हिंदू धर्म में राम नाम का बड़ा महत्‍व है। तीन बार इस नाम का जप भगवान के नाम का 1000 हजार जप करने के बराबर होता है। यहां जब किसी को अंतिम संस्‍कार के लिए ले जाया जाता है तब लोग 'राम नाम सत्य है' कहते जाते हैं। जब कि कभी किसी खुशी के महौल में इस चार शब्‍दों का एक साथ उच्‍चारण नहीं किया जाता है। जिससे अक्‍सर लोगों के मन में यह सवाल उठते हैं कि 'राम नाम सत्य है' मरने पर क्यों कहा जाता है। ऐसे में आइए जानें इन शब्‍दों को बोले जाने के पीछे के ये 5 कारण...


जीव को मुक्ित: किसी की मृत्यु होने पर राम का नाम लिया जाता है। इसका अर्थ होता है कि अब इस जीव को मुक्ित मिल गई है। अब आत्मा इस संसार चक्र से आजाद हो गई है। उसका सांसरिक मोहमाया से मतलब नहीं रह जाता है। शक्ति की अभिव्यक्ति:  'राम नाम सत्य है' का मतलब के अर्थ 'सत्य भगवान राम का नाम है'। यहां राम ब्रम्हात्म यानी की सर्वोच्च शक्ति की अभिव्यक्ति करने के लिए निकलता है। इस दौरान सांस विहानी यानी कि मृत शरीर का कोई अर्थ नहीं रह जाता है। आत्मा सब कुछ छोड़कर भगवान के पास चली जाती है। यही परम सत्य है। सब कुछ एक भ्रम:
इस मंत्र को जपने से यह अहसास होता है कि इस दुनिया से अब वह व्यक्ति रवाना हो गया है। अब उसके पृथ्वी के सारे रिश्ते नाते समाप्त हो चुके हैं। जिससे साफ है कि भगवान को छोड़कर सब कुछ एक भ्रम है। एक बीज अक्षर:  हिंदू शास्त्रों के अनुसार राम नाम सत्य है एक बीज अक्षर है। इसको जपने से बुरे कर्मों से मुक्ित मिल जाती है। यह परम सत्य है कि आत्मा अपने कर्मो के अनुसार एक दूसरे संसार में उत्पन्न होती है। परिजनों को शांति:


कुछ लोगों का मानना है कि इसको जपने से मृतक के परिजनों को मानसिक शांति मिलती है। मृत्यु के बाद परिजन दुख और वेदना में डूबे होते हैं। जिससे इस दौरान राम नाम सत्य है से उन्हें अदंर से अहसास होता है कि यह संसार व्यर्थ है।

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Posted By: Shweta Mishra