फॉक्सवैगन कारों में सॉफ्टवेयर की मदद से होती है धोखाधड़ी, सामने आया यह सच
सॉफ्टवेयर की मदद से हुई गड़बड़ी
कंपनी ने माना है कि, उसने एक सॉफ्टवेयर की मदद से सभी कारों में प्रदूषण चेकिंग को लेकर गड़बड़ी की थी। इन कारों में ऐसा सॉफ्टवेयर लगाया गया था जो प्रदूषण परीक्षणों को आसानी से चकमा दे सके। फॉक्सवैगन यूएस के सीईओ माइकल हॉर्न ने कहा कि, उनकी कंपनी ने अमेरिकी एन्वॉयरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी, कैलीफोर्निया एयर रिसोर्सेज बोर्ड और सभी कस्टमर्स के साथ बेईमानी की। फिलहाल कंपनी का यह सच उसके ब्रांड पर कितना असर डालता है, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन इस घोषणा के बाद कंपनी के शेयरों में तुरंत 20 परसेंट तक गिरावट दर्ज की गई।
गाड़ियां वापस बुलाई गईं
फॉक्सवैगन कंपनी की तरफ से यह सच सामने आते ही अमेरिकी अधिकारियों ने कंपनली को 5 लाख गाड़ियां वापस बुलाने का आदेश दिया। हालांकि फॉकवैगन ने यह भी बताया कि, दुनियाभर के 1 करोड़ 10 लाख कारों के इंजन के बेंच टेस्ट रिजल्ट और रोड पर इस्तेमाल के दौरान के नतीजों में काफी अंतर देखने को मिला। बताते चलें कि कंपनी ने यह पहली बार माना कि अमेरिका से बाहर बेची गई डीजल कारों में धांधली की गई। इससे पहले फॉक्सवैगन ने सिर्फ अमेरिका की 5 लाख कारों क गड़बड़ी की बात बताई थी।
कैसे दिया धोखा
कंपनी ने सॉफ्टवेयर की मदद से टेस्टिंग इमिशन कंट्रोल किया। यूएस इनवॉयरमेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी ने कहा कि इमिशन टेस्टिंग के लिए फॉक्सवैगन ने एक अलग डिवाइस बना रखी थी। यानी कि जब कभी फॉक्सवैगन की कोई कार इमिशन टेस्टिंग के लिए जाती थीं तो यह डिवाइस पॉल्यूशन को कंट्रोल कर लेती थी। इसके बाद जब यह कार नॉर्मल ड्राइविंग सिचुएशन पर टेस्ट की जाती थी तो इमिशन कंट्रोल का सॉफ्टवेयर अपने आप बंद हो जाता था। बेसिकली सॉफ्टवेयर का काम टॉर्क को कंट्रोल करके एवरेज और कार का ओवरऑल परफॉर्मेंस बढ़ा देता था। वहीं कार्बन इमिशन को घटा हुआ बताता था।