- मेडिकल कॉलेज में मेडिसिन विभाग की एचओडी डॉ। आरती लालचंदानी का बांदा ट्रांसफर

- बिना एक भी रेग्युलर प्रोफेसर के कैसे चलेगा मेडिसिन डिपार्टमेंट

- एमसीआई नॉ‌र्म्स के हिसाब से अब जीएसवीएम की मान्यता पर ही खतरा

- हर दिन 600 से ज्यादा पेशेंट्स को ओपीडी में देखती हैं

-मेडिकल कॉलेज बवाल में जूनियर डॉक्टर्स को सपोर्ट करने की कीमत चुकाई

KANPUR: एमसीआई नॉ‌र्म्स के हिसाब से तो जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की मान्यता तो बहुत पहले से ही खतरे में थी, लेकिन अब पेशेंट्स के लिए भी बड़ी प्रॉब्लम हो सकती है, क्योंकि अब मेडिसिन डिपार्टमेंट की एचओडी प्रो। आरती लालचंदानी का ट्रांसफर बांदा मेडिकल कॉलेज कर दिया गया है। उन्हें बांदा मेडिकल कॉलेज का कार्यवाहक प्रिसिंपल बनाया गया है।

ये प्रमोशन है या डिमोशन

डॉ। आरती लालचंदानी का ट्रांसफर प्रमोशन कम बल्कि डिमोशन ज्यादा माना जा रहा है, क्योंकि प्रो। आरती लालचंदानी जूनियर डॉक्टर्स की सबसे बड़ी सपोर्टर के रूप में जानी जाती हैं। मेडिकल कॉलेज बवाल के दौरान डॉक्टर्स का आंदोलन उन्हीं की अगुवाई में चला था। इसके अलावा हार्ट पेशेंट्स का कार्डियोलॉजी के अलावा हैलट में इलाज उन्हीं के भरोसे होता है। सिटी में मेडिकल फील्ड में उनकी अच्छी इमेज है, ऐसे में बांदा मेडिकल कॉलेज में कार्यवाहक प्रिंसिपल बनाकर कोई एडमिनिस्ट्रेटिव पॉवर न दिया जाना सारी हकीकत बयां कर रहा है।

ख्ख् डिपार्टमेंट्स में बचे सिर्फ 8 प्रोफेसर

मेडिकल कॉलेज के ख्ख् डिपार्टमेंट्स में अब सिर्फ 8 रेग्युलर प्रोफेसर बचे हैं। कई डिपार्टमेंट्स तो असिस्टेंट प्रोफेसर्स के भरोसे चल रहे हैं। इसके अलावा कई डिपार्टमेंट्स में तो एक भी एसोसिऐट प्रोफेसर मौजूद नहीं है। एमसीआई की नॉ‌र्म्स के हिसाब से जहां भ्0 स्टूडेंट्स में एक प्रोफेसर होना अनिवार्य है, ऐसे में मेडिकल कॉलेज में ऐसी स्थितियों से मान्यता का संकट खड़ा हो गया है। इससे कुछ दिनों पहले एसआईसी प्रो। सुरेश चंद्रा को भी जालौन मेडिकल कॉलेज का प्राचार्य बना कर ट्रांसफर कर दिया गया था। लेकिन अब प्रो। आरती लालचंदानी के जाने से हालात और बिगड़ जाएंगे।

पेशेंट्स का क्या होगा

प्रो। आरती लालचंदानी के ट्रांसफर से अब पेशेंट्स की प्रॉब्लम्स भी बढ़ जाएंगी। क्योंकि मेडिसिन डिपार्टमेंट सिर्फ वही रोजाना भ्0 पेशेंट्स की बिना वेटिंग के ईको जांच करती हैं। इसके अलावा कार्डियोलॉजी के अलावा सिर्फ उन्हीं की वजह से हार्ट पेशेंट्स को हैलट में भी इलाज मिल जाता है। उनकी ओपीडी में हमेशा ही फ्00 से ज्यादा पेशेंट्स आते हैं साथ ही वह ख्ब् बेड के आईसीयू की भी इंचार्ज हैं। उनके स्थान पर अब मेडिसिन का एचओडी असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। बीपी प्रियदर्शी को बनाये जाने की सुगबुगाहट है।