-ऑटो के परमिट ऊंचे दामों में बेच खुद को बता रहे बेरोजगार

-आरटीओ दफ्तर में रैली निकालते हुए पहुंचे कथित बेरोजगार

- फर्जी यूनियन बता आरटीओ ने बैरंग लौटाया वापस

DEHRADUN : राजधानी में विक्रम और आटो के नए परमिट पर सुप्रीम कोर्ट से रोके आदेश के बावजूद कुछ कथित बेरोजगार रैली निकाल वहां पहुंचे और ऑटो परमिट जारी करने की मांग की। इन लोगों ने कहा कि साल ख्009-क्0 के बाद दून में ऑटो के परमिट जारी नहीं किए गए। इनका दावा था कि ये लोग बेरोजगार हैं, मगर जांच में यह दावा झूठा निकला।

यूनियन की वैधता पर चुप

बीते दिनों महानगर दून ऑटो चालक यूनियन के नाम से रजिस्टर्ड डाक से एक पत्र आरटीओ कार्यालय को प्रेषित किया गया था, जिसमें दून शहर में ऑटो परमिट खोलने की मांग की गई थी। यूनियन सदस्य थर्सडे को रैली निकालते हुए आरटीओ पहुंचे। परिवहन अधिकारियों के खिलाफ नारेबाजी करते हुए भीड़ आरटीओ दिनेश चंद्र पठोई के कक्ष में घुस गई। वहां शहजाद अली ने खुद को यूनियन का संयोजक बताया, मगर जब आरटीओ ने यूनियन की वैधता पर सवाल उठाए तो सब चुप पड़ गए। इसी बीच आरटीओ को मालूम चला कि प्रदर्शन कर रहे कथित बेरोजगारों में कई लोग ऐसे हैं, जिन्होंने साल ख्009-क्0 में ऑटो परमिट लिए थे। ये लोग अपने परमिट ऊंचे दामों में बेच चुके हैं। आरटीओ ने बताया कि प्रदूषण के चलते सुप्रीम कोर्ट ने दून में ऑटो एवं विक्रमों के नए परमिट जारी करने पर प्रतिबंध लगाया हुआ है।

'दून शहर में पहले ही बड़ी संख्या में ऑटो दौड़ रहे हैं, नए परमिट जारी किए गए तो शहर के यातायात और प्रदूषण का क्या होगा। सुप्रीम कोर्ट तक ने नए परमिट पर रोक लगाई हुई है। आरटीओ कार्यालय में ऑटो-रिक्शा की सिर्फ हमारी यूनियन रजिस्टर्ड है.'

- पंकज अरोड़ा, अध्यक्ष दून ऑटो रिक्शा यूनियन

Posted By: Inextlive