सबूतों का अभाव
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने यह गिरफ्तारी मक्का मस्जिद विस्फोट कांड के आरोपी स्वामी असीमानंद के बयान के आधार पर की थी। पिछले सप्ताह ही एनआईए ने न्यायमूर्ति वी.वी.पाटिल की अदालत को बताया था कि उसके पास 2006 के विस्फोट मामले में आरोपी बनाए गए इन लोगों के विरुद्ध कोई सबूत नहीं हैं। एनआईए द्वारा इन आरोपियों द्वारा दिए गए रिहाई आवेदन का विरोध भी नहीं किया गया। जिसके कारण अदालत के लिए इन आरोपियों की रिहाई का रास्ता साफ हो गय़ा।

एक आरोपी की हो गई मृत्यु
इनमें से छह आरोपी 2011 से ही जमानत पर रिहा हो चुके हैं। एक शब्बीर अहमद की मृत्यु हो चुकी है। और दो आरोपियों को 2006 के मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में सजा सुनाई जा चुकी है। एटीएस ने इन नौ लोगों को प्रतिबंधित संगठन सिमी का सदस्य बताते हुए गिरफ्तारी की थी। उसका मानना था कि इन सभी ने पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की मदद से संवेदनशील कस्बे मालेगांव में विस्फोट करवाए।

2006 में हुआ था विस्फोट
सितंबर 2006 में ये विस्फोट मुंबई से 300 किलोमीटर दूर नासिक जिले के मुस्लिम बहुल मालेगांव कस्बे में जुमे की नमाज के तुरंत बाद भीड़भाड़ वाले क्षेत्र में हुए थे। इस विस्फोटकांड की जांच पहले महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) ने शुरू की थी और नौ लोगों को गिरफ्तार किया था। बाद में इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। सीबीआई ने भी एटीएस की जांच पर ही मुहर लगा दी थी।

केस में आए कई मोड़
लेकिन 2009 में एनआईए को दिए गए स्वामी असीमानंद के बयान के बाद इस कांड से हिंदू आतंकवाद का पहलू भी जुड़ गया और एनआईए ने इसी मामले में लोकेश शर्मा, धन सिंह, मनोहर सिंह और राजेंद्र चौधरी को गिरफ्तार करते हुए पहले की गई एटीएस एवं सीबीआई के जांच पर सवालिया निशान लगा दिया। एनआईए के रुख एवं चार हिंदुओं की गिरफ्तारी के बाद पहले आरोपी बनाए गए नौ लोगों ने स्वयं को बेकसूर बताते हुए अपनी रिहाई का आवेदन मुंबई की विशेष एनआईए अदालत में किया था।

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