जब भी हवाई यात्रा करते हैं हर बार एक समस्‍या से दोचार होते हैं। ये समस्‍या है ईयर पॉपिंग की क्‍या कभी आपने सोचा है कि ऐसा क्‍यों होता है। ये ईरीटेट करने वाला अहसास दरसल हवा के दवाब में हाने वाले परिर्वतन के चलते होता है। आइये समझें क्‍या है ईयर पॉपिंग ये क्‍यों होता है और इसका सामना कैसे करें।

क्या है ईयर पॉपिंग
जब आपका हवाई जहाज टेक ऑफ करता है या लैंड करता है तो आपके कानों में एक अजीब सा सुन्न करने वाला या सनसनाहट का अहसास होता है। इसे ईयर पॉपिंग कहते हैं। उड़ान के शुरू और अंत में होने वाला ये अहसास कान में खास दवाब के चलते होता है। कई बार आप इससे खासी असुविधा महसूस करते हैं।

क्यों होती है कानों में पॉपिंग
दरसल  हमारे कान की बनावट एक गुफा की तरह होती  है जिसमें हवा भरी होती है। उड़ान के दौरान इसी गुफा के बीच के हिस्से पर दवाब पड़ता है। ये दवाब हवा के या वातावरण के दवाब में परिर्वतन के कारण होता है। यानि जब हम टेक ऑफ के साथ ऊपर  की ओर चलते हैं तो ये दवाब कम होता जाता है और पृथ्वी के वातावरण में ये दवाब बढ़ता है उसी वजह से कान की गुफा के भीतर बनी युस्टाशियन ट्यूब पर दवाब बढ़ता और घटता है और इसी वजह से पॉपिंग होती है।

कैसे करें इसका सामना
इस उबरने के लिए आपकी नाक कान की काफी मदद करती  है। असल में युस्टाशियन ट्यूब कान के मध्य भाग को नाक के पिछले हिस्से को जोड़े रखती है। इसीलिए अगर हम कुछ निगलने की क्रिया करते हैं या जम्हाई लेते हैं तो यह ट्यूब खुलती है और कान के अंदर हल्की सी टक की आवाज आती है। अगर आप हवाई यात्रा के दौरान ये क्रियाएं दोहराये तो आपको तुरंत राहत भी महसूस होगी। अगर आप यूं ही ये काम नहीं कर परा रहे तो च्युइंगम या पिपरमिंट की टाफी मुंह में रख कर उसका रस निगलें। ये भी काफी बेहतर एक्सरसाइज साबित होगी। साथ ही हवाई जहाज की लैंडिंग के दौरान जहां तक संभव हो सोयें नहीं, क्योंकि नींद में निगलने की क्रिया करना संभव नहीं।
इसके अलावा नाक को दो उँगलियों से बन्द कर मुँह से बिना ज्यादा ताकत लगाये गुब्बारा फुलाने की तरह गालों को फुलाएँ। ऐसे में भी अगर आप को कान में टक की आवाज़ आये तो समझिये काम बन गया। ये प्रक्रिया आपको जहाज उतरने के समय 2 से 3 बार करनी पड़ सकती है।

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Posted By: Molly Seth