-मेरठ के दो ब्लॉक डार्क और तीन ब्लॉक पहुंचे क्रिटिकल जोन में

-भू-जल संसाधन प्रबंधन की आंकलन रिपोर्ट पर शासन ने जताई चिंता

-जनपद में हर साल घटता जा रहा है वर्षा का जल स्तर

Meerut: जनसंख्या घनत्व और डिमांड और सप्लाई के तालमेल ने मेरठ के भू-जल स्तर का पूरा गणित बिगाड़ कर रख दिया है। एक तो हर साल कम होते वर्षा के घनत्व और दूसरी और पानी की बढ़ रही मांग को पूरा करने के लिए भू-जल का जो अति दोहन हो रहा है, उसने निकट भविष्य के लिए पानी का संकट खड़ा कर दिया है। आज हालात यह है कि भूजल के अति-दोहन ने मेरठ को डेंजर जोन में पहुंचा दिया है।

मेरठ के पांच ब्लॉक अति दोहित

जिले में लगातार हो रहे भूजल स्तर के दोहन के चलते शासन ने मेरठ के दो ब्लॉकों को डार्क और तीन अन्य ब्लॉक भी क्रिटिकल जोन घोषित कर दिया है। भूजल के अति दोहन को लेकर शासन सख्त निर्देश जारी करते हुए इन ब्लॉकों में नए नलकूप लगाने में पूरी तरह से रोक लगा दी है। आने वाले समय में अब इन जगहों में न कोई बोरिंग किया जा सकेगा और न ट्यूबवेल के लिए कोई कनेक्शन दिया जा सकेगा। सबसे अधिक चौंकाने वाली तो भू-जल मैनेजमेंट की रिपोर्ट है, जिसने मेरठ पर मंडरा रहे खतरे की ओर इशारा कर दिया है।

डेंजर जोन मेरठ

लघु सिंचाई विभाग के आंकड़ों की मानें तो मेरठ पूरी तरह से डेंजर जोन में आकर खड़ा हो गया है। जलापूर्ति के लिए अंधाधुंध तरीके से हो रहे भूजल दोहन का आलम यह है कि 13 अक्टूबर 2014 में मेरठ के दो ब्लॉक रजपुरा और खरखौदा को अति-दोहित करार देते हुए उन्हे डार्क जोन घोषित कर दिया गया है, वहीं माछरा, परीक्षिगढ़ और मेरठ भी क्रिटिकल जोन की जद में आ गए हैं, जबकि दौराला और हस्तिनापुर को सेमी क्रिटिकल जोन में रखते हुए चेतावनी दे दी गई है।

मानकों की कसौटी पर खतरे में मेरठ

भू-जल संसाधन के मुताबिक भूजल स्तर को तीन केटेगरी में रखा जाता है। इन्हें डार्क जोन यानी अति-दोहित, क्रिटिकल व सेमी क्रिटिकल जोन के रूप में कैटेग्राइज किया जाता है। डार्क जोन में उन ब्लॉक को शामिल किया गया है, जिन में तदाद से अधिक भूजल का दोहन किया चुका है और जमीन एक भी नलकूप का बोझ सहन नहीं कर सकती। वहीं क्रिटिकल जोन में शामिल ब्लॉक डार्क जोन के मुहाने पर खड़े माने गए हैं, इसलिए इस इसको भी डेंजर जोन में शामिल किया गया है। सेमी क्रिटिकल जोन में खतरा अभी अपनी शुरुआती दौर में है, हालांकि इसको डेंजर जोन में नहीं रखा गया है।

नहीं लग सकेंगे नलकूप

भू-जल संसाधन आकलन पर आए शासनादेश के मुताबिक अब अति-दोहित और क्रिटिकल जोन में आए किसी भी ब्लॉक में एक भी बोरिंग व नलकूप नहीं लगाया जा सकेगा। इसके लिए शासन ने लघु सिंचाई और बिजली विभाग को पत्र भेजते हुए सख्त निर्देश दिए हैं कि शासनादेश के अनुपालन में इन ब्लॉक में न तो कोई सरकारी नलकूप स्थापित किया जाए और न ही किसी गैर सरकारी नलकूप को बिजली का कनेक्शन जारी किया जाए।

क्या कहती है सर्वे रिपोर्ट --

कुल ब्लॉक -- 820

डार्क जोन -- 111

क्रिटिकल -- 68

सेफ जोन -- 559

संकट में 179 ब्लॉक

नए नलकूप पर शासन न

जमीन से कम होते जा रहे पानी के स्तर पर चिंता व्यक्त करने हुए शासन ने प्रदेश के संबंधित सभी विभागों चेताते हुए सख्त आदेश जारी किए हैं। आदेशों के मुताबिक डार्क व क्रिटिकल जोन में रखे गए ब्लॉकों में कोई नया बोरिंग नहीं किया जा सकेगा। शासनादेश के अनुसार इन ब्लॉकों में लघु सिंचाई एवं सिंचाई विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं व निशुल्क बोरिंग, मध्यम गहरी बोरिंग, गहरी बोरिंग, राजकीय नलकूप व सामूहिक नलकूप आदि पर पूरी तरह से प्रतिबंधित है।

दो बार हो चुका सूखा घोषित

यह कम वर्षा और लगातार कम होते जा रहे भूजल स्तर का परिणाम है कि पिछले एक दशक में मेरठ को दो बार सूखा घोषित किया जा चुका है। कम वर्षा के कारण शासन ने जनपद को 2005 व 2008 में सूखा घोषित कर दिया था। इस पर विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में भूजल से छेड़छाड़ के परिणामों को ही सूखे का कारण बताया था।

शासनादेश के मुताबिक प्रतिबंधित क्षेत्रों में नए नलकूपों की स्थापना पर पूर्ण रूप से पाबंदी लगा दी गई है। मेरठ में पांच ब्लॉकों की स्थिति अधिक खराब है वहां नए वित्तीय वर्ष में कोई नलकूप नहीं लगाया जा सकेगा।

विश्राम यादव, अधिशासी अभियंता, लघु सिंचाई विभाग

डार्क जोन में किसी निजी नलकूप को कनेक्शन जारी नहीं किए जा रहे हैं। धरती का जल स्तर लगातार घटता जा रहा है। यह बहुत ही संवदेनशील मामला है।

विजय विश्वास पंत, एमडी पीवीवीएनएल

बॉक्स --

जनपद -- मेरठ

आबादी -- बीस लाख

गांव -- 663

ब्लॉक -- 12

शहर में जनसंख्या - 49 फीसद

वार्षिक वर्षा का जल स्तर -- 741.30

कुल एग्रीकल्चरल लैंड - 203350 हेक्टेयर

कुल तालाब -- 3062

कुल नलकूप -- 55000

वार्षिक वर्षा की रिपोर्ट --

साल वर्षा (एलएल)

1995 877.64

1996 1056.90

1997 995.90

1998 1393.40

1999 694.70

2000 839.60

2001 463.06

2002 890.00

2003 1006.20

2004 896.90

2005 758.40

2006 592.3

2007 373.7

2008 437.4

2009 430.0

2010 950.0

2011 860.0

2012 950.0

2013 1035

2014 1080

Posted By: Inextlive