पौड़ी के कल्जीखाल विकासखंड के भ्यूली गांव की 27 वर्षीय शालिनी जुगरान के दिल के एक वॉल्व में सिकुडऩ थी। स्त्री रोग विशेषज्ञ ने उसे सलाह दी थी कि वॉल्व का इलाज किये बना गर्भधारण न करें। लेकिन शालिनी ने गर्भधारण कर लिया। ऐसे में उसकी स्थिति जटिल हो गयी थी और जज्जा-बच्चा दोनों की जान का खतरा था।

दून मेडिकल कॉलेज के डॉ। अमर उपाध्याय ने बचाई दो जिंदगी

फोटो- दून मेडिकल कॉलेज

देहरादून, 15 अप्रैल (ब्यूरो)।
दून मेडिकल कॉलेज के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ। अमर उपाध्याय ने एक साथ दो जिंदगियों को नया जीवन दिया। गर्भवती महिला के दिल के वॉल्व की सिकुडऩ का ऑपरेशन बैलून मित्रल वॉल्वोटॉमी से किया। डॉ। अमर उपाध्याय का कहना है कि आपरेशन सफल रहा और जच्चा-बच्चा दोनों ही ठीक हैं।

दिल के एक वॉल्व में सिकुडऩ
डॉ। अमर उपाध्याय ने बताया कि बैलून मित्रल वॉल्वोटामी विधि से आपरेशन किया गया। इसके तहत बैलून के माध्यम से वॉल्व की सिकुडऩ को दूर किया गया। इस जटिल आपरेशन में उनकी टीम के अलावा एनेस्थीशिया टीम में डॉ। सतेंद्र कौर, डॉ। वी। हेमंत और ओटी टेक्नीशियन च्योति दोसाद ने अपना महत्वपूर्ण सहयोग दिया। डॉ। अमर उपाध्याय के इस जोखिमपूर्ण ऑपरेशन को सफलतापूर्वक करने पर शालिनी के परिजनों ने राहत की सांस ली है।

कैथ लैब बनने से हो रही ये सर्जरी
दून हॉस्पिटल के सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट अमर उपाध्याय व उनकी टीम कैथ लैब शुरू होने से अब तक कई लोगों की जिंदगियां बचा चुके है। डॉ। अमर उपाध्याय ने बताया कि कैथ लैब शुरू होने के बाद एनजीओ प्लास्टी की सुविधा शुरू हो गई है। बच्चों में दिल के छेद को ठीक किया जा रहा है। वॉल्व में सिकुडऩ, किसी नस में ब्लॉकेज आदि का उपचार और दिल से संबंधित अन्य सर्जरी भी हो रही हैं। डॉ। अमर उपाध्याय ने बताया कि अस्पताल में रोजाना की ओपीडी में करीब 50 मरीज दिल के इलाज के लिए आते हैं।

Posted By: Inextlive