कानपुर (इंटरनेट डेस्‍क)। महाशिवरात्रि के पर्व पर शिव मंदिरों में जमकर भीड़ होती है। भक्‍त खूब श्रृद्धा-भाव से शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं और मनोकामना पूर्ति के लिए व्रत रखते हैं। शिवलिंग के पूजन से कई कष्ट भी दूर होते हैं मगर क्‍या आपको पता है शिवलिंग का आकार ओवल क्‍यों होता है। दरअसल भगवान शिव का कोई स्वरूप नहीं है, उन्हें निराकार माना जाता है। शिवलिंग के रूप में उनके इसी निराकार स्वरूप की आराधना की जाती है। कहते हैं शिव से ही ब्रह्मांड प्रकट हुआ है और अंत में यह उन्हीं में मिल जाएगा। शिवलिंग के अंडाकार के पीछे आध्यात्मिक और वैज्ञानिक दोनों कारण हैं।

क्‍या है आध्यात्मिक कारण
शिवलिंग का आकार ओवल क्‍यों है, इसके पीछे का आध्यात्मिक कारण देखें तो इसका सीधा मतलब सृष्टि से है। शिव ब्रह्मांड के निर्माण की जड़ हैं और किसी भी निर्माण के लिए बीज की आवश्‍यकता होती है, अर्थात शिव ही वो बीज हैं, जिससे पूरा संसार बना है और बीज अंडाकार होता है, इसलिए शिवलिंग का आकार ओवल जैसा है।

यह है वैज्ञानिक कारण
शिव के ओवल की एक वजह आध्‍यात्‍मिक है तो इसका दूसरा साइंटिफिक रीजन भी है। 'बिग बैंग थ्योरी' कहती है कि ब्रह्मांड का निर्माण अंडे जैसे छोटे पार्टिकल से हुआ है। शिवलिंग के आकार में इसी 'सृष्टि कण' जिसे 'गॉड पार्टिकल' कह सकते हैं उसके दर्शन होते हैं। इसीलिए शिवलिंग की पूजा होती है।