एनसीईआरटी की किताबें नहीं तो जाएगी मान्यता
- सीबीएसई ने एनसीईआरटी किताबों को लेकर लिया कड़ा फैसला
प्वाइंटर्स - स्कूलों को अनिवार्य रूप से लगानी होंगी एनसीईआरटी की किताबें। - बोर्ड द्वारा स्कूलों में किया जाएगा औचक निरीक्षण। - बाहरी पब्लिशर्स की किताबें पाए जाने पर होगी कार्रवाई। - फैसले का पालन करने को स्कूलों को जारी किया सर्कुलर। ravi.priya@inext.co.in DEHRADUN: सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई) से जुड़े स्कूलों को अनिवार्य रूप से एनसीईआरटी की किताबों को सिलेबस में शामिल करना होगा। निर्देशों की नाफरमानी करने वाले स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी जाएगी। बोर्ड ने इसे लेकर स्कूलों को सर्कुलर भी जारी कर दिया है। इतना ही नहीं स्कूलों द्वारा किताबों को लेकर निर्देशों का कितना पालन किया जा रहा है इसके लिए बोर्ड समय समय पर औचक निरीक्षण भी करेगा। शिकायतों के बाद लिया निर्णयप्राइवेट स्कूलों द्वारा किताबों को लेकर की जा रही मनमानी के मामले में लगातार मिल रही शिकायतों के बाद यह निर्णय लिया है। केंद्र सरकार ने प्राइवेट स्कूलों पर लगाम लगाने के मकसद से यह फैसला किया है। अब सरकार ने बोर्ड को निर्देशित करते हुए कहा है कि सेशन ख्0क्7-क्8 से देश के सभी सीबीएसई स्कूलों को एनसीईआरटी की किताबों को ही पाठ्यक्रम में चलाना होगा। सरकार के इस फैसले से उन लाखों पैरेंट्स को राहत मिलेगी जिन्हें प्राइवेट सीबीएसई स्कूल महंगे पब्लिशर्स की किताबें खरीदने के लिए मजबूर करते थे।
शिकायत पर जाएगी मान्यता सीबीएसई द्वारा जारी किए गए सर्कुलर में बोर्ड ने साफ किया है कि जो स्कूल निर्देशों का पालन न करते हुए प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों को पाठ्यक्रम में शामिल करते हैं, तो बोर्ड एफिलिएशन बायलॉज के नियमों का उल्लंघन माना जाएगा। इतना ही नहीं यदि स्कूलों की मनमानी को लेकर बोर्ड को पैरेंट्स द्वारा शिकायत मिलती है तो बोर्ड संबंधित स्कूल में औचक निरीक्षण कर मामले की जांच करेगा। शिकायत सही पाए जाने पर स्कूल के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगा। स्कूल की मान्यता तक खत्म की जा सकती है। स्कूलों द्वारा किया जा रहा था विरोधमिनिस्ट्री ऑफ ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट, एनसीईआर और सीबीएसई की टीम बीते काफी समय से एनसीईआरटी किताबों को अनिवार्य रूप से लागू करने पर कार्य कर रहा था। लेकिन कुछ कारणों से फैसलों को लागू नहीं किया जा रहा है। इसका बड़ा कारण स्कूलों द्वारा बोर्ड के इस फैसले के खिलाफ जाना भी माना जा रहा था। बोर्ड अधिकारियों की मानें तो अब नियम को पूरी तरह से लागू किए जाने के निर्देश बोर्ड को प्राप्त हो चुके हैं। स्कूलों को हर हाल में एनसीईआरटी किताबों को ही अपनाना होगा।
किताबों पर मोटा कमीशन एक्सपर्ट्स की मानें तो देश के सभी प्रमुख प्रतियोगी परीक्षाओं का सिलेबस और क्वेश्चन पेपर एनसीईआरटी बेस्ड होता है। ऐसे में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों से बच्चों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा होती है। स्कूलों में एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ाया जाएगा तो सिलेबस और कन्टेंट को लेकर स्टूडेंट्स क्लियर होंगे। यही कारण है कि सीबीएसई भी इन बुक्स को प्रीफर करता है। लेकिन सिटी के पब्लिक स्कूल्स शायद इससे इत्तेफाक नहीं रखते। यही कारण रहा कि तमाम दिशा निर्देशों के बाद भी स्कूल्स एनसीईआरटी की सस्ती किताबों की जगह महंगे पब्लिशर्स की महंगी किताबों को कोर्स में लगाते थे। जानकारों की मानें तो महंगे पब्लिशर्स की महंगी बुक्स पर बड़ा कमीशन इसकी बड़ी वजह है। यह था मनमानी का आलम स्कूल अपने मन मुताबिक पाठ्यक्रम में लगाते हैं महंगी किताबें। - एनसीईआरटी की तुलना में दस गुना तक होता है रेट में अंतर। - कमीशन के चलते खास दुकानों पर ही उपलब्ध होती थी किताबें। - पैरेंट्स को मजबूरन खरीदनी पड़ती थी महंगे पब्लिशर्स की किताबें। - अकेले दून में कई सौ करोड़ों का होता है मनमानी का यह कारोबार।बोर्ड ने अनिवार्य रूप से एनसीईआरटी की किताबों को स्कूलों में लागू करने का फैसला किया है। दून रीजन की बात करें तो यहां 70 परसेंट स्कूलों ने एनसीईआरटी की किताबों को अपना लिया है। लेकिन अब बाकी स्कूलों को भी निर्देशों का पालन करना होगा। इसे लेकर स्कूलों को भी सर्कुलर जारी कर दिया गया है। निर्देशों का पालन न करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
----- रनबीर सिंह, रीजनल ऑफिसर, सीबीएसई देहरादून