DEHRADUN : जहां एक तरफ आपदा के मुद्दे पर सरकार जवाब देने के लिए आंकड़ों की फाइलों का तांता लगाए हुए है वहीं प्राइमरी एजूकेशन डिपार्टमेंट का हाल बेहाल है. एजूकेशन डायरेक्टर को यह तक पता नहीं है कि आपदा में स्टेट के कितने स्कूल ध्वस्त हुए हैं. आई नेक्स्ट द्वारा जानकारी मांगे जाने पर बेसिक एजूकेशन डायरेक्टर अनिल नेगी बगले झांकते नजर आए. इसके बाद अधिनस्थों से फाइल्स खंगलवाई गई. बावजूद इसके भी शिक्षा विभाग क्षतिग्रस्त स्कूल्स का सटीक ब्योरा नहीं दे पाया. अंत में जैसे-तैसे निदेशक महोदय ने सकपकाते हुए महज 23 स्कूल को क्षतिग्रस्त बताया. हालांकि इसके बाद विभाग को होश आया और आंकड़े जुटाए गए. देर शाम विभाग ने सारी छानबीन के बाद 171 स्कूल के क्षतिग्रस्त होने की बात मानी. ऐसे में यह सवाल पूछना ही बेमानी है कि कब तक इन स्कूल्स को दुरुस्त कर लिया जाएगा और बच्चों को पढ़ाने का सिलसिला शुरू होगा.नए सत्र में कहां जाएंगे ह्यह्लह्वस्रद्गठ्ठह्लह्य


स्टेट में आई आपदा के दौरान भारी संपति तबाह हो गई है। इसके साथ ही स्टेट में 171 स्कूल भी इस प्रलय की चपेट में आ गए हैं। इनमें प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, हाईस्कूल, इंटरमीडिएट स्कूल शामिल हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल जो स्टूडेंट्स को सता रहा है कि आखिर नए सेशन की पढ़ाई कब और कहां होगी? जुलाई से नया सत्र शुरू हो चुका है। ऐसे हालात में इन स्कूल्स में पढ़ाई होगी कैसे, यह चिंता का विषय है। विभाग भी मान रहा है कि इस क्षति से निपटने में कई हफ्ते लग जाएंगे। फिलहाल शिक्षा निदेशालय इन स्कूल्स के नुकसान का आंकलन ही कर रहा है। लगाए जा रहे अंदाज के मुताबिक ये आंकड़ा 200 तक भी पहुंच सकता है। शिक्षा निदेशक के अनुसार इस क्षति से एकदम से उबरा नहीं जा सकता और कितना यह कह पाना अभी मुश्किल है।बिना आंकड़ों के कैसा इंतजाम?
शिक्षा विभाग ने फौरी तौर पर जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देशित किया है कि प्रभावित इलाकों में व्यवस्था होने तक पंचायत भवनों से स्कूल संचालित किए जाए। और जहां पंचायत भवन नहीं है, वहां किराए पर भवन लेकर स्कूल शुरू कर पढ़ाई करवाई जाए। हालांकि यह घोषणा भी हवा में तीर चलाने जैसा है। निदेशालय शायद यह भूल रहे है कि क्षतिग्रस्त हुए 171 स्कूल उन इलाकों से है, जहां अब सिर्फ नाम के ही चंद घर बचे हैं। ऐसे में इस तरह के हवाई निर्देश कितने सफल साबित होंगे? ये कहना जरा मुश्किल है। इसके अलावा जब विभाग के पास पुख्ता आंकड़े ही नहीं तो इन स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था कब तक हो पाएगी।वजर्नफिलहाल तो 23 की ही जानकारी मिल सकी है। जिला शिक्षा अधिकारियों को कहा गया है कि वे आंकलन कर अपनी रिपोर्ट दें। फौरी तौर पर पंचायत भवनों में स्कूल चलाने को कहा गया है।अनिल नेगीडायरेक्टर, प्राइमरी एजूकेशन

Posted By: Inextlive