फ़ैसले के मुताबिक़ तलाक़ के बाद यौन संबंध रखने पर महिला पति से गुज़ारा भत्ता नहीं मांग सकती।

जस्टिस एस नागमुथु ने एम चिन्ना करुप्पसामी बनाम कानीमोझ़ी मामले में यह फ़ैसला दिया।

करुप्पसामी ने अपनी पत्नी पर व्यभिचार का आरोप लगाते हुए अदालत में तर्क दिया कि वे तलाक़ के बाद अपनी बीवी को हर महीने एक हज़ार रुपए का गुज़ारा भत्ता नहीं देंगे।

'यौन अनुशासन ज़रूरी'

'गुज़ारा भत्ते के लिए यौन अनुशासन ज़रूरी'

जस्टिस नागमुथु ने अपने फ़ैसले में कहा, “यदि पत्नी अपने पति से गुज़ारा भत्ता लेना चाहती है तो उससे उम्मीद की जाती है कि वह वैवाहिक जीवन के दौरान जिस अनुशासन में थी, उसी का पालन करती रहे।”

उन्होंने धारा 125 के हवाले से कहा कि यदि कोई महिला व्यभिचार में शामिल है और बग़ैर पर्याप्त कारण अपने पति के साथ रहने से इनकार करती है तो वह गुज़ारा भत्ता की हक़दार नहीं है।

नागमुथु ने कहा, “पति गुज़ारा भत्ता देने की अपनी ज़िम्मेदारी का पालन करता है तो पत्नी को भी दूसरे पुरुष के साथ रिश्ते नहीं बनाने की ज़िम्मेदारी का पालन करना होगा। यदि वह ऐसा नहीं करती है तो गुज़ारा भत्ता की हक़दार भी नहीं है।”

'गुज़ारा भत्ते के लिए यौन अनुशासन ज़रूरी'

इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने रोहताश बनाम रामेंद्री मामले में कहा था कि धारा 125 (4) तभी तक लागू हो सकती है जब तक शादी बची हुई हो।

जस्टिस नागमुथु ने इसके बारे में कहा कि उनके विचार से तलाक़ के बाद भी यह धारा लागू होती है।

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