इमर्जिग मार्केट्स में पैसा लगाने के लिए विदेशी निवेशक कतरा रहें हैं। जिसके चलते नए साल में शेयर बाजार में कई उतार चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं। रिफॉर्म की गाड़ी रूकने के साथ रूपये में कमजोरी आने से एफआईआई सेंटीमेंट कमजोर पढ़ सकता है। आने वाले महीनों में मिड और स्‍मॉल कैप स्‍टॉक्‍स पर फोकस बना रह सकता है। इनमें उस वक्‍त तक तेजी बनी रहेगी जब तक डोमेस्टिक इंवेस्‍टर्स म्‍यूचुअल फंड्स में पैसा लगाते रहेंगे। हलिया तेजी के बाद मिड और स्‍मॉल कैप स्‍टॉक्‍स महंगे हो गए हैं।


साल 2015 की शुरुआत थी शानदार2015 में शेयर बाजार की शुरुआत शानदार थी लेकिन अंत कमजोरी के साथ हो रहा है। इस साल सेंसेक्स 30000 और निफ्टी 9000 के ऊपर चला गया था। दोनों बेंचमार्क नए शिखर पर पहुंचे थे। पिछले साल की तुलना में अब इनमे 5 प्रतशित की गिरावट आचुकी है। एफआईआई डेटा से पता चला है कि इस साल विदेशी निवेशकों ने भारत में 17761 करोड़ रूपये लगाए हैं। लेकिन यह 2011 के बाद किसी साल में उनका सबसे कम निवेश है। जून के बाद एफआईआई ने भारतीय बाजार से 30000 हजार करोड़ रूपये निकाले है।तेल उत्पादक देशों ने बढ़ाई शेयर बाजार की मुश्किलें


ब्रोकर्स का कहना है कि विदेशी निवेशक नए साल में भी पैसा निकालना जारी रख सकते है। क्योंकि अमेरिका में इंट्रेस्ट रेट और बढ़ने के आसार हैं। इससे डॉलर के मुकाबले रूपया कमजोर होगा। इडलवाइज ग्रुप के चेयरमैन और सीईओ रशेष शाह ने बताया हमें नए साल में इक्विटी और करेंसी मार्केट में उतार चढ़ाव जारी रहने की उम्मीद है। शेयर बाजार की मुश्किल तेल उत्पादक देशों के सॉवरेन फंड्स के पैसे निकालने से बढ़ी है। ऑयल प्राइसेज में भारी गिरावट के चलते इन देशों को बजट एलोकेशन पूरा करने के लिए भारत सहित इमर्जिग मार्केटस से भी पैसा निकालना पड़ रहा है।जीएसटी लागू न होने से मायूस है विदेशी निवेशकचीन में इमर्जिंग मार्केट इंवेस्टर्स को आर्थिक सुस्ती का डर भी सता रहा है। इंवेस्टर्स का कहना है कि एशियाई देशों को लेकर सेंटीमेंट बिगड़ सकता है। अगर चीन के बाजार में सुस्ती आती है तो वह युआन की वैल्यू कम करता है। जिसका रूपये सहित दूसरे इमर्जिंग मार्केट की करेंसी पर निगेटिव होगा। ब्रोकर्स का कहना है कि अगर सराकर प्रो बिजनेस उपाय करती है तो एफआईआई सेलिंग के असर से शायद भारत कुछ हद तक बच जाए। भारत में विंटर सेशन में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स जीएसटी के पास न होने से विदेशी निवेशक मायूस है।बाजार में हुआ 60 हजार करोड़ का निवेश

टेम्पलटन इमर्जिंग मार्केट्स ग्रुप के एग्जिक्यूटिव चेयरमैन मार्क मोबियस ने कहा कि जीएसटी  बिल के पास होने से इनवेस्टर्स को पॉजिटिव सिग्नल मिलेगा। अगर आने वाले महीनो में जीएसटी बिल पास नहीं होता है तो यह भारत के बजार के लिए बुरा संकेत होगा। तब हम भारत में निवेश नहीं बड़ाना चाहेंगे। अगर बिल पास होता है तो हम अपना निवेश डबल कर सकते है। कोटेक एसेट कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर नीलेश शाह ने कहा कि नए साल में भी लोग चुनिंदा शेयरों में पैसा लगाना पसंद करेंगे। इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि किसी एसेट क्लास का प्रदर्शन कैसा रहने जा रहा है। आप किन शेयरों को चुनते है उससे ही आप का रिटर्न तय होगा। 2015 में डोमेस्टिक म्यूचुअल फंड्स में 60 हजार करोड़ रूपये का निवेश हुआ है।बाजार में दिखी 8 प्रतशित की तेजीब्लू चिप कंपनियों का अउटलुक अनिश्चित दिख रहा है। इसलिए इंवेस्टर्स और ट्रेडर्स की दिलचस्पी मिड और स्मॉल कैप शेयरों में बनी रह सकती है। इन सेगमेंट्स के चुनिंदा शहरों को ही इसका फायदा मिलेगा। फंड मैनेजरों का कहना है कि पिछले दो सालों से मिड और स्मॉल कैप शेयरों में तेजी आई है। इसलिए इनके वैल्यूएशन को लेकर चिंता हो रही है। डोमेस्टिक इनवेस्टर्स की ओर से शुरूआत म्यूचुअल फंड्स के पास पैसा आने पर इनका वैल्लूएशन आगे भी हायर लेवल पर बना रह सकता है। 2015 में मिड कैंप इंडेक्स् में 8 प्रतशित की तेजी आई है। जबकि स्मॉल कैप इंडेक्स 7.5 प्रतशित चढ़ा है।

Posted By: Prabha Punj Mishra