संवेदनशील और अहम सरकारी दस्तावेज के लीक होने को लेकर केंद्र सरकार काफी परेशान है। केन्‍द्र ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी इस चिंता से अवगत कराया। कोर्ट ने भी इस मामले को गंभीर बताते हुए इस पर विचार करने का निर्णय लिया है। यह पहली बार नहीं है जब कोई सरकारी दस्‍तावेज लीक हुए हैं इससे पहले भी कई बार सरकारी दस्‍तावेज लीक हो चुके हैं।


पेट्रोलियम मंत्रालय से लीक हुए सरकारी दस्तावेज2015 में पेट्रोलियम मंत्रालय व प्राकृतिक गैस के गोपनीय सरकारी दस्तावेज लीक होने का मामला सामने आया था। सूत्रों के मुताबिक सूचनाएं लीक करने का यह खेल पिछले कुछ सालों से चल रहा था। आरोपी एमओपीएनजी में अस्थाई रूप से मल्टी टास्किंग कर्मी के रूप में काम करते थे। इसके लिए उन्होंने फर्जी आई कार्ड व नकली पास भी बनवा रखे थे। पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि कथित रूप से गोपनीय सरकारी दस्तावेजों को निजी कंपनियों को लीक करने के आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए उनके मंत्रालय के दोनों कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से जुड़े गोपनीय दस्तावेज लीक होने से मचा था हंगामा
मुंबई स्थित मझगांव डॉक पर तैयार की जा रही स्कॉर्पीन पनडुब्बियों से जुड़े बेहद गोपनीय दस्तावेज लीक होने के बाद हंगामा मच गया था। फ्रेंच हथियार निर्माण कंपनी डीसीएनएस की मदद से मुंबई के मझगांव डॉक पर छह पनडुब्बियों का निर्माण चल रहा है। इनमें से पहली स्कॉरपीयन क्लास पनडुब्बी कालवरी का मई 2016 में ट्रॉयल हो चुका है। पनडुब्बियों के निर्माण को लेकर भारत के रक्षा मंत्रालय और डीसीएनएस के बीच पिछले साल 350 करोड़ अमेरिकी डॉलर करीब 23 हजार चार सौ करोड़ रुपए का करार हुआ था। इन पनडुब्बियों में इस्तेमाल किए जा रहे 30 फीसद यंत्र भारत में बनाए गए हैं। बाकी की आपूर्ति डीसीएनएस ने की है। फ्रांस की इस कंपनी के पास भारत के अलावा मलेशिया, चिली और ऑस्ट्रेलिया के लिए नई जनरेशन की पनडुब्बियां बनाने का कॉन्ट्रैक्ट है।

Posted By: Prabha Punj Mishra