पं राजीव शर्मा (ज्योतिषाचार्य)। Maha Shivratri 2022 Dos And Don'ts: महाशिवरात्रि पर्व का महत्व सभी पुराणों में मिलता है। गरुड़ पुराण, पदम पुराण,स्कन्द पुराण, शिव पुराण तथा अग्नि पुराण सभी में महाशिवरात्रि पर्व की महिमा का वर्णन मिलता है।कलियुग में यह व्रत थोड़े से ही परिश्रम साध्य होने पर भी महान पुण्य प्रदायक एवं सब पापों का नाश करने वाला होता है।फाल्गुन मास की शिवरात्रि को भगवान शिव सर्वप्रथम शिवलिंग के रूप में अवतरित हुए थे, इसलिये भी इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है।इस बार शुभ अति श्रेष्ठ 'शिव योग',में जिस कामना को मन में लेकर मनुष्य इस व्रत का अनुष्ठान संपन्न करेगा,वह मनोकामना अवश्य ही पूर्ण होगी।इस लोक में जो चल अथवा अचल शिवलिंग हैं,उन सब में इस रात्रि को भगवान शिव की शक्ति का संचार होता है, इसलिए इस शिवरात्रि को महारात्रि कहा गया है।इस एक दिन उपवास रहते हुए शिवार्चन करने से साल भर के पापों से शुध्दि हो जाती है।

शिवरात्रि रहस्य
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन कृष्ण चतुर्दर्शी तिथि में चंद्रमा सूर्य के समीप होता है।अतः वही समय जीवन रूपी चंद्रमा का शिवरूपी सूर्य के साथ योग- मिलान होता है।इसलिए इन चतुर्दशी को शिवपूजा करने से जीव को अभिष्टतम पदार्थ की प्राप्ति होती है। यही शिवरात्रि रहस्य है।

शिवपूजन में ध्यान रखने योग्य मुख्य बातें
1. पूजा के समय पूर्व या उत्तर मुख होकर बैठना चाहिए, संकल्प किया जाना चाहिए।
2. भस्म,त्रिपुड़ और रूद्राक्ष माला यह शिवपूजन के लिए विशेष सामग्री है जो पूजन के समय शरीर पर होना चाहिए।
3. भगवान शिव की पूजा में तिल का प्रयोग नहीं होना चाहिये और चम्पा का पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए।
4. शिव की पूजा में दूर्वा,तुलसीदल चढ़ाया जाता है।तुलसी में मंजरियों से पूजा श्रेष्ठ मानी जाती है।
5. भगवान शंकर के पूजन के समय करतल नहीं बजाना चाहिये।
6. शिव की परिक्रमा सम्पूर्ण नहीं की जाती है।जिधर से चढ़ा हुआ जल निकलता है उस नाली का उलंघन नही किया जाना चाहिए।वहाँ से प्रदक्षिणा उल्टी की जाती है।
7. शिव की पूजा में केसर,दुपहरिका, मालती,चम्पा,चमेली,कुंद,जूही आदि के पुष्प नहीं चढ़ाना चाहिए।
8.दो शंख,दो चक्रशिला, दो शिवलिंग,दो गणेश मूर्ति,दो सूर्य प्रतिमा,तीन दुर्गा जी की प्रतिमाओं* का पूजन एक बार में नहीं करना चाहिए।
9.भगवान शंकर की आधी बार,विष्णु की चार बार, दुर्गा की एक बार, सूर्य की सात बार, गणेश जी की तीन बार परिक्रमा करनी चाहिए।
10. शिवजी को भांग का भोग अवश्य लगाना चाहिए।

शिव आराधना से लाभ
1. शिव साधना या आराधना करने से मनुष्य को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में विजय प्राप्त होती है।
2. भगवान शिव के ध्यान में व्यक्ति रोगमुक्त होता है।क्योंकि वे वैधनाथ हैं।
3. भगवान शिव शांतिपुंज हैं दिव्य हैं।अतः उनकी पूजा अर्चना से शरीर में अदभुत ऊर्जा,बल,साहस की अनुभूति होती है।
4. भगवान शिव मृत्युंजय हैं, अतः इनकी आराधना हमें अकाल मृत्यु के भय से मुक्त करती है तथा सदैव रोगमुक्त भी रखती है।
5. शिव गृहस्थ के आदर्श हैं जो अनासक्त रहते हुए भी पूर्ण गृहस्थ स्वरूप हैं इनकी उपासना से गृहस्थ जीवन में अनुकूलता प्राप्त होती है।
6. भगवान शिव कुबेर के अधिपति भी हैं अतः लक्ष्मी प्राप्ति हेतु इनकी आराधना का विशेष महत्व है।
7.भगवान शिव सौभाग्य दायक हैं अतः इस रात्रि कुंवारी कन्याओं द्वारा इनकी आराधना मनोवांछित बल प्राप्ति हेतु की जाती है*।
8. जो स्त्री संतान सुख, पुत्र सुख की कामना से इनकी पूजा अर्चना करे उसे शिव कृपा से पुत्र प्राप्ति होती है।
9. शिव की भक्ति शत्रु नाश के लिए करना भी श्रेष्ठकर है।
10. शिव मोक्ष के अधिष्ठाता है अथार्त मोक्ष की कामना से भी इनकी भक्ति करनी चाहिए।
11. भगवान शिव इतने भोले है,वे सर्वस्व दे देते हैं।
12. भगवान शिव सम्पूर्ण स्वरूप हैं।इसलिये इनकी आराधना जीवन पर्यन्त की जाती है और विशेषकर शिवरात्रि पर इनकी आराधना से व्यक्ति अपने इष्ट के दर्शन पाकर धन्य हो जाता है एवं मनोरथ पूर्ण होते हैं।