आपने नटवर लाल का नाम और ठगी के कारनामे सुने होंगे लेकिन ये कहानी एक ऐसे शख़्स की है जिसका ठगी के मामले में कोई सानी नहीं था। पांच भाषाएं बोलने वाले इस शख़्स को कम से कम 47 नामों से जाना गया।

नमें विक्टर लुस्टिग, चार्ल्स ग्रोमर, अलबर्ट फ़िलिप्स, रॉबर्ट जॉर्ज वेग्नर जैसे 47 अन्य नाम शामिल हैं।

हमने अब तक आपको इनका असली नाम नहीं बताया है। क्योंकि, सच कहें तो हमें भी नहीं पता।

अमरीकी जांच एजेंसी एफ़बीआई से जुड़े साल 1935 के इस दस्तावेज़ को देखिए। ये उस शख़्स के बारे में बताता है जो कई दशकों तक जांच एजेंसियों की आंखों में किरकिरी बना रहा। हालांकि, एफ़बीआई ने इस ठग को विक्टर लुस्टिग कहा है लेकिन ये नाम इसके 47 अन्य नामों में से एक ही है।

 

मोहब्बत में घायल हुआ था ये शख़्स

अमरीका में 1920 का दशक खूंखार गैंगस्टर अल कपोनी और जैज़ के लिए जाना जाता है।

थाईलैंड में एक ठगी ऐसी भी

ठाणे में बैठकर अमरीकियों को ऐसे ठगा। ये वो दौर था जब पहला महायुद्ध ख़त्म हुआ था, अमरीका अपने चढ़ान पर था। डॉलर के आने और जाने की स्पीड बेहद तेज थी।

इसी दौर में अमरीका के 40 शहरों के जासूसों ने इस ठग को अल सिट्राज़ निकनेम दिया था।

सिट्राज़ एक स्पैनिश शब्द है जिसका अर्थ घाव होता है। और, ये नाम इस शख़्स के बाएं गाल पर एक चोट के निशान की वजह से मिला था जो उसे पेरिस में उसकी एक महबूबा से मिला था।

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लुस्टिग ने इस मीटिंग में कहा, "इंजीनियरिंग से जुड़ी असफलताओं, खर्चीली मरम्मत और कुछ राजनीतिक समस्याएं जिन्हें मैं आपके साथ साझा नहीं कर सकता, की वजह से एफ़िल टावर का गिरना आवश्यक है।"

उसने कहा, "टावर सबसे ऊंची बोली लगाने वाले को दिया जाएगा।"

ठग ने की होटल बेचने की कोशिश

इस मीटिंग में मौजूद किसी भी व्यापारी ने लुस्टिग के इस प्रस्ताव पर शक नहीं किया क्योंकि उन्होंने समझा कि ये फ्रांसीसी सरकार का एक कदम है।

कुछ सूत्रों का कहना है कि उसने ऐसा एक बार फ़िर किया। वह होटल में छिपा रहा और जब उसे पता चला कि वो एक बार फ़िर ऐसा कर सकता है तो उसने एक बार फ़िर ऐसा कर दिखाया।

विक्टर लुस्टिग ने अपनी जिंदगी में ऐसे कई किस्सों को अंजाम दिया जिसने कई सरकारों की रातों की नींद हराम कर दी।

जेलों को तोड़ना उसके लिए बाएं हाथ का खेल था।

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लेकिन, आखिर में अमरीकी सरकार ने उसे एक अल्काट्राज़ जेल में रखा जहां साल 1947 में 11 मार्च को शाम के आठ बजकर 30 मिनट पर उसकी मौत निमोनिया से हुई।

वो सबसे खर्चीला और शानशाही से रहने वाला ठग था लेकिन उसकी मौत के सरकारी दस्तावेज़ में उसे सिर्फ़ नौसिखिया सेल्समैन कहा गया।

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Posted By: Chandramohan Mishra