जानें सिंधु ने क्यों चुना बैडमिंटन, जबकि पेरेंट हैं वॉलीबॉल के अर्जुन अवार्डी प्लेयर
सिंधू का पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है और वे पीवी रमण और पी विजया की बेटी हैं। सिंधू के माता पिता दोनों ही पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी रहे और राष्ट्रीय स्तर पर कई प्रतियोगितायें जीत चुके हैं। पिता रमण को साल 2000 में उनके उत्कर्ष्ट खेल के लिए अजुर्न पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
सिंधु बेशक वॉलीबॉल खिलाड़ियों के घर में जन्मी थीं परंतु उन्होंने अपना करियर बैडमिंटन में बनाने का निश्चय किया तो इसकी वजह थे 2001 के ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियन बने पुलेला गोपीचंद। गोपीचंद के खेल की प्रशंसक सिंधु ने इसी खेल में आगे बढ़ने का फैसला किया। गोपीचंद अब सिंधू के कोच भी हैं।
आठ साल की उम्र से खेलना शुरू किया
आज भारत का गौरव बढ़ाने वाली सिंधू ने महज आठ साल की उम्र से बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया। सबसे पहले उन्होंने सिकंदराबाद में इंडियन रेलवे सिग्नल इंजीनियरिंग और दूर संचार के बैडमिंटन कोर्ट में महबूब अली के मार्गदर्शन में बैडमिंटन की बुनियादी बातों को सीखा। इसके बाद वे पुलेला गोपीचंद के गोपीचंद बैडमिंटन अकादमी में शामिल हो गई।
दाहिने हाथ की खिलाड़ी सिंधू को पहला अंतरराष्ट्रीय पदक कोलंबो में आयोजित 2009 सब जूनियर एशियाई बैडमिंटन चैंपियनशिप में मिला। जब वे कांस्य पदक विजेता रही थीं। वे चीन के ग्वांग्झू में आयोजित 2013 के विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में एकल पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी है। इसमें मैच में भी उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया था।
1 दिसम्बर 2013 को कनाडा की मिशेल ली को हराकर मकाउ ओपन ग्रां प्री गोल्ड का महिला सिंगल्स खिताब जीता है। ये उनका दूसरा ग्रां प्री गोल्ड खिताब था। उन्होंने इससे पहले मई में मलेशिया ओपन जीता था। पी वी सिंधु ने 2013 दिसम्बर में भारत की 78वीं सीनियर नैशनल बैडमिंटन चैम्पियनशिप का महिला सिंगल खिताब जीता है।Interesting News inextlive from Interesting News Desk