स के मूवमेंट को न केवल मॉनिटर किया जा रहा है। बल्कि कहां लोग बेवजह घूमने को निकल रहे हैं। ऐसे लोगों पर भी नजर रखी जा रही है। जिससे कोरोना कम्युनिटी स्प्रैड का खतरा न हो पाए। डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर भी नाम कोरोना के लिए लगातार दो वर्ष कंट्रोल रूम के तौर पर यूज करने की सफलता के बाद अब इस कंट्रोल रूम का इमरजेंसी सेंटर या फिर डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर भी कहा जा रहा है। बताया गया है यहां आजकल रोजाना 500-600 फोन कॉल्स रिसीव की जा रही हैं। 48 कैमरों से रखी जा रही नजर आई-ट्रिपल-सी में करीब 48 सीसीटीवी कैमरों से पूरे दून पर नजर रखी जा रहा है। इसमें 22 कैमरे केवल स्मार्ट सिटी के हैं, बाकी पुलिस के कैमरों को भी इसी सेंटर से जोड़ दिया गया है। यहां स्मार्ट सिटी, डॉक्टर्स, प्रशासन व पुलिस के कार्मिकों की तैनाती सोशल डिस्टेंसिंग के साथ है।भले ही कोरोनाकाल में आई-ट्रिपल-सी कंट्रोल रूम के तौर पर काम कर रहा हो। लेकिन ये कंट्रोल रूम किसी भी आपदा के लिए काम करने की क्षमता रखता है, जो पूरी तरह हाईटेक है। भविष्य में पूरे प्रदेश से जोड़ने की कोशिशें जारी हैं।
राकेश कुमार, एजीएम आईटी, डीएससीएल।