नई रिलीज फिल्मों की डिमांड

दारू से लेकर पान-मसाला और गुटखा उनकी पॉकेट में रहता है तो शाम ढलते ही जेल की बैरक थिएटर में बदल जाती है। खुले आसमान के नीचे जिंदगी जी रहे हजारों लोगों को भले ही 'दबंग-2Ó और 'मटरू की बिजली का मंडोला' फिल्म की स्टोरी पता न हो, मगर जेल में अधिकांश बंदी इसका लुत्फ उठा चुके हैं। पर्दे के पीछे की इस सच्चाई से शायद जेल के आला अफसर ही नहीं बल्कि प्रशासन भी अनजान है, मगर हकीकत यही है।

एसएमएस के थ्रू पूरी होती है डिमांड

गोरखपुर जेल की बैरकों में ऐसे दर्जनों क्रिमिनल्स बंद हैं, जिन्होंने सिटी में ताबड़तोड़ घटनाओं को अंजाम देकर टेरर फैला दिया था। पुलिस ने इन क्रिमिनल्स को गिरफ्तार कर कोर्ट भेजा, फिर वे जेल चले गए। मगर इन अपराधियों का रूटीन चेंज नहीं हुआ। सोर्सेज के मुताबिक इन अपराधियों का पसंद का खाना-पीना जेल के अंदर भी चालू है। सोर्सेज के मुताबिक इसके लिए वे धड़ल्ले से मोबाइल का यूज कर रहे हैं। एसएमएस के थ्रू वे अपनी डिमांड अपने मिलने वालों तक पहुंचाते हैं, जिससे दिन ढलने के साथ ही उनकी डिमांड कंपलीट हो जाती है। जाहिर है उनकी यह डिमांड खाकी वर्दी के जरिए होकर ही पूरी होती है।

500 की बॉटल जेल में 2,000 की

गोरखपुर जेल मर्डर, रेप, किडनैपिंग, लूट जैसी संगीन धाराओं में सैकड़ों लोग बंद हैं। सोर्सेज के मुताबिक जेल में बंद अधिकांश अपराधी दारू के लती है। कई माह से जेल में बंद होने के बावजूद इनकी दारू पीने की आदत नहीं छूटी। आखिर छूटे भी कैसे, जब जेल के अंदर भी उन्हें डेली दारू मिल रही है। जेल में बंद एक क्रिमिनल के मुताबिक, बस फर्क इतना है कि दारू की बॉटल की कीमत मार्केट में लगभग 500 रुपए है और जेल के अंदर पहुंचते-पहुंचते वह 2000 रुपए की हो जाती है। ऐसा ही कुछ हाल पान-मसाला और गुटखा का भी है। जो मार्केट में भले ही 4 रुपए में हर गली के कोने वाली गुमटी में मिलता हो, मगर जेल के अंदर तक पहुंचने में इसकी कीमत 12 रुपए हो जाती है।

चिप में बिजली का मंडोला

जेल सूत्रों की मानें तो एक बैरक में अभी नई टीवी लगी है, जिसमें पेन ड्राइव का यूज हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि इसी टीवी पर ईवनिंग और नाइट शो चल रहे हैं। इससे जेल में बंदी धड़ल्ले से नई फिल्मों का लुत्फ उठा रहे हैं। लास्ट फ्राइडे रिलीज 'मटरू की बिजली का मंडोलाÓ हो या फिर उससे पहले रिलीज 'दबंग-2Ó इन फिल्मों का शो जेल के अंदर चल चुका है। जेल के अंदर ये चिप के जरिए पहुंचने वाली इन फिल्मों के बारे में जेल प्रशासन को भले ही न पता हो, लेकिन बंदियों को हर हफ्ते नई फिल्म का इंतजार जरूर रहता है।  

'जेल में सरप्राइज विजिट कर अक्सर एडमिनिस्टे्रशन टीम इंस्पेक्शन करती है। जेल में बैरकों की जांच करने के साथ बंदी और कैदियों की भी तलाशी ली जाती है। इससे जेल के अंदर ऐसी संभावना बहुत कम है। फिर भी छानबीन कराई जाएगी.'

-रवि कुमार एनजी, डीएम